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विस्फारिन्
१०११
विहङ्गः
विस्फारिन् (वि०) प्रलम्बमान, लटका हुआ, फैलाया हुआ, | विस्मित (भू०क०कृ०) [वि+स्मि+क्ति] * अदभुत, चकित, (वीरो० २/३) विस्तृत हुआ।
आश्चर्यान्वित, आश्चर्यचकित। (जयोवृ० १५२५) (जयो० विस्फालित (वि०) फैलाया हुआ। (वीरो० २१/६)
२०/८२) विस्फुर् (अक०) चमकना, प्रकाशित होना। (सुद० ८१) * भौचक्का, हक्काबक्का। विस्फुलिंगः (पुं०) [वि+स्फुर+डु] * चिनगारी, ज्योति तरंग। * कार्य के प्रति विपरीतता। * विष विशेष।
विस्मितमित (वि०) ग्लानि युक्त। (मुनि०१३) विस्फूर्जथः (पुं०) [वि+स्फूर्ज+अथुच्] दहाड़ना, गरजना,
विस्म (सक०) भूलना, स्मरण नहीं रहना। (सुद० ९९) कड़कना।
विस्मृत (भू०क०कृ०) [वि+स्मृ+क्त] * भूला हुआ, * आन्दोलित होना, हिलना।
स्मरणविहीन हुआ। * लहरों का उठना।
विस्मृतिः (स्त्री०) [वि+स्मृक्तिन्] अस्मरण, भूलना, याद न विस्फूर्जितं (नपुं०) दहाड़, चीत्कार, चिल्लाहट।
रहना। * फल, परिणाम।
विस्मेर (वि०) [वि+स्मि+रन्] * विस्मय युक्त, आश्चर्य विस्फूर्तिमान् (वि०) चहल-पहल, आन्दोलित, प्रकंपित।
चकित। (जयो० १८/२२)
* भौचक्का, हड़बड़ाया हुआ। विस्फोटः (पुं०) [वि+स्फुट्+घञ्] * फोड़ा, अर्बुद, रसौली।
विसंसः (पुं०) क्षत होना, गिरना। लुड़कना, पतित होना। __* चेचक, शीतला।
* शैथिल्य, कमजोरी, निर्बलता। विस्फोटव (पुं०) चेचक, शीतला रोग। (जयो०वृ० १८/१९)
विप्रेसन (वि०) [वि+संस्+ल्युट्] * पतन, बहना, टपकना। विस्फोटकनामरोगः (पुं०) चेचक। * शीतला रोग।
* खोलना, ढीला करना। विस्फोटा (स्त्री०) घाव, फोड़ा, अर्बुद, रसौली।
* रेचक, विरेचन। विस्मयः (पुं०) [वि+स्मि+अच्] * आश्चर्य, अचम्भा, अचरज।
विनब्ध (वि०) क्षत, क्षय, घात। (जयो०१२/८५)
विनसा (स्त्री०) [वि+संस+क+टाप] * क्षय, गिरना, अध:पतन। * अद्भुत। (जयो०३० २०/८९) सुरतानुसारिसमयैर्वा मानवविस्मयायाऽमी' (जयो०६/९)
___ * निर्बलता, जर्जरता। * अभिमान, अहंकार, घमण्ड। (समु० ६/४३)
विसस्त (भू०क०कृ०) [वि+संस्+क्त] ढीला किया हुआ। नभोगत्तवातिगतश्च-विस्मयः
___* दुर्बल, बलहीन। * अनिश्चय, संदेह।
विसवः (पुं०) [वि++अप्] बहना, टपकना, रिसना, चूना। विस्मयंगम (वि०) [विस्मयं गच्छति-विस्मय+गम्+खश+मुम्]
विसावणं (नपुं०) [वि+सु+णिच्+ल्युट्] रक्त बहना, रिसना। विस्मयकर/विस्मयकरी (वि०) आश्चर्यजनक।
विमुतिः (स्त्री०) [वि+मुक्तिन्] रिसना, गिरना, झरना, टपकना। अद्भुत (जयो०१० २०/८९) आश्चर्य को उत्पन्न करने
विस्वर (वि०) [विरुद्धः विगतो ता वरो यस्य] स्वर विहीन, वाली। (जयो० २२/१५७)
बेसुरा। विस्मयोत्पादक (वि०) आश्चर्यकर, विस्मयकर। (जयो०८७३) विहगः (पुं०) [विहायसा गच्छति-गम्+ड] * पक्षी। ___* अदभुत कार्यकारी।
* बादल। विस्मरणं (नपुं०) [वि+स्मृ+ल्युट्] विस्मृति, भूल जाना, याद
न रहना। विस्मापनं (वि०) [वि+स्मि+णिच् ल्युट] आश्चर्य उत्पन्न * चन्द्र। करना, विस्मय होना।
* नक्षत्र। विस्मापनः (पुं०) कामदेव।।
विहङ्गः (पुं०) [विहायसा गच्छति-गम्+खच्] * पक्षी। * छल, धोखा। विस्मापनो हरिश्चन्द्रपुरे वा कुहने स्मरः * बादल। 'इत्यभिधानात्' (जयो० ११/६२)
* बाण।
बाण।
सूर्य।
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