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श्लोकरचना
११०३
श्वाविध
०पद्य, कविता, काव्य। स्तोत्र, स्तुति, प्रशंसा।
ख्याति, प्रसिद्धि, विश्रुति, यश। श्लोकरचना (स्त्री०) काव्य मय प्रस्तुति।
प्रशंसात्मक रचना। श्लोकवार्तिकः (पं०) कुमारिक भट्ट का व्याख्या, मीमांसक
मत का एक ग्रन्थ। (वीरो० १९/१७) श्लोकसङ्कलितः (पुं०) प्रबन्ध काव्य। (जयो० ५/५) श्लोण (सक०) एकत्र करना, इकट्ठा करना, संग्रह करना।
बीनना, चयन करना, चुनना। श्लोण: (पुं०) [श्लोण+अच्] विकलांग, लंगड़ा। श्व (अव्य०) आगामी काल। (जयो० २१/५६) श्व ङ्क् (सक०) जाना, पहुंचना। श्वच् (सक०) निन्दा करना, अलंकृत करना। श्वण्ठ (सक०) निन्दा करना। श्वन् (पुं०) [श्वि+कनिन्] कुत्ता, कुक्कुर। (सुद० १२१,
__जयो, २/१३१, समु० २/३४) श्वनक्रीडिन् (पुं०) पालतू कुत्ता। श्वनगणिका (पुं०) शिकारी, बहेलिया। श्वन्धूर्तः (पुं०) गीदड़। श्वन्नरः (पुं०) नीच व्यक्ति, अधम पुरुष। श्वन्निशं (नपुं०) कुत्ते के भौंकने की रात। श्वन्पच्ः (पुं०) चाण्डाल, अधम। श्वन्पदं (पुं०) कुत्ते का पैर। श्वभ्र (सक०) जाना, पहुंचना।
०बींधना, मिलना।
छिद्र करना। श्वभ्रं (नपुं०) [श्वभ्र+अच्] रन्ध्र, छिद्र, विवर। श्वयः (पुं०) [श्वि+अच्] शोथरोग, सूजन।
०वृद्धि। श्वयथु (पुं०) सूजन, शोथरोग। स्थूलत्व, रतौंधी। (जयो०
१८/१८) श्वयौंची (स्त्री०) रतौंधी, रोग। श्वल् (अक०) दौड़ना, भागना। जाना। श्वल्ल (अक०) दौड़ना, भागना। श्वशुरः (पुं०) [शु आशु अश्नुते आशु+अश्+उरच्] ससुर, |
पति का पिता। (जयो० १२/२०) श्वशुराश्वसुराजिरेषका मे मनसे किन्न भवेद् भसद्यवामे। (जयो० १२/२०)
श्वशुरकः देखो ऊपर। श्वशुरालवर्तित् (वि०) वल्लभपक्षीय, पति पक्ष वाला, ससुराल।
श्वशरालवर्तिनो निजे पतितां दृग्भ्रमरी मुखाम्बुजे। (जयो०
१०.७०) श्वशुर्यः (पुं०) [श्वशुरस्यापत्यं श्वशुर+यत्] साला, पत्नी का
भाई। श्वश्रुः (स्त्री०) [श्वशुर+ऊ] सासू। (दयो० १७) सास,
पति की मां या पत्नी की मां। (दयो० १०७) श्वस् (सक०) श्वांस लेना, सांस निकालना।
आह भरना, हांपना, फूत्कार करना।
०सांत्वना देना, आराम देना, प्रसन्न करना। श्वस् (अव्य०) पवन, वायु, हवा। श्वसनं (नपुं०) श्वांस, सांस लेना। ०आह भरना।
स्वादिष्ट। (भक्ति० १७) श्वासनाशनः (पुं०) सर्प, सांप। श्वसनीश्वरः (पुं०) अर्जुन वृक्ष। श्वसनोत्सुकः (पुं०) सर्प, सांप। श्वसित (भू०क०कृ०) [श्वसृ+क्त] सांस लिया हुआ, आह
भरी हुई। श्वसितं (नपुं०) सांस लेना। श्वस्तन (वि०) ०भावी, ०भविष्यत्काल सम्बंधी। आने वाला
समय। श्वस्तावत् (वि०) अनागत-दिवस पर्यन्त, आने वाले दिन से
सम्बन्धित। (जयो० २१/५६) श्वा (पुं०) कुक्कुट, कुत्ता। (जयो० १७/४२) श्वाकर्णः (पुं०) [शुन: कर्ण:] कुत्ते के कान। श्वागणिक (वि०) कुत्ते को गिगने वाला। श्वादन्तः (पुं०) कुत्ते के दांत। श्वानः (पुं०) [श्वन+अण-न टिलोप:]
कुत्ता। (सुद० १२१) श्वापद (वि०) [शुन इव आपद अस्मात्] बर्बर, हिंस। श्वापदः (पुं०) [शवन्+आपद्+अच्] जंगली जानवर।
०बाघ, चीता। श्वापुच्छः (पुं०) कुत्ते की दुम। श्वापुच्छ (नपुं०) श्वान् पूंछ। श्वाविध् (पुं०) [शुना आविध्यते श्वन्+आ+व्यध् क्विप्]
साही, शल्यक।
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