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शीधु
१०७४
शुंशुमार
शीधु (पुं०/नपुं०) अंगुर की शराब। शीधुगन्धः (पुं०) बकुलवृक्षा शीन (वि०) [श्यैक्त] धनीभूत, जमा हुआ। शीन: (पुं०) जड़, बुद्ध, मूर्ख। ०अजगर। दरिनोऽजगरमूर्खयो, ___ अवकाशे सुरके वीचि 'इति वि० (जयो० १५/६) शीभ् (सक०) बतलाना, कहना, समझाना।
शेखी बघारना। शीकयः (पुं०) सांड। (शिव) शीरः (पुं०) [शीङ् रक्] अजगर।
सूर्य। (वीरो० २/२२) शीरोचित (वि०) सूर्य के समान।
मदुक्तिरेषा भवतोः सुवस्तु समस्तु किन्नो वृषवृद्धिरस्तु। अनेकधान्यार्थमुपायकोंर्महत्सु
शीरोचित धम्मभों:। (सुद० २/२९) शीर्था (भू०क०कृ०) [शृ+क्त] मुाया हुआ, कुम्हलाया
हुआ। ०म्लान, क्लांत, सूखा, शुष्क। ०टूटा-फूटा, चूर-चूर हुआ।
०कृश, दुर्बल, क्षीण, कमजोर। शीर्धा (नपुं०) एक गन्ध विशेष। शीर्णपादः (पुं०) यम। शनिग्रह। शीर्णपर्णं (नपुं०) मुझया हुआ पत्ता, शुष्क पत्ता। शीर्षावृन्तं (नपुं०) तरबूज। शीर्णाङ्घिः (पुं०) यम। ०शनिग्रह। शीर्वि (वि०) [श+क्तिन्] विनाशकारी, अनिष्टकर, क्षतिकर, | ___ आघात युक्ता। शीर्ष (नपुं०) काला अगर।
सिर, उन्नत। शीर्षछेदः (पुं०) सिर काट डालना, मस्तक घात। शीर्षछेद्य (वि०) सिर काटने योग्य। शीर्षण्यः (पुं०) [शीर्षन्+यत्] साफ-सुथरा सिर। शीर्षन् (नपुं०) सिर, मस्तक। शीर्षरक्षकं (नपुं०) लोहे का टोप, सिरस्त्राण। शील् (सक०) सेना करना, सम्मान करना। पूजा करना।
* अभ्यास करना। ०अध्ययन करना, चिन्तन करना। ०ध्यान करना, ०धारण करना, पहनना।
शीलः (पुं०) [शील्+अच्] अजगर सर्प। शीलं (नपुं०) प्रकृति, स्वभाव, प्रवृत्ति, चरित्र, सदाचरण।
शीलस्य पालनेवैवमन्तरात्मा विशुद्धयति। यतो निश्चितरूपेण, पुमान्ह सद्गति भाग्भवेत्।। (हित०४३) वंशशील विभवादि वराणाम्। (जयो० ५/३७) ०रुचि, आदत, प्रथा, पद्धति. नियम। ०व्रतों, की रक्षा-पदपरिरक्खणं सील। (सुद० १३२) ०ब्रह्मचर्य, समाधि। सावद्ययोग का प्रत्याख्यान। व्रतों का परिपालन।
सद्गुण, सज्जीवन। शीलखण्डनं (नपुं०) सद्गुण का विनाश। शीलगत (वि०) सदाचरण को प्राप्त हुआ। शीलधारिन् (वि०) शील पालक। शीलनं (नपुं०) [शील् ल्युट्] ०समागमन। (वीरो० १/१७)
अनुशीलन, प्रयोग (सुद० १/९) यच्छीलनादेव निरस्तदोषा
पयस्विनी स्यात्सुकवेश्वच गौः सा (सुद० १/१) (समु०) शीलभू (वि०) शीलवती, शील वाली। हरे: प्रिया सा चपलस्व
भावा मृडस्य निर्लज्जतयाऽघदा वा। रतिस्त्वदृश्या कथमस्तु पश्य तस्याः समाशील भुवोऽत्र
शस्य।। (वीरो० ३/१७) शीलवंचना (स्त्री०) शील का उल्लंघन, शील विनाश, सद्गुणों
का घात। शीलवती (स्त्री०) साकेत अधिपति वज्रषेण की रानी। (वीरो०
११/२८) शीलसुगंधयुक्त (वि०) शील की सुरभि से युक्त, सदाचरण
की गन्ध से परिपूर्ण। (सुद० २/९) मालेव या शीलसुगन्ध
युक्ता शालेव सम्यक् सुकृतस्य सूक्ता। (सुद० २/९) शीलान्वित (वि०) शील युक्त। (समु० ६/४) शीलाधारः (पुं०) शील का आश्रय। शीलाश्रयः (पुं०) शील गुण। ०सदाचरण। शीलित (भू०क०कृ०) [शील्+क्त] ०युक्त, सहित, सम्पन्न।
०प्रयुक्त, प्रवृत्ति युक्त। ०शील सम्पन्न, शील पालक।
कुशल, प्रवीण। शीवन् (पुं०) [शीड्+क्वनिप्] अजगर। शीशः (पुं०) सिर, मस्तक। शंशुमार (पुं०) सूंस, एक जलजन्तु मगर की तरह।
गपाता
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