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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्मानुयायित्व ५१४ धवलाटीका चैतद्देशप्रजाऽखिला। प्रायशोऽव बभूवापि जैनधर्मानुयायिनी।। चतुर्थ कथन का विवेचना 'आक्षेपिणी विक्षेपणी संवेजनी (वीरो० १५/३१) निर्वेदनति चतस्रः कथाः, तासा कथनं धर्मोपदेशः। धर्मानुयायित्व (वि०) धर्म मार्ग का अनुसरण करने वाले। (भ०आ०टी० १०४) धर्मानुष्ठान, धर्मदेशना। तैः सार्द्ध न धर्मानुयायिनी (वि०) धर्म का अनुसरण करने वाले। (वीरो० हि भाषणं च कुरुताद् धर्मोपदेशादृते' (मुनि० ५) १५/३१) धर्म्य (पुं०) एकाग्रता, धर्मध्यान सम्बन्धी। न्यायोचित, उपर्युक्त। धर्मानुष्ठानं (नपुं०) धर्माचरण, धर्म युक्त क्रिया, पूजा, समीचीन व्रतानि लात्वा समितीर्वहभयो, धर्म्य मतिं भावनया विधान, आत्म-ज्ञान का शिक्षण। दधद्भ्यः । (भक्ति० वृ० १५) धर्मान्धः (पुं०) धर्मान्ध, धर्म पर अन्धविश्वासी। (दयो० ३४) | धर्म्यकर्मन् (नपुं०) धर्मकार्य, अभीष्ट कार्य। 'धर्महितं धर्म्य च धर्मापेत (वि०) धर्म विरुद्ध, दुराचारी, अनैतिक आचरण तत्कर्म तस्मिन् रतस्तत्परः' (जयो०१० २/७३) वाला। धर्षः (पुं०) [धृष्+घञ्] धृष्टता, अहंकार, अभिमान, घमंड, धर्मामृतं (नपुं०) धर्मपीयूष, धर्म रूप अमृत। (वीरो० १८/४६) अधीरता, १. अवज्ञा, २. बलात्कार, सतीत्व हरण। धर्माम्बुवाह (वि०) धर्मबुद्धि वाले। 'धर्माम्बुवाहाय न कः धर्षक (वि०) [धृष्+ण्वुल्] आक्रमणकारी, अधीर, बलात्कारी। सपक्षी' (सुद० ४/२२) धर्षकः (पुं०) नर्तक, अभिनेता। धर्मारण्यं (नपुं०) तपोवन। धर्षणं (नपुं०) [धृष्+ ल्युट] धृष्टता, अविनय, अवज्ञा, अहंकार। धर्माराधना (स्त्री०) धर्म की उपासना, उत्तम क्षमादि की धर्षणिः (स्त्री०) [धृष्+अनि] सतीत्व हीन, स्वैरिणी, कुलटा, आराधना। (जयो०वृ० ३/३) व्यभिचारिणी। धर्मालीक (वि०) झूठे चरित्र वाला, दुराचरण करने वाला। धर्षित (वि.) [धृष्+क्त] अत्याचार से पीड़ित, विजित, धर्मावर्णवादः (पुं०) धर्म की निन्दा करना। पराभूत, परास्त, तिरस्कृत। धर्मासनं (नपुं०) न्यायाधिकरण, न्याय की गद्दी। धषितं (नपुं०) १. अहंकार, अभिमान, २. सहवास, संभोग, मैथुन। धर्मास्तिकायः (पुं०) गमन क्रिया युक्त धर्मद्रव्य, जीव और | धषिन् (वि०) [धृष्+णिनि] अहंकारी, घमण्डी, २. सतीत्व पुद्गल को गमन करने में सहकारी। (सम्य० २२) हरण करने वाला, दुर्व्यवहार करने वाला, आक्रमण करने ० गमणणिमित्तं धम्म। वाला। ० गइ-लक्खणो उ धम्मो। धवः (पुं०) [धु+अप्] १. कम्पन। २. पति। लगेन्न-वोढापि ० गतिपरिणतौ धर्म उपकारकः। धवस्य गात्रे (वीरो० ९/३९) ३. स्वामी (जयो० १३/) ४. धर्मिन् (वि०) [धर्म इनि] ० पुण्यात्मा, सद्गुणी। (सम्य० कान्त:धवः कान्तः स विश्वं' (जयो० १४/२३) ५. धवा ९२) ० वस्तु को निर्णय करने वाला साधन, जो प्रमाण का वृक्षा से, विकल्प से अथवा दोनों से प्रसिद्ध होता है, उसे धवल: (पं०) [धवं कम्पं लाति ला+क] १. श्वेत, शुभ्र, अनुमान के प्रकरण में धर्मी कहा जाता है। स्वच्छ सुन्दर, साफ, स्पष्ट। २. अर्जुन पांच पाण्डवों में 'कारणादि-व्यपदेशं द्रव्यं धर्मो, स्वधर्मापेक्षया द्रव्यस्य एक (जयो०वृ० १/१८) ३. धव वृक्ष। ४. वृषभ, बैल। धर्मिव्यपदेशः। (जैन०ल० ५७६) धर्मेण वै संध्रियतेऽत्रवस्तु, धवल-कूर्चक (वि०) वृद्धावस्थापन्न सफेदी दाढ़ी-बाल युक्त। न वस्तुसत्त्वं तमृते समस्तु। (सम्य. ७१) धर्म से ही वस्तु (जयो० २/१५३) धर्मी का ग्रहण होता है। धर्म के बिना धर्मी का अस्तित्त्व धवलगिरिः (पुं०) हिमालय का उन्नत शिखर। हिमगिरि। नहीं। धवलगृहं (नपुं०) महल, चूने से पुता गृह। धर्मेन्द्रः (पुं०) एक देव का नाम, २. युधिष्ठिर। ३. धर्म में धवलधामं (नपुं०) वृषभस्थान, बैलों के स्थान। 'धवलानां प्रमुख, धर्म श्रेष्ठ। वृषभाणां धामभिः स्थानैर्मण्डितान्' (जयो०१० २१/५०) धर्मेशः (पुं०) यम। धवलयति (वर्तमान काल, निर्मल होता है। धवलयति क्षमावलयं धर्मोत्तर (वि०) न्यायपरायण, निष्पक्ष व्यक्ति। ___'वृद्धद्वारास्य भो अमृतपुरधरे' (जयो० ६/१०५) धर्मोपदेशः (पुं०) धर्म का प्रवचन, धर्म कथा का अनुष्ठान। | धवलाटीका (स्त्री०) षट्खण्डागम पर प्रतिपादित भाष्य, For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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