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व्यासङ्गः
१०४१
व्युपशमः
हुआ, लगा हुआ, व्यस्त।
०अव्यवस्था। नियुक्त, अलग किया हुआ।
व्युत्क्रान्त (भू०क०कृ०) [वि+उत्+क्रम्+क्त] व्यासङ्गः (पुं०) [वि+आ+सञ्+घञ्]
०अतिक्रान्त, उलंघित। प्रसंग। (दयो०६५)
विसर्जित। ध्यान।
परित्यक्त, छोड़ा गया। भक्ति ।
बिदा किया गया। एकाग्रता, संयोग, तल्लीनता।
व्युत्थानं (नपुं०) [वि+उत्+स्था ल्युट्] महान् क्रिया कलाप, व्यासपिन् (पुं०) व्यास ऋर्षि। पाण्डवों के दादा।
रुकावट। व्यासर्षिणाथो भविता पुनस्ताः,
स्वतंत्र कर्म। प्रयत्नतः सङ्कलिताः समस्ताः।
व्युत्थित (वि०) आनन्दित, हर्षित। (जयो० २३/१५) यथोचितं पल्लविताश्च तेन,
व्युत्पत्तिः (स्त्री०) [वि+उत्+पद्+क्तिन्] •मूल उत्पत्ति. मूल सङ्कल्पने बुद्धिविशारदेन।।
कथन। (वीरो० १८/५४)
विवेचन, व्युत्पादन, पूर्ण विवरण। (दयो० १/९)
०पूर्ण जानकारी, शब्द संज्ञा, क्रियादि की विवेचना पूर्वक व्यासिद्ध (भू०क०कृ०) [वि+आ+विध्+क्त] निषेधित।
ज्ञान। प्रतिषिद्ध, वर्जित। व्यासोपसंग्रहीत (वि.) वेद व्यास जी द्वारा संकलित। (वीरो०
व्युत्पन्न (भू०क०कृ०) [वि+उत्+पद्+क्त] विद्वान्, ज्ञानी,
प्रज्ञा (सुद० ४/३८) प्रवीण। ८/२०)
निरुक्त, निर्वचन द्वारा प्रतिपादित। व्याहत (भू०क०कृ०) [वि+हन्आ+हन्+क्त] अवरुद्ध, रोका
०व्याकरण के नियम द्वारा निष्पन्न। हुआ।
०पूरा किया गया, सम्पन्न किया गया। हटाया हुआ, पीछे किया हुआ।
व्युत्त (भू०क०कृ०) [वि+उन्द्+क्त] क्लिन्न, आर्द्र, भिगोया विफल किया हुआ।
हुआ। निराश।
व्युत्सर्गः (पुं०) छोड़ना, त्यागना, ममत्व त्याग, व्युत्सर्ग समिति। व्याकुल, घबड़ाया हुआ, आतंकित।
व्युदस्त (भू०क०कृ०) [वि+उद्+अस्+क्त] अस्वीकृत, तिरस्कृत, व्याहरणं (नपुं०) [वि+आ+ह+ल्युट्] बोलना, उच्चारना करना।
दूर किया हुआ। प्ररूपण, कथन, प्रतिपादन, निरूपण।
व्युदासः (पुं०) [वि+उद्+अच्+घञ्] अस्वीकृत, निष्कृति। वर्णन, व्याख्यान।
निकाला गया। व्याहारः (पुं०) [वि+आ+ह+घञ्]०कथन, प्रवचन, व्याख्यान। उपेक्षा, उदासीनता। भाषण, उपदेश।
घात, विनाश, क्षति। स्वर, ध्वनि, गूंज।
व्युपदेशः (पुं०) [वि+उप+दिश्+घञ्] ब्याज, बहाना। व्याहृत (भू०क०कृ०) [वि+आ+ह-क्त] कहा हुआ, बोला व्युपरत (वि०) निवर्तित, रहित।
हुआ, उच्चारण किया हुआ, कथित। (जयो०वृ० २/३७) व्यपरतः (पुं०) क्रिया निवर्ति ध्यान का भेद। (भक्ति० ३३) प्रतिपादित, निरूपित।
व्युपरतक्रियावृत्तिः (स्त्री०) क्रिया से रहित ध्यान, चौथा व्याहृति (स्त्री०) [वि+आ+ह+क्तिन्] उच्चारण, कथन, विवेचन। शुक्लध्यान। 'विशेषेणापरता निवृत्ता क्रिया यत्र तद्, व्युच्छित्तिः (स्त्री०) [वि+उत्+छिद्+क्तिन] ०उन्मूलन, विनाश। व्युपरतक्रियां च तनिवृत्ति चानिवर्तकं च तद्व्युपरतक्रिया०पृथक् करण, विभाजन।
निवृत्तिसंज्ञं चतुर्थं शुक्लध्यानम्। (जैन०ल० १०/४६) व्युत्क्रमः (पुं०) [वि+उत्+क्रम्+घञ्] अतिक्रमण, विचलन, | व्युपरमः (पुं०) [वि+उप+रम्+अप्] यति, समाप्ति, पूर्णता, उल्लंघन।
विराम। वैपरीत्य, उलटाक्रमा
व्युपशमः (पुं०) [वि+उप+शम्+अच्] ०अशान्ति।
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