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व्यापाद्यमान
१०३९
व्यामिश्र
चित्त विक्षेप।
मृत्यु, मरण, निधन। व्यापाद्यमान (वि०) मरण को प्राप्त। (जयो०२३/५५) व्यापन्नं (नपुं०) विनाश, हानि, नाश, क्षय, क्षति।
०फैलना, सर्वत्र फेलना। व्यापन्न (भू०क०कृ०) [वि+आ+पद्+क्त] क्षत किया गया,
मारा गया। (दयो० ८६) खिन्न, खेद, दु:ख। (जयो०व० ३/१९०) विस्तृत, फैला हुआ, (जयोवृ० ३/८४) व्यापक। (हित०
४७)
व्यापारः (पुं०) [वि+आ++घञ्] व्यवसाय, धन्धा, व्यवहार।
* आरम्भ (जयो०१/१०) 'ग्रन्थारम्भसमये परिग्रहव्यापाररूपे'
चेष्टा, प्रयत्न, उद्योग, कार्य शैली। 'मनोवचनकाव्यव्यारकरणम्' (सम्य० १३५) नियोजन, संलग्नता, तत्परता, उद्यमशीलता।
वाणिज्य, काम, कृत्य, प्रभाव। व्यापारकार्यार्थ (वि०) व्यवसाय कार्य के लिए। (समु०१/३२) व्यापारक (वि०) भाग लेना, प्रभाव डालना। व्यापारगत (वि०) प्रयत्नशील, उद्यमशील। व्यापाजन्य (वि०) चेष्टा युक्त। व्यापारधर्मन् (पुं०) व्यवहार धर्म। व्यापारधर्मिन् (पुं०) व्यवसाय धर्म करने वाला। व्यापारमन्त्रं (नपुं०) उद्योग क्रिया। व्यापारवन्त (वि०) उद्यमशीलता। (जयो० १२/१३३) व्यापारित (भू०क०कृ.) [वि+आ+दृ+णिच्+क्त] नियोजित,
चेष्टा युक्त, कार्य में लगाया हुआ। स्थापित, नियुक्त। रक्खा हुआ।
निश्चित। व्यापारिन् (पुं०) [व्यापार+इनि] व्यवसायी, व्यापारी, विक्रेता। व्यापार्थ (वि०) व्यर्थ व्यय करने के लिए। (वीरो० १९/४२) व्यापिन् (वि०) [वि+आप+णिनि] ०व्याप्त होने वाला,
सर्वव्यापक। (वीरो० १९/३२)
०अधिकार करने वाला। व्यापृत (भू०क०कृ०) [वि+आप+क्त] व्यस्त, नियोजित।
___ स्थापित, स्थिर किया हुआ। व्यापृतः (पुं०) कर्मचारी, सचिव, मन्त्री।
व्यापृतिः (स्त्री०) [व्यापृ+क्तिन्] व्यवसाय, व्यापार।
कार्य, कर्म। ०चेष्टा, प्रयत्न
उद्यम, उद्योग। व्याप्त (भू०क०कृ०) [वि+आप+क्त] ०व्यापक, फैला हुआ,
विस्तृत। (सुद० १/३०) ०परिपूर्ण, भरा हुआ।
स्थापित, जमाया हुआ। ०प्राप्त किया हुआ। अधिकृत। सम्मिलित। प्रसिद्ध, विख्यात, ख्यात, तान्त। (जयो०० १२/७९) कीर्ण। (मुनि० २९)
प्रसरित। (जयोवृ० १/२३) व्याप्तता (वि०) व्यापकता। (जयो०वृ० १/२३) व्याप्तिः (स्त्री०) [वि+आप+क्तिन] ०प्रसार, फैलाव, विस्तार।
०सार्वजनिक नियम, विश्वव्यापकता। ०पूर्णता।
प्राप्ति। ०साध्य और साधन में अविनाभाव होना। व्याप्तिर्हि
साध्य-साधनयोरविनाभावः। (जैन०ल० १४४) व्याप्तिकी (वि०) आप्तकर्ती, व्यापकता प्रकट करने वाला।
(जयो०वृ० १६/४९) व्याप्तिज्ञानं (नपुं०) साध्य-साधन का ज्ञान, किसी एक पदार्थ
में दूसरे पदार्थ का पूर्ण रूप से मिला होने का ज्ञान। साहचर्य नियम का बोध-यत्र यत्र धूमः तत्र अग्निरिति
साहचर्य नियमो व्याप्तिः। व्याप्तिदोषः (पुं०) साध्य-साधक में दोष। (हित०१७) व्याप्तिमती (वि०) सर्वत्र गमनशील। (जयो०७० १३/५४) व्याप्य (वि०) [वि+आप+ ण्यत्] व्यापकता युक्त, पूर्णता
युक्ता
०भरे जाने योग्य। व्याप्यं (नपुं०) अनुमान प्रक्रिया का चिह्न। (हेतु, साधन) व्याप्यत्व (वि०) नित्यता। व्यामः (पुं०) एक माप विशेष। व्यामनं (नपुं०) माप विशेष। व्यामिश्र (वि०) [वि+आ+मिश्र+अच] मिश्रित, मिला हुआ।
एकमेक किया हुआ।
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