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शमीन:
१०५२
शयालुः
शमीनः (पुं०) समत्वधारी व्यक्ति। समन्तातः समतां शमीनः |
(वीरो० १२/३३) शमीधान्यं (नपुं०) द्वि दल युक्त दाल। शमीशानः (पुं०) ऋषिराज, समता सम्पन्न, समत्व शिरोमणि।
(जयो० १९८७) शम्पा (स्त्री०) [शम्+पा+क] विद्युत बिजली। (जयो०८/८)
(वीरो० २/३३) 'शं शान्तिं पातीति शम्पा' (जयो० ३/८७) शम्फली (स्त्री०) सम्भली, विलासिनी। (जयो० २६/१७) शम्ब (सक०) जाना, पहुंचना। ___०संचय करना, एकत्रित करना। शम्ब (वि०) [शम्ब्+अच्] ०प्रसन्नता, खुशी, आनंद।
०भाग्यशाली, अभागा। शम्बः (पुं०) [शम्ब्+अरच्] एक राक्षस विशेष।
पर्वत, गिरि।
युद्ध, संग्राम। शम्बरं (नपुं०) जल, वारि।
मेघ, बादल। शम्बरी (स्त्री०) [शम्बर ङीष्] माया, जादू। जादूगरनी स्त्री। शम्बलः (पुं०) ०तट, किनारा। शम्बलं (नपुं०) ०पाथेय, मार्गव्यय।
स्पर्धा, ईर्ष्या। शम्बली (स्त्री०) कुटनी, दूती। शम्बु/शम्बुकः (पुं०) घोंघा। शंख। शम्भः (पुं०) [शम्भः ] इन्द्र वज्र। ०हर्षित व्यक्ति। शम्भली (स्त्री०) [शम्भल ङीष्] दूती, कुटनी। शम्भु (वि०) [शमृ+भू+डु] हर्षित करने वाला, आनन्द देने
वाला, कल्याणकर। (जयो० १/३०) शम्भुः (पुं०) शिव, महादेव, रुद्र। (जयो० १/३०) प्रजासु
शम्भुः कल्याणकरः, रुद्रश्च सन् महीभृतां राज्ञां शिरस्सु
(जयो०वृ० १/३०) शम्भुतनयः (पुं०) कार्तिकेण, गणेश। शम्भुनन्दनः (पुं०) गणपति, गणेश। शिवतनय। शम्भुप्रिया (स्त्री०) दुर्गादेवी। शम्भुवल्लभं (नपुं०) श्वेत कमल। शम्भुस्तुतः (पुं०) कार्तिकेय, गणेश। शम्मुक् (स्त्री०) दन्तकान्ति, दशनप्रभा। 'शमानन्दं मुञ्चतीति |
शम्मुक्'। (जयो०७० ३/२२) शम्या (स्त्री०) [शम्+यत्+टाप] छड़ी, डंडा, झाझ।
शय (वि०) [शी+अच्] शयन करने वाला, सोने वाला। शयः (पुं०) निद्रा, नींद।
०शय्या, आसन, विस्तरा।
हाथ। ०अजगर
अभिशाप।
हस्त (जयो०६/२०) (जयो० १/४७, ११/४१) शयण्ड (वि०) [शी+अण्डन्] निद्रालु। शयथ (वि०) [शी+अथच्] निद्रालु, आलसी। शयथः (पुं०) मृत्यु, मरण।
०अजगर। : ०मत्स्य, मछली। शयनं (नपुं०) [शी+ल्युट्] निद्रा, सोना, शयन करना, नींद
लेना। चकार शय्यां शयनाय तस्याः (वीरो० ५/३८) ०शय्या। (सुद० ९९)
संभोग, मैथुन। शयनगृहं (नपुं०) शयनकक्ष, निद्रालय, सोने का कमरा। शयनजन्य (वि०) निद्रा को प्राप्त। शयनभावः (पुं०) स्वप्न। (जयो० ५/१०) शयनविकल्पः (पुं०) स्वप्न। (जयो०वृ० २२/५८) शयनसखी (स्त्री०) शय्याकेली की सहेली। शयनसदनं (नपुं०) शय्यागृह, शयनकक्षा (जयो० १८/२४) शयनस्थानं (नपुं०) शय्या स्थल, शयन स्थल, सोने का स्थान। शयनार्थ (वि०) शय्यार्थ, शयन के लिए प्राप्त। (दयो० ८९) शयनावस्था (स्त्री०) शयनभाव। (जयो०वृ० ५/१०) शयनीय (वि०) [शय+अनीयर] शय्या को प्राप्त हुआ, शय्यागत।
(सुद० ३/२२) शयनीयं (नपुं०) शयन, बिस्तरा, बिछौना। शयप्रद (वि०) शय प्रदान करने वाला। (समु० ३/८)
* शय्याप्रदायक, आसनदायक। शयानकः (पुं०) [शी+शानच्+कन्] गिरगिट।
०सर्प, अजगर।
०शय्या। (सुद० ९८) शयाना (वि०) सोती हुई, शयन करती हुई। (सुद० २/१०) शयालीन्द्रियकुशेशयः (पुं०) भ्रमर रूप नेत्र। (वीरो० २१/६) शयालु (वि०) [शी+आलुच्] सोए हुए (सम्य० १/७) निन्द्रालु,
आलसी, तन्द्रालु। शयालुः (पुं०) सर्प, सांप, अजगर।
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