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शोलिचन्दनं
१०८९
शोभित
शोलिचन्दनं (नपुं०) रक्त चन्दन। शोणितप (वि०) रुधिर पीने वाला। शोणितपुरं (नपुं०) बाणासुर का नगर। शोणिताह्वयं (नपुं०) केसर, जाफरान। शोणितोपलः (पुं०) पद्मराग मणि। शोणिमृच् (पुं०) लाली, लालिमा। शोणोज्ज्वलः (पु०) अरुण एवं धवल। (जयो० १३/२९) शोणोधरः (पुं०) रक्त अधर, लाल लाल ओंठ। शोथ: (पुं०) [शु-थन्] सूजन, स्फीति। शोथन (वि०) सूजन दूर करने वाला। शोथजित् (वि०) सूजन हटाने वाला। शोथजिह्वः (पुं०) पुनर्नवा। शोथरोगः (पुं०) जलोदर रोग, श्वपथु, रतौंधी। (जयो०३०
१८/१८) शोथहत् (वि०) सूजन हटाने की औषधि। शोधः (पुं०) [शुध्+घञ्] संशोधन, समाधान।
०शुद्धि संस्कार। परिशोध। प्रतिहिंसा। ०प्रतिदान।
०बदला। शोधक (वि०) [शुध+णिच्+ण्वुल] शुद्ध करने वाला।
रेचक।
संशोधन करने वाला। शोधन (वि०) [शुध+णिच्+ण्वुल्] ०शुद्ध करने वाला, साफ
करने वाला। स्वच्छ करने वाला। शोधनं (नपुं०) उद्धरण, संशोधन। (जयो० १/१३) परिशोधन,
यथार्थ निर्धारण। प्रायश्चित्त, परिमार्जन, परिशुद्धि। प्रतिहिंसा, प्रतिदान, दण्ड। ०व्यकलन, तूतिया।
०मल विष्ठा। शोधनकः (पुं० ) [शोधन कन्] दण्ड न्यायालय का अधिकारी।
प्रायश्चित्त देना, दण्ड देना। शोधनकारिणी (वि०) परिशद्धि करने वाला। (जयो० २/१२२) शोधनी (वि०) बुहारी. झाडू। शोधयन्-प्रमाजित करने वाला। (मुनि० १२) शोधयन्तु-प्रमाजित करने वाला। (जयो० २/७७)
शोधयेत्-मार्जन करें। शोधित (भू०क०कृ०) [शुध्+णिच्+क्त] शुद्ध किया हुआ,
स्वच्छ किया हुआ। सुसंस्कृत, सुसंकारित।
संशोधित, समाहित, परिमार्जित।
०परिशोधित। शोध्य (वि०) [शुध् णिच्+यत्] शुद्ध किए जाने योग्य,
संशोधन योग्य। शोफः (पुं०) [शु+फन्] सूजन, अर्बुद, रसौली, शोथ। शोफाजित् (पुं०) भिलावे का पादप। शोभन (वि०) [शोभते-शुभ+ल्युट्]
चमकीला, रमणीय, उज्जवल। प्रभावान्, कान्तियुक्त, रमणीय। सुंदर, लावण्यमय। ०भद्र, शुभ, सौभाग्यशाली।
सदाचारी, पुण्यात्मा। शोभन: (पुं०) शिव, महादेव।
०ग्रह। शोभनं (नपुं०) सौन्दर्य, कान्ति, दीप्ति, प्रभा, आभा।
कमल। शोभनदन्ति (स्त्री०) सुदन्ति, स्वच्छ दांत। (जयो० १२/११७) शोभना (स्त्री०) हल्दी। शोभमान (वि०) [शुभ+शानच्] लसता, सुंदर प्रतीत होता
हुआ। कान्तिमान्, प्रभावान्। (जयो०वृ० १/५५) । शोभा (स्त्री०) [शुभ+अ+टाप] कान्ति, दीप्ति, प्रभा, आभा।
०सौंदर्य, लालित्य, चारुता। ०लावण्य, नैसर्गिक, चारुता।
छाया, अनातप। (जयो० ३/११३) ०सौभाग्य। अद्भुतां लभते शोभां सिन्दूरेणेव संस्कृता। (जयो० ३/५९)
स्वर्ण प्रतिमा। शोभाञ्जनः (पुं०) सौहजंना तरु। शोभाधारः (पुं०) सौभाग्य का आधार। शोभाननं (नपुं०) लावण्य युक्त वदन। शोभालयः (पुं०) लालित्य का गृह। शोभाश्रयः (पुं०) दीप्ति का आधार। शोभित (भू०क०कृ०) [शुभ+णिच्+क्त] अलंकृत्, चारु,
सौंदर्य युक्त।
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