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व्यायोडित
१०४०
व्यासक्त
व्यायोडित (वि०) मोड़ा गया, विवलित (जयो०१० १८४८५) व्यामोहः (पुं०) [वि+आ+मुह+घञ्] ०व्याकुलता, आकुलता,
परेशानी।
उन्माद, प्रणयमद। व्यायत (भू०क०कृ०) [वि+आ+यम्+क्त] विस्तृत, विस्तीर्ण,
लम्बा, फैला।
अधिकृत, दृढ़, गहन। ०व्यापक, अत्यधिक।
गहरा, शक्तिपूर्ण, बलिष्ठ। व्यायतत्त्वं (नपुं०) [व्यायत+त्व] पुट्ठों का पुष्ट होना, फैलना। व्यायामः (पुं०) [वि+आ+यम्+घञ्] ०फैलाना, विस्तार करना। ०कसरत, श्रम, थकान, उद्यम, प्रयत्न।
चेष्टा, संघर्ष। शरीरयासजननी क्रिया व्यायामः। (जैन०ल० १०४४)
अभ्यास, मल्यादिकला शिक्षा। व्यायामभूमिः (स्त्री०) अखाड़ा। (जयो०१० २५/७४) व्यायामिक (वि०) [व्यायाम+ठक] शारीरिक श्रम सम्बंधी
कार्य, मल्यविद्या विषयक सीख सीखने वाला। व्यायोगः (पुं०) [वि+आ+युज्+घञ्] नाट्यसाहित्य की एक
पद्धति। व्याल (वि०) [वि+आ+अल्+अच्] दुष्ट, व्यसनी।
अधम, नीच।
कूर, पापी। व्यालः (पुं०) सप्र, सांप। (जयो० १०१) बाघ, चीता।
__०ठग, छली। व्यालग्राहिन् (पुं०) सपेरा। व्यालनखः (पुं०) एक जड़ी बूटी। व्यालमृगः (पुं०) शिकारी, जंगली जानवर। व्यालम्बः (पुं०) एरंड पादप। व्यालोल (वि.) [वि+आ+लोड+अच] कंपनशील, अव्यवस्थित,
अस्त व्यस्त। व्यावकलनं (नपुं०) [वि+आ+अ+कल्ल्यु ट्] घटना, कम
करना। व्यावक्रोशी (वि०) [वि+आ+अवशि +णिच+अञ्+डी[]
दुर्वचन कहना, कुवचन बोलना। व्यावर्तः (पुं०) [वि+आ+खत+घञ्] घेरना, लपेटना,
क्रान्ति परिभ्रमण ०चक्कर लगाना।
व्यावर्तक (वि.) [वि+आ+वत् णिच्+ण्वुल] लपेटने वाला,
घेरने वाला। ०अपवर्जन करने वाला, वियुक्त करने वाला।
मुड़ने वाला। व्यावर्तनं (नपुं०) [वि+आ+वृत्+ल्युट्] घेरना, लपेटना।
घूमना, मुड़ना।
०पट्टी, गोल लपेट। व्यावर्ण्य (वि०) निवेद्य। (जयो० २३/८३) व्यावलिगत (भू०क०कृ०) [वि+आ+वल्ग+क्त] द्रवित,
विक्षुब्ध, पसीजा हुआ। व्यावहारिक (वि०) [व्यवहार+ठक्] प्रयोगात्मक, व्यवहार
नय सम्बंधी। (जयो०७० २/३)
कानूनी, वैध। ०प्रथागत, प्रचलित।
० भ्रमात्मक। व्यावहारिकः (पुं०) मन्त्री, परामर्शदाता। व्यावहारी (वि०) व्यवसायी, व्यापारी। व्यावहासी (वि०) [वि+आ+अव्+हस्+णिच्+अञ्+ङीप्]
पारस्परिक अवज्ञा। व्यावृत्तिः (स्त्री०) [वि+आ+वृत्+क्तिन्] आवरण, परदा,
डालना।
निकाल देना, निष्कासन। व्यावृत्त (भूक०कृ०) [वि+आ+वृत्+क्त] हटाया गया, अलग किया गया। वियुक्त किया गया। निकाला हुआ। लपेटा हुआ, घिरा हुआ। ०रुका हुआ।
उपरत। व्यासः (पुं०) [वि+अस्+घञ्] वितरण, विभाजन, विश्लेषण
०पृथकता, अलगाव। ०प्रसार, फैलाव। (वीरो०८/२०) ०वृत्त का व्यास, फैलाव, विस्तार। (जयो० १/६१) ०व्यवस्था, संकलन। ०व्यवस्थापका
व्यास ऋषि। व्यासक्त (भू०क०कृ०) [वि+आ+सञ्ज+क्त] संयुक्त, जुटा
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