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शिथिलं
१०६९
शिलाजितः
शिथिलं (नपुं०) सुस्ती, आलस्य, उदासीनता।
शिरगृहं (नपुं०) चन्द्रशाला, अट्टालिका। शिथिलता, ढीलापन।
शिरग्रहः (पुं०) सिरदर्द, सिर पीड़ा, शिरो वेदना। शिथिलत्व (वि०) शिथिलता, ढीलापन। (जयो० १७/६२) शिरश्चालनं (नपुं०) अग्रभाग चालन। (जयो० १/८२, ३/६१) शिथिलित (वि०) [शिथिल+इतच] ढीला किया हुआ। शिरश्प्रदेशः (पुं०) मुख्य भाग। (समु०३/१५) ०उन्नत कूट, ०विश्रान्त, खोला हुआ।
उन्नत शिखर भाग। प्रविलीन।
शिरसिजः (पुं०) सिर के बाल। शिनिः (पुं०) [शी+निः] योद्धा।
शिरखी (वि०) शिरोमणि (समु० २/१३) शिपिः (स्त्री०) [शी+क्विप] किरण, प्रभा।
शिरस्कं (नपुं०) लोहे का टोप, पगड़ी, टोपी। ०त्वचा, चमड़ी।
शिरस्का (स्त्री०) [शिरस्क+टाप्] पालकी। शिविका। शिप्रः (पुं०) [शि+रक्] हिमालय स्थित सरोवर।
शिरस्तस् (अव्य०) [शिरस्+तस्] शिर सम्बंधी, सिर से। शिप्रा (स्त्री०) [शिंप्र+टाप्] शिप्रा नदी, उज्जयिनी नगर इसी । शिरस्तिर (वि०) मस्तक, झुका हुआ। (सुद० २/२५)
नदी के तट पर स्थित है। जिसे क्षिप्रा भी कहते हैं। शिरस्थित (वि०) सिर पर स्थित। (वीरो० ७/१८) शिफा (स्त्री०) रेशेदार जड़।
शिरस्य (वि०) [शिरसि भवः यत्] सिर सम्बंधी। ०कमल की जड़।
शिरस्वः (पुं०) सिर का टोप। (समु० ३/१६) ०मां, एक नदी।
शिराल (वि०) शिरायुक्त, स्नायवी। शिफाकः (पुं०) [शिफा+कन्] कमल जड़।
शिरि (पुं०) [श+कि] असि, तलवार। शिफाधरः (पुं०) शाखा।
०बाण। शिखारुहः (पुं०) वटवृक्ष।
टिड्डी। शिवि (वि०) शिकारी।
शिरीषः (पुं०) सिरस का पेड़। शिवि (पु०) भूर्जवृक्षा
शिरीषं (नपुं०) सिरस पुष्पा शिविका (स्त्री०) [शिवं करोति-शिव+णिच्+ण्वुल्] डोली, सिरीषकोषः (पुं०) शिरीष पुष्प समूह। (जयो० ३/२५) पालकी।
'शिरीषस्य कोषादपि। शिबिरं (नपुं०) [शेरते राजबलानि अत्र शी-किरच बुकागमः] शिरोधरा (स्त्री०) ग्रीवा, गर्दन। ___तम्बू, खेमा, पड़ाव, सैन्य विराम।
शिरोधार्य (वि०) स्वीकार। (दयो० ७०) शिम्बा (नपुं०) [शम्+ इम्बच्] फली, छीभी, सेम। शिरोमणिः (स्त्री०) चूडामणि रत्न। (जयो०वृ० १/७९) शिम्बिका (स्त्री०) [शिम्बा+कन्+टाप्] सेमफली, बालौर। शिरोमर्मन् (पुं०) सूकर, सूअर। शिम्बी (स्त्री०) फली, सेमफली, बालौर।
शिरोमालिन् (पुं०) शिव। शिरं (नपुं०) [शृ+क] सिर। पिप्परामूल, पीपल की जड़। शिरोरत्तं (नपुं०) चूडामणि रत्न। शिरः (पुं०) शय्या। ०अजगर।
शिरोरुजा (स्त्री०) सिर की वेदना। शिरस् (नपुं०) [शृ+असुन्] सिर, मस्तक।
शिरोरुह् (पुं०) सिर के बाल। ०खोपड़ी, शिखर,शृंग, चोटी। (जयो०वृ० २/३०) शिरोशूलं (नपुं०) सिरदर्द। ऊपरी भाग, उन्नत भाग। (सुद० पृ० ७०)
शिरोहारिन् (पुं०) शिव। भाल, ललाट। (सुद० १२५)
शिल् (सक०) इकट्ठा करना, पत्थर एकत्रित करना। ०कंगूरा, कलश, उच्चतम शिखर। (सुद० ११५) शिलः/शिलं (पुं०/नपुं०) [शिल्+क] बालें चुनना। मुख्य, प्रधान, प्रमुख, विशिष्ट। (जयो० १/६९) शिला (स्त्री०) [शिल+टाप्] चट्टान, पत्थर। वाद्य विशेष। (जयो० १०/१५)
०मैनशिल। कुम्भस्थल। (जयो०६/२२)
०कपूर। ०अग्रभाग, अगला हिस्सा।
शिलाजितः (पुं०) शिलाजीत। एक शक्तिवर्धक औषधि।
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