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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शीकरं १०७३ शीतालु शीकर (नपुं०) साल वृक्षा शीतभानुः (पुं०) चन्द्र, शशि। शीघ्र (वि०) [शिङ्घ रक्] त्वरित, जल्दी, सत्वर, फुर्तीला। शीनभीरू (स्त्री०) मल्लिका, चमेली। (जयो० १४/८९) शीतमयूखः (पुं०) चन्द्र, शशि। शीघ्रः (पुं०) ग्रहयोग। ०कपूर। शीघ्रं (अव्य०) जल्दी से, शीघ्रता से। (जयो० १/२६) शीतमरीचि (पुं०) चन्द्र, शशि। शीघ्रकारिन् (वि०) चुस्त, फुर्तीला, गतिशील, शीघ्रता (दयो०७६) | शीतरश्मि (पुं०) चन्द्र, शशि। (जयो० ४/५०) (जयो० ३/१५) शीघकोपिन (वि०) क्रोधी, कोपी। गुप्तिभागिह च कामवत्तु नः पक्षपाति च शीतरश्मिवत्पुनः। शीघ्रगामिन् (वि०) द्रुतगामी। (जयो०व० २१/१०) (जयो० ३/१५) शीघ्रचेतनः (पुं०) श्वान, कुकुर, कुत्ता। शीतरुच् (पुं०) चन्द्र, शशि। शीघ्रबुद्धिः (स्त्री०) तीक्ष्णबुद्धि। शीतल (वि०) [शीतं लाति-ला+क] ठण्डा, सर्द। शीघ्रलङ्घन (वि०) तेज करने वाली, फुर्ती से। शीतलः (पुं०) शीतलनाथ तीर्थंकर, ग्यारहवें तीर्थंकर शीतलनाथ शीघ्रवेधिन् (पुं०) तेज धनुर्धर। (भक्ति०१८) शीघ्रिन (वि०) [शीर्घ+इनि] सत्वर. जल्दी. त्वरित। ०चन्द्र, शशि। शीतलं (नपुं०) ठण्ड, सर्द। शीत् (अव्य०) आकस्मिक, पीड़ा। ०कमल। शीत (वि०) [श्यै+क्त] ठण्डा, शीतल, सर्द, (सम्य० ४६) तूतिया। मन्द, आलसी, उदासीन। मोती। सुस्ता ०चंदन। शीतः (पुं०) नीलवृक्षा शीतलछदः (पुं०) चम्पक वृक्ष। ०शीत ऋतु। शीतलजलं (नपुं०) कमल, पद्म। ०कपूर। शीतलनाथः (नपुं०) ग्यारहवें तीर्थंकर का नाम। शीतं (नपुं०) ठण्डक, सर्दी। शीतलप्रदः (पुं०) चंदन। ०जल। शीतलप्रसादः (पुं०) एक बीसवीं सदी के जैन तत्त्व विचारक। दालचीनी। शीतलषष्ठी (स्त्री०) माघ शुक्ला छठ। शीतक (वि०) [शात कन्] ठण्डा, सर्द। शीतला (स्त्री०) [शीतल+टाप्] चेचक। ०शीतला माता, एक शीतकालः (पुं०) सर्दी का समय, ठण्ड का मौसम। देवी। शीतकालीन (वि०) शीतऋतु सम्बंधी। शीलपूजा (स्त्री०) शीतलादेवी की पूजा। शीतकृच्छ्रः (पुं०) शीत में की जाने वाली साधना। शीतली (स्त्री०) चेचक। शीतगन्धं (नपुं०) सफेद चन्दन। शीतवाधा (स्त्री०) सर्दी का प्रकोप। (जयो० १४/७१) शीतगुः (पुं०) चन्द्र, शशि। शीतसमीरः (पुं०) ठण्डी हवा। (जयो० १४/७१) __०कपूर। शीतकलित (वि०) ठण्ड से व्याकुल, सर्दी से पीड़ित। (वीरो० शीतचम्पकः (पुं०) दीपक। ९/२९) ०दर्पण। शीताक्रमणं (नपुं०) शीत प्रकोप, सर्दी का प्रकोप। (वीरो० शीतदीधिति (पुं०) चन्द्र, शशि। ___९/३९) शीतानुयोगात्पुनरर्धरात्रेः। शीतधामा (पुं०) चन्द्रमा, शशि। (जयो० १६/१०) शीताति (स्त्री०) शीतपीड़ा, सर्दी का दुःख। शीतस्य शीतपुष्पः (पुं०) सिरस वृक्ष, शिरीष वृक्ष। पीडामनुभवतेवामि शीतसमीर-भाज। (जयो० १४/७१) शीतपुष्पकं (नपुं०) शैलेय गन्धद्रव्य। अतिशीतलवायु। शीतप्रभः (पुं०) कपूर। शीताल (वि०) [शीतं न सहते-शीत-आलुच] ०शीत प्रकोप ०चन्द्र, शशि। युक्त, सर्दी की पीड़ा वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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