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शोकः
१०८८
शोणितकः
शोकः (पुं०) [शुच्+घञ्] रंज, दुःख, कष्ट, विलाप, रुदन, |
वेदना। (सुद० ११०) विषाद। (जयो०वृ० ३/१४) ०अप्रसन्न। (सुद० १/१०) विरज्यतेऽतोऽपि किलैकलोकः स कोकवत्किन्वितरस्त्व शोकः।' (सुद० १/१०) ०संतप्त, व्याकुल (दया० ८७)
संताप। (जयो० १५/१९) ०पीड़ा, आकुलता-'शोकस्थानसहस्त्राणि' (सम्य० ३) चिन्ता-तथैव निवत्तिग हस्थलोक :, सदान्तरात्मन्यनुबद्धशोकः। (समु० २/३३) ०सम्बन्ध विच्छे से विकलता। ०गुणानुस्मरणपूर्वक विलाप। 'शोचनं शोकः, शोचयतीति शोकः' (जैन०ल०१०६६) ०खेद, खिन्नता, दुःखोत्कर्ष। शोकगत (वि०) वेद को प्राप्त हुआ। शोकजन्य (वि०) व्याकुलता युक्त। शोकनाशः (पुं०) अशोक वृक्षा शोकपरायण (वि०) शोक से पीड़ित। शोकप्रबन्धः (पुं०) शोक समूह। (वीरो० १३/१८) शोकमोहनीय (वि०) गुणानुस्मरण पूर्वक विलाप करने वाला। शोकलासक (वि०) शोकाकुल। शोकविकल (वि०) शोक युक्त। शोकसमूहः (पुं०) शोक प्रबन्ध। शोकस्थानं (नपुं०) दु:ख स्थान, वियोग का कारण, आकुलता
का स्थान। (सम्य० ३) शोकहर (वि०) पीड़ा नाशक। शोकाकुलः (पुं०) संताप से परिपूर्ण। (जयो० १५/९) शोकाग्निः (स्त्री०) वेदना जनक अग्नि। शोकातुरः (पुं०) विषाद से भरा। (समु० ४/३५) शोकानलः (पुं०) रंज दूर करना। शोकाभिभूत (वि०) कष्टग्रस्त, वेदनाग्रस्त। शोकोपहत (वि०) दुःख से परिपूर्ण। शोचनं (नपुं०) [शुच्+ ल्युट्] विलाप, शोक, रंज, दु:ख। शोचनीय (वि०) [शुच्+अनीयर] चिन्तनीय, विचारणीय।
विलाप करने योग्य, दुःखद। शोच्य (वि०) [शुच्+ण्यत्] शोचनीय, विलाप करने योग्य।
चिन्तनीय, दयनीय।
शोचिस् (नपुं०) [शुच्+इसि] ०कान्ति, प्रकाश, चमक,
उजाला, प्रभा। शोचिष्केशः (पुं०) अग्नि, आग। शोच्यते-चिन्तन करता है। शोटीर्य (नपुं०) [शुटीर+ष्यञ्] ०पराक्रम, ०बल, ०शक्ति, ०शौर्य, शक्ति।
शूरवीरता, बलिष्टता। शोठ (वि०) [शुल्+अच्] मूख, मूढ।
०धूर्त, छली, कपटी, ठग। ०अधम नीच।
आलसी, सुस्त। शोठः (पुं०) मूर्ख, अज्ञानी व्यक्ति।
आलसी, उद्यमहीन। शोण (सक०) जाना, पहुंचना।
लाल होना, तमतमाना। शोण (वि०) [शोण्+अच्] लाल गहरा रंग। शोणः (पुं०) लोहित वर्ण।
आनन्द भाव। शोणोधरस्तु बाले सरस्वती तन्मयं मुखं चाथ। ०अरुण, लाल। (जयो० १३/२९) ०रुवारुण। (जयो० ११/१५) ० अग्नि, आग।
लाल रंग। ०ईख, गन्ना। एक अश्व विशेष।
मंगल ग्रट। शोणं (नपुं०) रुधिर, सिंदूर, रक्त, लालिमा। शोणमणिः (स्त्री०) माणिक्य। (जयो० ६/५२) शोणरसनं (नपुं०) माणिक्य, पद्मरागमणि। शोणाननं (नपुं०) लालिमा युक्त मुख। (जयो० १५/४६) शोणाम्बु (पुं०) लालिमा युक्त बादल। शोणाश्मन् (पुं०) लाल पत्थर, माणिक्य। शोणित (वि०) [शोण+इतच्] रक्तिम्, लालिमा युक्त। (सुद०
१०२)
०लाल, लोहित। शोहितं (नपुं०) रुधिर, केसर। शोणितकः (पुं०) अरुणवर्ण। (जयो० १८/२२)
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