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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शैलधन्वन् १०८७ शैलधन्वन् (पुं०) शिव, महादेव। शैलधरः (पुं०) कृष्ण, वासुदेव। शैलनिर्यासः (पुं०) शैलयगन्ध, शिलाजीत। शैलपत्रः (पुं०) बिल्वतरु। शैलपुत्री (स्त्री०) गौरी, पार्वती। शैलभित्तिः (स्त्री) टांकी, प्रस्तर छैनी। शैलभूपः (पुं०) गिरिराज। (जयो० १६/१४) शैलभेदक (वि०) पत्थर तोड़ने वाला। शैलमाला (स्त्री०) पर्वत श्रृंखला, गिरिकूट। शैलरन्ध्र (नपु०) गुफा, कन्दरा। शैलशिविरः (पुं०) समुद्र, सागर। शैलसारः (वि०) चट्टान की तरह दृढ़, अत्यंत कठोर। शैलसुता (स्त्री०) गौरी, पार्वती। शैलांशः (पुं०) एक देश का नाम। शैलाग्रं (नपुं०) पर्वत कूट। शैलाटः (पुं०) पहाड़ी, असम्भ व्यक्ति। सिंह। शैलाधिपः (पुं०) हिमालय, हिमगिरि। शैलाधिराजः (वि.) हिमगिरि, हिमालय। मेरु पर्वत। शैलानुकतु (वि०) पर्वत सदृश अनुकरण करने वाला। 'शैलं पर्वतमनुकरोतीति तस्य शैलानुकर्तुः' (जयो०वृ० ८/३५) शैलालिन् (पुं०) [शिलालिना मुनिना प्रोक्तं, नर सूत्रमधीयते शिलालि-णिनि] नर्तक, नायक, अभिनेता। शैलिक्य (वि०) [गर्हितं शीलमस्त्यस्य-ठन्, शीलिक-ष्यञ्] पाखण्डी , छल, धूर्त, ठग। शैली (स्त्री०) [शीलमेव स्वार्थ ष्यत्र डीपि य लोपः] अभिव्यक्ति, विचार निरूपण की पद्धति, विवेचना का प्रकार। वृत्ति, विश्लेषण, व्याख्या। निरूपण, कथन। शैलूषः (पुं०) [शिलूषस्यापत्यं-शिलूष+अण्] नर्तक, नायक, नेता, अभिनेता। (सुद० १२८) शैलूषिक (वि०) [शैलूषं तवृत्तिं अन्वेष्टा-ठक्] अभिनय का व्यवसायी। शैलेय (वि०) [शिलायां भव:, शिला+ठक] पर्वतीय, पहाड़ी। ___०पथरीला, प्रस्तर सदृश कठोर। शैलेयः (पुं०) सिंह। ०भ्रमर, भौंरा। शैलेयं (नपुं०) पर्वत ग्रन्थ द्रव्य, धूप, सुगन्धित राल। ०सेंधा नमक। शैलेश (पुं०) मेरु पर्वत, 'सेलेसो किर मेरु' (जैन०ल० १०६६) शैलेशी (वि०) शैलेश की तरह निश्चल रहने वाला, शील में विशिष्ट। शीलानोमीश: शैलेश: तस्य भावः। (जेन०ल० १०६६) शीलनामष्टादश सहस्त्रसंख्यानामीशः शैलेशः शैलेशस्य भावः शैलेशी' (जैन०ल० १०६६) शैलेश्य (वि०) पर्वत की तरह दृढ़ रहने वाला। ०शील में स्थिर रहने वाला। शैलोचितः (पुं०) पर्वत प्रदेश के उचित। (जयो० ६/२४) शैल्य (वि०) [शिला+ष्यञ्] पथरीला, पत्थरों से युक्त। शैलयं (नपुं०) कठोर, दृढ़। शैव (वि०) [शिवो देवताऽस्य-अण] शिवसम्बंधी, शिव को मानने वाले। कर्म की उपाधि से रहित। कर्मोपाधि विनिर्मुक्तं तद्रूपं शैवमुच्यते' (जैन०ल० १०६६) शैवः (पुं०) शिवभक्त लोग। शैवं (नपुं०) अष्टादश पुराणों में से एक पुराण। शैवंकटी (स्त्री०) शिवकंटा रानी। (जयो० २६/२) शैवधर्मी (वि०) शिवभक्त। (वीरो० १५/४५) शैवल: (पुं०) [शी+बलच्] शैवाल, पानी की घास। सेवाई, चोई, काई, मोक्ष। सेवार (जयो० ८/९१) पद्म काष्ठ। शैवलं (नपुं०) सुगन्धित लकड़ी। शैवलपलं (नपुं०) काई समूह-जलमलानां दलस्य। (जयो० १४/४९) शैवलिनी (स्त्री०) [शैवल+इनि+ङीष्] नदी, सरिता। शैवालः (पुं०) पानी की घारस, जलीय घास, सेवाई चोई। (सुद० २/७) (जयो० १३/९२) काई, मोथा। शैवालदलं (नपुं०) जलीय घास समूह। (जयो० १३/९७) शैव्यः (पुं०) पाण्डु सेना का योद्धा। शैशवं (नपुं०) [शिशोर्भावः अण] बाल्यकाल। (जयो० २३/५७) बाल्यावस्था, बचपन, सोलह वर्ष से नीचे का समय। शैशवयुक्त (वि०) बाल्यावस्था सहित। (जयो० ५/७१) शैशिर (वि०) [शिशिर+अण] सर्दी से सम्बंधित। शो (सक०) तेज करना, तीक्ष्ण करना। पैना करना। ०पतला करना, कृश करना। ९ पवता For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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