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विद्वेषणः
९७७
विधिज्ञ
विद्वेषणः (पुं०) शत्रु, दुश्मन। विद्वेषणा (स्त्री०) घृणा करने वाली स्त्री। विद्वेषिन् (वि०) [वि+द्विष्+णिनि] घृणा करने वाला, गर्दा
युक्त।
* विधायक। (सुद० ९२)
रात्रिः स्वतो घोरतमो विधानी। विधातुं (वि+धा+तुमुन्) * बनाने के लिए। (जयो० ८/६३)
* निर्माण करने के लिए। (जयो० ३/९०)
* स्त्री करने के लिए। (जयो० १/७८) विधानं (नपुं०) [विधा+ल्युट्] * अनुकरण। (सुद० २/११)
* विधि। (सुद० १/१६) (सुद० १/४२) * नियम, पद्धति, रीति, उपदेश। (सम्य० १५२) * अध्यदेश, आज्ञा। * प्रतीति। (सुद० १/१३) * उपयोग, प्रयोग, नियोजन।
* नियत करना, आदेश देना। विधानकं (नपुं०) [विधान+कन्] दुःख, कष्ट, पीड़ा। विधाप् (सक०) बनाना, रचना, निर्माण करना। (जयो० २/१४) विधायक (वि०) [वि+धा+ण्वुल] बिलौना।
* विधान सभा का सदस्य, जो जन प्रतिनिधि भी कहलाता
विद्वेषिन् (पुं०) शत्रु, घृणक, दुश्मन, परिहासिन्। (जयो०३०
२/१०२) * विरोधक। (जयोवृ० ८/९६) विधः (पुं०) [विध+क] प्रकार, तरह, किस्म, विविधा, बहुलता।
(जयो० ११/७७) * ढंग, रीति, रूप। (सम्य० १/८) * त्रिविधा
* समृद्धि। विधनरः (पुं०) सुंदर पुरुष, लावण्युक्त व्यक्ति। (हन्ता भुवि
या भवद्विधनरं सन्त्यक्त्वत्यस्तु सा (सुद० ९८) विधवनं (नपुं०) [वि+धू+ल्युट्] हिलाना, क्षुब्ध करना, दुःखी
करना।
* कपकपाना, थरथराना। विधवा (स्त्री०) [विगतो धवो यस्याः सा] रांड, बेवा, पतिशून्य। विधस् (पुं०) ब्रह्मा। विधा (स्त्री०) [वि+धा+क्विप] * ढंग, रीति, रूप, आकृति।
* प्रकार, पद्धति। (जयो० ३/९०) * काव्य विद्या, काव्यकला। * छेद करना। * किराया। * मजदूरी। विगतो धाकारो यस्यास्तां विधामेव। (जयो०१६)
* आदत। (न तुममायं कुविधामनुष्यादेकेति (सम्य०६८) विधातृ (पुं०) [वि+धा+तृच्] स्रष्टा, विधाता। (जयो० ८/९१)
* निर्माता * प्रदाता, अनुदाता। * भाग्य, दैव। * विश्वकर्मा। * कामदेव। * विधायक। (सुद० ९७) * मघ, मदिरा।
* अङ्कति। (जयो०वृ० १०/४४) विधाता (पु०) ब्रह्मा, सृष्टा। (वीरो० १८/१५) ऋषभदेव
जगत् के विधाता/ब्रह्मा, सृष्टा। विधात्री (वि.) विधानकत्री। (जयो० ३/५७) विधान करने
वाली। (भक्ति० २५)
* व्यवस्थित करने वाला, नियम बनाने वाला।
* कार्यान्वित करने वाला, निर्धारित करने वाला। विधायिका (स्त्री०) व्यवस्थित करने वाली, निर्धारित करने
वाली, प्रख्यातिभी प्रख्यात करने वाली। (जयो०१०
१२/३७) विधायिन् (वि०) निर्धारण करने वाली। (सुद० ७९) विधिः (स्त्री०) [विधा+कि] विधान, नियम। (जयो० ४/५)
* पद्धति, रीति, प्रणाली, साधन, ढंग। (सम्य० ९०) * कर्म। (विधीनां मवधा विभागः) (सम्य० १३२) तेनामृतेनेवरुगस्तु पूर्जितविधिः शीतहतस्तरुर्वा (सम्यक ४६) ब्रह्मा, धाता (जयो० ३/४८) (जयो० १/३५) "विधि: धाता अदृष्टविशेषो येन' (जयो० ३/४८) * दैव। फलवत्तां तु विधिर्विधातु। (सुद० ९२) * करने योग्य कार्य। 'भाव एव भविनां वरो विधिः' (जयो० २/८४) * विधान, साधन। (जयोवृ० १/४२) * रचना। (वीरो० २२/६)
* व्यवहार, आचरण। विधिकित्सनं (नपुं०) रीति-रिवाज। (वीरो० २२/१९) विधिगत (वि०) भाग्य को प्राप्त हुआ। विधिज्ञ (वि०) विधि वाला, विधि जानने वाला।
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