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श्वासः
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श्वासः (पुं०) [श्वस्+घञ्] सांस लेना, ०आह, हांपना।
निश्वास, आश्वास। बाह्यस्य वायोरामनं श्वासः' (योगशास्त्र स्वो०५/४) ०दमा रोग, इसके लिए आचार्य ज्ञानसागर ने यह मन्त्र दिया'णमो पादाणुसारीणं
आं ह्रीं अहं सम्भिन्नसोहाराणम्। (जयो० १९/६३) श्वासोच्छवासः (पुं०) प्राण तत्व। (जयो०वृ० १९/१३) शिव (सक) विकसित होना, बढ़ना, सूजना,
०फलना-फूलना। समृद्ध होना। श्वित् (अक०) श्वेत होना, स्वच्छ होना, सफेद होना। श्वित (वि०) [श्वित्+क] सफेदी। धवलता, स्वच्छता। शिवतिः (स्त्री०) [श्वित्+इन्] सफेदी, धवलता। श्वित्य (वि०) [श्वित्+यत्] सफेदी, धवलता, स्वच्छता। श्वित्रं (नपुं०) [श्वित् रक्] सफेद कोढ़, कुष्ठ रोग। शिवत्रिन् (पुं०) कोढ़ी। श्वेत (वि०) [श्वित्+घञ्] धवल, शुभ्र, सफेद। श्वेतः (पुं०) धवल, शुभ्र, सफेद रंग।
०कौड़ी। रति पादप। ०जीरा।
०पर्वतश्रेणी। श्वेतं (नपुं०) रजत, चांदी। श्वेतक (पुं०) [श्वेत+कन] कौड़ी। श्वेतकं (नपुं०) रजत, चांदी। श्वेतकमलं (नपुं०) सफेद कमल। श्वेतकुञ्जरः (पुं०) ऐरावत हाथी। श्वेतकुष्ठः (नपुं०) सफेद कोढ़। श्वेतकेतुः (पुं०) श्रमण साधु। श्वेतकेश (नपुं०) पलित केश। (जयो०वृ० १८/४१) सफेद
बाल। श्वेतकेशैरुज्ज्वलः (पुं०) पतितोज्जवल। (जयो०वृ० १/३६) श्वेतगजः (पुं०) सफेद हाथी, ऐरावती हाथी। श्वेतगरुत् (पुं०) हंस पक्षी। श्वेतछन्दः (पुं०) हंस पक्षी।
सफेद तुलसी। श्वेतजलं (नपुं०) शुभ्रजल। (जयो०वृ० ६/१०७) श्वेतता (वि०) शुक्लता, शुभ्रता। (जयो०वृ० १५/५८)
श्वेतद्विपः (पुं०) एक महाद्वीप। श्वेतधामन् (पुं०) चन्द्र, शशि। (जयो० २०/२६)
०कपूर, समुद्रफेन। श्वेतनीलः (पुं०) मेघ, बादल। श्वेतपत्र (पुं०) हंसा श्वेतपाटला (पुं०)श्रृंगवल्ली का पुष्प। श्वेतपिङ्गः (पुं०) सिंह, शेर। श्वेतमरिचं (नपुं०) सफेद मिर्च। श्वेतमालः (पुं०) मेघ, बादल। श्वेतभृत्तिका (स्त्री०) धवल मिट्टी। (जयो०वृ० ७९) श्वेतरक्तः (पुं०) गुलाबी रंग। श्वेतरञ्जनं (नपुं०) सीसा। श्वेतरथः (पुं०) शुक्रग्रह। श्वेतरोचिस् (पुं०) गरुड़ा श्वेतवल्कलः (पुं०) गूलर तरु। श्वेतवाजिन् (पुं०) चन्द्र, ०अर्जुन। श्वेतवाह् (पुं०) इन्द्र। श्वेतवाहः (पुं०) अर्जुन। ०इन्द्र। श्वेतवाहनः (पुं०) अर्जुन। ०इन्द्र। श्वेतवाहिन् (पुं०) ०अर्जुन, ०इन्दु। श्वेतश्रङ्गः (पुं०) जौ। श्वेसरोजः (पुं०) पुंडरीक, सफेद कमल। (जयो० १३/६३) श्वेता (स्त्री०) [श्वित्+अच्+टाप्]
स्फटिक। ०वंशलोचन।
०कोड़ा, कपर्दिका। श्वेताम्बरः (पुं०) जैन परम्परा का एक पंथ। श्वेतांशु (नपुं०) श्वेत किरण। (सु० ८७) श्वेतौही (स्त्री०) [श्वेताह ङीष्] शचि, इन्द्राणी। श्वेत्रं (नपुं०) सफेद कोढ़। श्वैत्यं (नपुं०) [श्वेत+ष्यञ्] सफेदी धवलता।
षः (पुं०) उष्म ध्वनि, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है।
षत्व-सकार गर्विष्टत्व सकारत्वेन। (जयो० ९/२५) षः (वि०) सर्वोत्तम, सर्वोत्कृष्ट। षः (पुं०) हानि, विनाश। ०अन्त। शेष, अवशिष्ट।
मुक्ति, मोक्ष।
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