SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 189
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्युष्ट १०४२ व्रणकृत् ०अभाव, विराम। व्योमनाशिका (स्त्री०) बटेर, लवा। ०अलगाव। व्योमभंजरं (नपुं०) ध्वजा, पताका। व्युष्ट (भू०क०कृ०) [वि+उष्+क्त] प्रज्ज्वलित किया हुआ, व्योममण्डलं (नपुं०) ध्वजा, पताका। उज्ज्वल किया हुआ। व्योममुद्गरः (पुं०) पवन का वेग, वायु प्रवाह। प्रभात, पौफटी। व्योमयानं (नपुं०) विमान, आकाशयान, हवाई जहाज व्युष्टं (नपुं०) पौ फटना, प्रभात। ____ वायुयान। (समु० ४/३६) (जयो० १०/८६) व्युष्टिः (स्त्री०) [वि+वस्+क्तिन्] प्रभात, प्रात:काल, पौ व्योमसद् (पुं०) देव, सुर, गन्धर्व, फटना। भूतप्रेत, पिशाच, राक्षस। समृद्धि, प्रशंसा। व्योमसर्सिणी (वि०) आकाश व्यापिनी। (जयो० ३/५७) ०फल परिणाम। व्योमस्थली (वि०) गगनचुम्बी. आकाश को छ जाने वाली। व्यूढ (भू०क०कृ०) [वि+वह्+क्त] विशाल, विस्तृत, व्यापक। व्रज् (सक०) जाना, चलना, प्रगति करना। (सुद० २/२४) ०फुलाया हुआ, विकसित। ०पधारना, पहुंचना। व्रजिष्यासि (दयो०६०२, जयो०१/३९) * व्यवस्थित, क्रमहीन। आना-'अपि निर्भयमास्थिताः कथं व्रजतीतः खलु वाजिनां व्यूत (वि०) [वि+वे+क्ता] अन्तर्बलित, सीया हुआ। व्रजः। (जयो० १३/१४) व्रजः समूहो व्रजति व्यूतिः (स्त्री०) [वि+वे+क्तिन्] बुनाई, सिलाई। अनुगमन करना-विपदि वज्रायते सत्वाद् (सुद० १२४) व्यूहः (पुं०) [वि+ऊ+घञ्] सैनिक रचना, सैन्य प्रक्रिया। | व्रजः (पुं०) समूह, समुच्चय, समुदाय। (जयो०५/८, जयो० शत्रु को घेरने की पद्धति। १३/१४) वज्रः समूहो व्रजति (जयो०वृ० १३/१४) सेना, समूह, दल। चरगाह स्थान, गौशाला, गोष्ठ। ०समवाय, समुच्चय, संग्रह, समुदाय। आवास, आरामगृह, विश्रामालय। शोध। ०पथ, मार्ग, रास्ता, सड़क। ० भाग, अंश, उपशीर्ष। ०मथुरा के समीपस्थ स्थान। ०संरचना, निर्माण। व्रजनं (नपुं०) [व्र+ल्युट्] घूमना, विचरण करना, हिंडन, ०तर्कना, तर्क। भ्रमण, परिभ्रमण। व्यूहनं (नपुं०) [वि+ऊ ल्युट] सेना को व्यवस्थित करना, फिरना, टहलना। सेना को क्रमबद्ध करना। निर्वासन, देश निकाला। व्यद्धिः (स्त्री०) [विगता ऋद्धि] समृद्धि का अभाव। व्रज्या (स्त्री०) [व्रज्+क्यप्+टाप्] प्रवजित होकर घूमना। व्ये (सक०) ढकना, सिलना, सिलाई करना। ०प्रस्थान, गमन। व्योकारः (पुं०) [व्ये मनिन्] आकाश, अंतरिक्ष, गगन, नभ ०आक्रमण। (जयो० ३/१११) समुदाय, ओघ, सम्प्रदाय। जल। रंगभूमि, नाट्यशाला। सूर्यमन्दिर। व्रण (अक०) ध्वनि करना, शब्द करना। ०अभ्रक। ०चोट पहुंचाना, घायल करना। व्योमकेशः (पुं०) शिव, महादेव। व्रणः (पुं०) [व्रण+अच्] दाग, चिह्न, कलंक। (जयो० १५/५६) व्योमकेशिन् (पुं०) शिव। घाव, चोट। (मुनि० ३१) व्योमचारिन् (पुं०) पक्षी, खग। ०व्रणसद्भाव। (जयो० ११/६३) ___०तारा, नक्षत्र। फोड़ा, नासूर। व्योमतलं (नपुं०) आकाश भाग। (वीरो० २१/७) वणकृत् (वि.) घाव करने वाला। व्योमधूमः (पुं०) मेघ, बादल। व्रणकृत् (पुं०) एक वृक्ष विशेष। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy