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विखुरः
९६४
विगीत
विखुरः (पुं०) पिशाच, राक्षस। चोर। विख्यात (भू०क०कृ०) [वि+ख्या+क्त] प्रसिद्ध, विश्रुत।
(सुद० ८३) कीर्ति, यश युक्त।
०श्लाघ युक्त, प्रशंसा युक्त। विख्यातिः (स्त्री०) [वि+ख्या क्तिन्] आत्मश्लाघा।
(जयो० २७/२२)
कीर्ति, यश, प्रसिद्धि विगणनं (नपुं०) [वि+गण+ल्युट्] गिनना, संगणन, हिसाब
करना, गणना करना। विचारना, सोचना, चिन्तन करना।
विचार विनिमय करना। विगत (भू०क०कृ०) [वि+गम्+क्त] ०चला गया, पलायन
कर गया, प्रयाण कर गया। ०लुप्त, रहित, समाप्त, नष्ट, वियुक्त।
विरहित, शून्य, मुक्त।
०खोया हुआ, धुंधला, विलीन, अस्पष्ट। विगत-कल्मष (वि०) निष्पाप, पवित्र, पूत। विगतकषाय (वि०) कषाय रहित। विगतखेद (वि०) खेद मुक्त। विगतगति (वि०) विमुक्त गति, सिद्ध। विगतगेह (वि०) घर रहित, अनगार प्रवृत्ति वाला। विगतगोत्र (वि०) गोत्र विहीन। विगतजन्म (वि०) जन्म से मुक्त। विगततप (वि०) तप से शून्य। विगतदान (वि०) दान प्रवृत्ति से रहित। विगत दोष (वि०) दोष रहित। विगतधन (वि०) निर्धन, धनहीन। विगतधर्म (वि०) धर्म से रहित। विगतनयन (वि०) नेत्र विहीन। विगतपंथ (वि.) पंथ विहीन। विगतबन्ध (वि०) बन्धनमुक्त। विगतबुद्धिबल (वि०) विवेकहीनत्व। (जयो० ९/१७) विगतभाव (वि०) भाव/स्वभाव से हीन। विगतमोह (वि०) मोह रहित, निर्मोही। विगतयोग (वि०) मन, वचन एवं काय इन योगों से अलग। विगतराग (वि०) वीतरागी, राग रहित।। विगतविषाद (वि०) विषाद रहित, खेद रहित। (जयो० २/१३७) विगतशील (वि०) शील रहित।
विगताधिकार (वि०) अधिकार रहित। (वीरो० २१/९) विगन्धकः (पुं०) इंगुदी तरु। विगमः (पुं०) [वि+गम्+अप्] प्रस्थान करना, अन्तर्धान होना।
समाप्ति, क्षत, अन्त, नष्ट। (मुनि० ७७) परित्याग।
०हानि, विनाश, क्षति। विगरः (पुं०) नग्न रहने वाला।
०पर्वत।
०असन त्यागी। विगर्हणं (नपुं०) [वि+गर्ह ल्युट] निन्दा, कलंक, भर्त्सना। विगर्हणीय (वि०) निन्दनीय। (वीरो० १७/१९) विगर्हित (भू०क०कृ०) [वि+गह+क्त] निन्दित। (समु०२/३४)
तिरस्कृत, अपमानित। फटकारा गया. प्रतिषिद्ध।
निम्न, दुष्ट। विगर्हिन् (वि०) जुगुप्सित। (जयो० २५/८)
निन्दित, अपमाश्रित। विगल् (अक०) पिघलना, टपकना, रिसना, बूंद बूंद गिरना।
(जयो०वृ० ११/८६)
०द्रवित होना। (जयो २/१५२) विगलनं (नपुं०) बहना, झरना, टपकना, पिघलना। (जयो०व०
११/८६) वगलित (भू०क०कृ०) [वि+गल्+क्त] झरता हुआ, पिघलता
हुआ, टपकता हुआ।
निःसृत्, प्रवाहित, अधः पतित। विगानं (नपुं०) [विरुद्धं गानं] निन्दा, भर्त्सना।
०मानहानि, बदनामी, अपमान।
०परस्पर विरोधी उक्ति, विरोध, असंगति। विगाल्याम्बु (नपुं०) गालित जल। (वीरो० १८/३८) विगाहः (पुं०) [वि+गाह्+घञ्] स्नान, नहान। विगिलन् (वि.) टपकता हुआ। (जयो०७०) विगीत (भू०क०कृ०) [वि+गै+क्त] निन्दा/गर्दा/भर्त्सना करता
हुआ। विरोधी। निन्दिता ०अपमानित।
अयुक्ति जन्य। कथन में न आने वाला।
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