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शयित
१०५३
शरन्नवोढा
शयित (भू०क०कृ०) [शी+कर्तरि+क्त] सुप्त, सुसुप्त, सोया
हुआ।
०लेटा हुआ। शयु (पुं०) अजगर सर्प, सांप। (समु० ५/३२) शयोपचित (वि०) हाथ में स्थित, करगत, हस्त गत। (जयो०
१२/११) शयोभयोपयोक्त्री (वि०) दोनों हाथ जोड़ने वाली। खड़ी।
शययोरुभयस्य हस्तद्वयस्य उपयोक्ती भवामि।
(जयो०वृ० १२/३) शय्या (स्त्री०) [शी आधारे क्यप्+टाप्] आसन, बिछौना,
विस्तरा, संस्तर। (सुद० ७८) समदायि जनेश्वरेण मह्यामपि पद्माप्रणयेश्वराय शय्या।
यदहीनगुणैर्नरोत्तमाय विषदैः सङ्कघटितेऽपि सम्प्रदाय।। शय्यागारः (पुं०) शयन भवन, शय्यागृह। शय्यागृहं (नपुं०) शयन स्थान। (जयो० १५/७३) शय्यापालः (पुं०) नृप शय्या अधीक्षक। शय्यापालः (पुं०) नृप शय्या का अधीक्षक। शय्यामूलं (नपुं०) शय्यास्थान। (जयो० १८/९५) शय्यासदृशी (वि०) शयनके सदृश, शय्या के समान। (जयो०७०
१६/२४) शय्यास्थं (नपुं०) शय्यास्थान, शय्यागृह, शयनकक्ष।
(जयो० १८/९५) शय्योत्सङ्गः (पुं०) पलंग का पार्श्वभाग, पलंग का पीछे का
हिस्सा। शरः (पुं०) [शृ+अच्] बाण, तीर। (सुद०१/४०) तेजनक,
तीक्ष्ण। (जयो० ३/२७) ०पांच की संख्या। ०चोट, क्षति, घाव।
मलाई। शरटः (पुं०) [श+अटन्] गिरगिट।
०कुसुम्भ। शरणं (नपुं०) [शृ+ल्युट] ०आश्रय, सहारा, स्थान, विश्रामस्थल।
(भक्ति० २५) ०प्रतिरक्षा, सहायता, साहाय्य।
०ओट। शरण्डः (पुं०) [शृ+अंडच्] पक्षी, गिरगिट। ०ठग, धूर्त, छली।
लम्पट, स्वेच्छाचारी। ०एक आभूषण विशेष।
शरण्य (वि०) [शरणे साधुः यत्] प्रतिरक्षक, रक्षा करने
योग्य, बचाने योग्य।
आश्रय योग्य, आधार योग्य। शरण्यं (नपुं०) आश्रय स्थल, शरणगृह, प्रतिरक्षा, सुरक्षित
स्थान। शरण्युः (पुं०) प्रतिरक्षण, मेघ। शरत्कालः (पुं०) शरद ऋतु। (जयो०वृ० ४/५६) शरत्कालीन (वि०) शरद ऋतु सम्बंधी। शरत्सम्मुखः (पुं०) शरद ऋतु के समीप। (वीरो०२१/९) शरत्समनुयायिनी (वि०) शरद ऋतु का अनुसरण करती हुई।
शरदृतोरनुकरणशीला (जयो०७० ३/८) शरद् (स्त्री०) [शृ+अदि] शरत्काल, शीतकाल, आश्विन एवं
कार्तिक मास में होने वाली ऋतु। (सुद० ३/३२, जयो० ३/५७) (सुद० १/८)
शरं ददातीति शरदं-मुक्तावली सहित। ०हार देने वाली। (जयो०वृ० २२/२) ०वर्षावसान समय (जयो०४/९) पक्वबाल सहिता शरदेषा शालिकालिभिरुपाद्रियते वा। (जयो० ४/५७) भूरिधान्यहितवृत्तिमतीतन्निर्जरत्वधिगन्तुमपीतः। संविकाशयति वा जडजातमप्युदर्कमनुयात्यथवाऽतः।। (जयो० ४/५८) शरदि उज्ज्वलैर्विकाशिभिः जलोद्भवेः कमलैर्निष्ठं युक्तं तथा, प्रोल्लसत्तमेन परमप्रसक्तियुक्तेन मरालेन हंसेन विशिष्टं
नीरं सरोवरजलं तत् तस्य। (जयो०वृ० ४/५९) शरद्धरा (स्त्री०) शरत्काल की पृथ्वी। (वीरो० २१/३) शरर्दोघः (पुं०) शरद्कालीन बादल। शरदा (स्त्री०) [शरद्+टाप्] ०पतझड़। ०वर्ष। शरदिज (वि०) [शरदिजायते-जन्-ड सप्तम्या अलुक्] पतझड़
से संबंध रखने वाला। शरदीव (वि०) शरद ऋतु की तरह। (सुद० ७८) शरद्योगिसभा (स्त्री०) शरद ऋतु में रोगियों की सभा।
विलोक्यते हंसरवः समन्तान्मौनं पुनर्भोगभुजो यदन्तात्।। दिवं समाक्रामति सत्समूहः सेयं शरद्योगिसभाऽस्मदूहः।।
(वीरो० २१/५) शरधि (पुं०) तूणीर, तरकश। (वीरो० ८/१९) __०जलधि, समुद्र। (वीरो० ८/१९) शरन्नवोढा (स्त्री०) शरद ऋतु रूपी नवोढा बहु। (वीरो० २१/२)
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