SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संयोगिन् ११०८ संलग्न संयोगिन् (वि.) [संयोग+इनि] सम्मिलित, मिलाया हुआ। मिलने वाला। संयोजनं (नपुं०) [सम्+युज्+ल्युट्] मिलाप, मिश्रण, योग। संगम, जोड़ना। ०मैथुन, संयोग। संयोजनक (वि०) मेल, योग। सहोपयोगेनशुभेन शस्यं योगस्यसंयोजनकं समस्य। (समु०८/३८) संयोजना (स्त्री०) संसार से संयुक्त करना। संरक्त (भू०क०कृ०) [सम्+र+क्त] आवेशपूर्ण, कामुक वासना से दग्ध। मुग्ध, मोहित। लावण्य-सुंदर रंगीन, लाल। संरक्षः (पुं०) प्ररक्षण, देखभाल, संधारण। संरक्षणं (नपुं०) [सम्+रक्ष ल्युट्] प्ररक्षण, संधारण। (जयो०वृ० ३/१) ०उत्तरदायित्त, सुरक्षा प्रदान। ०रक्षा भाव। संरब्ध (भू०क०कृ०) [सम्+रम्भ+ क्त] उत्तेजित, विक्षुब्धा प्रज्ज्वलित, भयानका ०वर्धित, बढ़ा हुआ। अभिभूत। संरम्भः (पुं०) [सम्+र+घञ्] ०आरम्भ, विक्षोभ, हिसा। संकल्प ०प्रभाद प्रयत्नावेश। उत्तेजना, रोष, क्रोध, कोप। संरश्मिन् (वि०) [संरम्भ इनि] उत्तेजित, विक्षुब्ध, क्रुद्ध। रोषयुक्त, क्रोधित। संरस (वि०) रसत्व, स्वाद/रस युक्त। (समु० २/२७) किं पश्यस्ययि संरसेरऽपि न किं नो रोचकं व्यञ्जनम्। (जयो० १२/१२८) संरागः (पुं०) [सम्+रञ्ज+घञ्] प्रणय प्रसंग, रतिभाव। रागभाव, अनुराग, अनुरक्ति। रोष, क्रोध, कोप। संराधनं (नपुं०) [सम्+राध्ल्युट्] ०प्रसन्न करना, खुश करना। ०हर्ष उत्पन्न करना, तुष्ट करना। संरावः (पुं०) [सम्+रु+घञ्] ०शोरगुल, हल्लागुल्ला। ०कोलाहला संरुग्ण (भू०क०कृ०) [सम्+रुज्+क्त] ०बाधित, रोका गया। भरा हुआ, वेष्टिता उपरुद्ध, आवृत। छिपाया गया, आवरण युक्त किया गया। अस्वीकृत, अटकाया हुआ। संरुढ (भू०क०कृ०) [सम्+रुह्+क्त] ०साथ-साथ उगा हुआ। ०फूटा हुआ, अंकुर निकाला हुआ। ०मुकुलित, विकसित। उत्पन्न हुआ, उपजा हुआ। ०साहसी, भरोसे का। संरोधः (पुं०) [सम्+रुध्+घञ्] विघ्न, बाधा, अड़चन। रोक, अवरोध। ०बन्धन, घेरा, रुकावट। ०बेड़ी, हथकड़ी। ० फेंकना, डालना। संरोधनं (नपुं०) [सम्+रुध्+ल्युट्] ०रुकावट, अवरोधा रोकना, घेरना। संरोधिन् (वि०) रोकने वाला, अवरोध उत्पन्न करने वाला। (जयो० २८/६२) संलक्षणं (नपुं०) [सम्+लक्ष ल्यूट] चित्रण करना, वर्णन करना ०बतलाना, प्रतिपादन करना। संलग्न (भू.क.कृ.) [सम्+लग्+क्त] समासक्त। (जयो०१७/५५) संयुक्त, मिश्रित, मिला हुआ। तत्पर, तैयार, उद्यमशील। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy