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विद्यालयः
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विद्वेषणं
विद्यालयः (०) शिक्षा केन्द्र, यत्र नास्ति कोऽपि विद्यालयः विद्योतन (वि०) [वि+द्युत्+णिच् ल्युट्] प्रकाश करने वाला, समस्ति किलैको गुरुयो।
चमकाने वाला। विद्यालाभः (पुं०) ज्ञानलाभ में, श्रुतलाभ, प्रवचन लाभ। विद्रः (पुं०) [व्यध्+रक्] फाड़ना, विदीर्ण करना, खण्ड __ आगम के प्रति रुचि।
खण्ड करना। विद्यावान् (वि०) विद्या प्राप्ति वाला, विद्वान्, प्रज्ञ पुरुष।
* दरार, छिद्र, विवर। विद्याशील (वि०) विद्या युक्त। * ज्ञान वेत, * विचारक। विद्रधिः (स्त्री०) [विद्+रुध्+कि] पीपयुक्त, फोड़ा, मवादयुक्त विद्यसरित् (स्त्री०) विद्यारूपी नदी। (समुः ५/३०) फोड़ा। * प्रवाहिनी विद्या।
विद्रवः (पुं०) [वि+द्रु+अप्] उड़ान, प्रत्यावर्तन। * गतिशील विद्या।
* आतंक। विद्यासिद्धः (पुं०) विद्याओं का अधिपति।
* प्रवाह। विद्युत् (स्त्री०) [विशेषेण द्योतते-विद्युत्+क्विप्] अशनि * पिघलना, गलना, बहना।
(जयोवृ० ५/३६) बिजली, चपला। रत्त-धवल- | विद्राण (वि०) [विद्रा+क्त] उबुद्ध, जागृत, सचेत।। समवण्णाओ तेजब्भहियाओ कुवियभुजंगोव्व चलंतसरीरा विद्रावणं (नपुं०) [विद्रु+णिच्+ल्युट्] उद्बुद्ध करना, जागृत मेहेसु उवलब्भभाणाओ विज्जुओ णाम। (धव० १४/३५) करना। जो रक्त, धवल एवं श्याम वर्ग से संयुक्त चंचलप्रभा * खदेड़ना, भगाना। उत्पन्न होती है उसे विद्युत कहते हैं। जो कोप रूपी भुजंग * परास्त करना, दूर करना। के मेघ से उत्पन्न होती है।
* गलाना, पिघलाना, बहाना। विद्यत्वरः (पुं०) पूर्वक्षणे चौरतयाऽतिनिंद्यः स एव विद्रुमः (पुं०) [विशिष्टो द्रुम] मूंगा, प्रवाल। (जयो० ३/२५) पश्चाज्जगतोऽभिवन्धः। (वीरो० १७/२)
(वीरो० ३/३१) * किसलय, कोंपल, पराग। विधुच्चोरः (पुं०) विद्युत नामक चोर, जिसने अपना चौर्यकर्म विगुमच्छायः (पुं०) प्रवालच्छाय। (जयो० ९१/५९)
छोड़कर जम्बू कुमार के साथ पांच सौ साथियों सहित विदूमता (वि०) किसलयता, कोंपल रूपता। (जयो०५/८८) श्रमणदीक्षा धारण कर ली थी। (जयो० २३/७०) विद्रुमलता (स्त्री०) मूंगे की शाखा। हिरण्वमुनि और प्रभावती आर्यिका का शत्र। विद्रुमलतिका (स्त्री०) विद्रुम लता। (जयो० २७/७०)
विद्वस् (वि०) [विद्+क्वसु] विद्वान्, विज्ञ, जानकार, ज्ञानी। विद्युच्चोरोऽप्यतः पञ्चशतसंख्यैः स्वसार्थिभिः।
विद्वज्जनः (पुं०) प्रज्ञा पुरुष। समं समेत्य श्रामण्यमात्मबोधमगादसौ।। (वीरो० १५/२६) विद्वत्कल्प (पुं०) अल्पज्ञानी, थोड़ा पढ़ा हुआ। विधुज्ज्वाला (स्त्री०) बिजली की चमक।
विद्वद्देश्य (वि०) अल्पज्ञानी। विद्युज्ज्योति (स्त्री०) * विद्युत प्रभा, * प्रकाश, * आभा। विद्ववर (वि०) ज्ञानी, बुद्धिमान्। (जयो० ३/२३) विद्युत्द्योतः (पुं०) बिजली की प्रभा।
विद्वान् (वि०) ज्ञानी, जानकर, प्रज्ञ, विवेकी, ज्ञातवान्। (जयो० विद्युत्तावः (पुं०) बिजली का संताप।
३/८५) विद्युद्दानं (नपुं०) बिजली की कड़क।
विद्वानपद (वि०) अयोग्य स्थान। (जयो० २/१४०) विद्युत्प्रभा (स्त्री०) नाम विशेष। * विद्युज्योति।
विद्विष् (वि०) [वि+द्विष्+क्विप्] शत्रु, दुश्मन। * बिजली की चमक। रत्नपुर के राजा पिंगलागान्धार की विद्विण्ट (वि०) घृणित, निन्दित, कुत्सित, अनीप्सित। पुत्री (जयो० २४/१०५)
विद्वेषः (पुं०) [वि+द्विष्+घञ्] * शत्रुता, घृणा, कुत्सा, द्वेष, विद्युत्प्रियं (नपुं०) कांसा।
ग्लानि। विद्युल्लता (स्त्री०) बिजली का प्रकाश।
* गर्दा, तिरस्कार भाव। विद्युल्लेखा (स्त्री०) बिजली की रेखा, प्रकाश किरण। विद्वेषणं (नपुं०) [वि+द्विष ल्युट] घृणा, ग्लानि, गर्ला। विद्युत्वत् (वि०) बिजली की तरह।
* विरोध। (जयो० १९/८८)
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