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संयोगिन्
११०८
संलग्न
संयोगिन् (वि.) [संयोग+इनि]
सम्मिलित, मिलाया हुआ।
मिलने वाला। संयोजनं (नपुं०) [सम्+युज्+ल्युट्]
मिलाप, मिश्रण, योग।
संगम, जोड़ना। ०मैथुन, संयोग। संयोजनक (वि०) मेल, योग।
सहोपयोगेनशुभेन शस्यं
योगस्यसंयोजनकं समस्य। (समु०८/३८) संयोजना (स्त्री०) संसार से संयुक्त करना। संरक्त (भू०क०कृ०) [सम्+र+क्त]
आवेशपूर्ण, कामुक वासना से दग्ध। मुग्ध, मोहित। लावण्य-सुंदर
रंगीन, लाल। संरक्षः (पुं०) प्ररक्षण, देखभाल, संधारण। संरक्षणं (नपुं०) [सम्+रक्ष ल्युट्]
प्ररक्षण, संधारण। (जयो०वृ० ३/१) ०उत्तरदायित्त, सुरक्षा प्रदान।
०रक्षा भाव। संरब्ध (भू०क०कृ०) [सम्+रम्भ+ क्त]
उत्तेजित, विक्षुब्धा प्रज्ज्वलित, भयानका ०वर्धित, बढ़ा हुआ।
अभिभूत। संरम्भः (पुं०) [सम्+र+घञ्]
०आरम्भ, विक्षोभ, हिसा। संकल्प ०प्रभाद प्रयत्नावेश।
उत्तेजना, रोष, क्रोध, कोप। संरश्मिन् (वि०) [संरम्भ इनि]
उत्तेजित, विक्षुब्ध, क्रुद्ध।
रोषयुक्त, क्रोधित। संरस (वि०) रसत्व, स्वाद/रस युक्त। (समु० २/२७)
किं पश्यस्ययि संरसेरऽपि न किं
नो रोचकं व्यञ्जनम्। (जयो० १२/१२८) संरागः (पुं०) [सम्+रञ्ज+घञ्]
प्रणय प्रसंग, रतिभाव।
रागभाव, अनुराग, अनुरक्ति।
रोष, क्रोध, कोप। संराधनं (नपुं०) [सम्+राध्ल्युट्]
०प्रसन्न करना, खुश करना।
०हर्ष उत्पन्न करना, तुष्ट करना। संरावः (पुं०) [सम्+रु+घञ्]
०शोरगुल, हल्लागुल्ला।
०कोलाहला संरुग्ण (भू०क०कृ०) [सम्+रुज्+क्त]
०बाधित, रोका गया। भरा हुआ, वेष्टिता उपरुद्ध, आवृत। छिपाया गया, आवरण युक्त किया गया।
अस्वीकृत, अटकाया हुआ। संरुढ (भू०क०कृ०) [सम्+रुह्+क्त]
०साथ-साथ उगा हुआ। ०फूटा हुआ, अंकुर निकाला हुआ। ०मुकुलित, विकसित।
उत्पन्न हुआ, उपजा हुआ।
०साहसी, भरोसे का। संरोधः (पुं०) [सम्+रुध्+घञ्]
विघ्न, बाधा, अड़चन। रोक, अवरोध। ०बन्धन, घेरा, रुकावट। ०बेड़ी, हथकड़ी।
० फेंकना, डालना। संरोधनं (नपुं०) [सम्+रुध्+ल्युट्]
०रुकावट, अवरोधा
रोकना, घेरना। संरोधिन् (वि०) रोकने वाला, अवरोध उत्पन्न करने वाला।
(जयो० २८/६२) संलक्षणं (नपुं०) [सम्+लक्ष ल्यूट] चित्रण करना, वर्णन
करना
०बतलाना, प्रतिपादन करना। संलग्न (भू.क.कृ.) [सम्+लग्+क्त] समासक्त।
(जयो०१७/५५) संयुक्त, मिश्रित, मिला हुआ। तत्पर, तैयार, उद्यमशील।
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