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द्विचत्वारिंश
५०४
द्वतीयाख्य-कषायः
द्विचत्वारिंश (वि०) बयालीसवां।
द्विजिह्वः (पुं०) १. सर्प, सांप, शेषनाग। २. चुगलखोर। द्विचत्वारिंशत् (स्त्री०) बयालीस।
द्विजिह्वाधिपति देखें ऊपर। द्विजः (पुं०) दुजन्मा, ब्राह्मण, विप्र। (जयो०वृ० ६/१०८, | द्विडकीर्ति (स्त्री०) बैरियों की अपकीर्ति। द्विषां
समु०४/२४) संस्काराद् द्विज उच्यते द्वाभ्यां जन्म संस्काराभ्यां __वैरिणामकीर्तिरपयशः परिणतिः (जयो० ६/४३) जायेत स द्विज इति। (हित० २३)
द्वितय (वि०) [द्वौ अवयवौ यस्य-द्वितिय[] दो से युक्त, ० दांत-दन्त (जयो० १/६२)
दुगुना, दोहरा। ० अंडज जंतुः पक्षी (वीरो० ९/४३)
द्वितयं (नपुं०) १. युगल, दो, दोनों (सुद० २/४८) २. युगल, ० दो जन्म वाला (जयो० १/६२) द्विजः द्विर्जातो मातगर्भ युग्मं श्रीपादपद्मद्वितयं-चरण-विन्दयुगलम् (जयो०वृ० जिनसमयज्ञानगर्भ चोत्पादात् द्विजः ब्राह्माण-क्षत्रिय- १/६८) शाटकं चोत्तरीयं च वस्त्रयुग्ममुवाह सा। कमण्डलु विशामन्यतमः (सा०ध०टी० २/१९)
भुक्तिपात्रमित्येतद् द्वितयं पुनः।। (सुद० ४/३१) द्विजगणः (पुं०) १. ब्राह्मणवर्ग, २. पक्षी समूह। (वीरो० ९/४३) सहस्र-द्वितयात् सूर्य-संख्याके विक्रमाब्दके। (सम्य० १५५) द्विजत्व (वि०) ब्राह्मणतव (वीरो० ११/९) ब्राह्मण कुल की द्वितिय (वि०) दूसरा, पृथक्।
प्राप्ति। स्वर्ग गतोऽप्ये त्य पुनर्द्विजत्वं धृत्वा द्वितीय (वि०) [द्वयोः पूरणं-द्वितीय] दूसरा, अन्य पृथक-दूसरा, परिव्राजकतामतत्त्वम्। (वीरो० ११/९)
दो प्रकार का। (जयो० १/५) तत्राद्यः साध्यरूपः स्याद् द्विजन्मन् (पुं०) १. ब्राह्मण (जयो० २/१११) अथो पुनर्द्धिजन्मानो द्वितीयस्तस्य साधनम्। (सम्य० ८२)
विप्राश्च सन्ति। जो द्विज हैं, उनका दूसरा जन्म/संस्कार | द्वितीयः (पुं०) १. दूसरा। 'अर्हदुपाश्रये द्वितीय-तृतीय' (जयो० जन्म भी होता है। 'द्विजन्मा चन्द्रः स नित्यं नवोदयं २६/५७) नूतनमुदयं याति' (जयो० ११/५४)
२. युगम, युग्म। (जयो०वृ० ३/६२) ० दो जन्म वाला (जयो०वृ० १/६२)
३. अपर। (जयो०वृ० ३/६२) द्विजभावः (पुं०) ब्राह्मण भाव। (जयोवृ० ६/१०८)
४. दूसरा अर्थ (जयो० ३/६२) द्विजराजः (पुं०) १. चन्द्र, शशि। (जयो० ११/५५) द्विजराजस्य । द्वितीयक (वि०) [द्वितीय कन्] दूसरा, अपर, अन्य।
चन्द्रस्य (जयो०वृ० १/५४) २. ब्राह्मणा-'द्वाभ्यां द्वितीय-कर्म (पुं०) दूसरा कर्म, दर्शनावरणीय कर्म। जन्मसंस्काराभ्यां जायन्ते ते द्विजाः' (जयो० वृ० ११/५५) द्वितीय-कारकः (पुं०) दूसरा कारक, कर्म कारक। ३. पक्षी। पिकद्विज-कोकिलो नाम पक्षी। द्विजानां राजा। द्वितीय-खण्डं (नपुं०) दूसरा भाग, दो खण्ड, युगल अंश। (जयो०वृ० ११/५५)
द्वितीय-गतिः (स्त्री०) अन्य गति, दूसरी पर्याय। द्विजराजराशि (स्त्री०) १. ब्राह्मण समूह। २. चन्द्रमंडल- द्वितीयचन्द्रः (पुं०) दूसरा चन्द्र।
'द्विजराजस्य चन्द्रस्य राशौ रात्रौ मौनं मुद्रणम्' (जयो०७० द्वितीयजन्मन् (पुं०) अन्य जन्म, पुनर्जन्म, दूसरा जन्म। १/५४) द्विजानां राजराशौ प्रधानसमूहे मौनं मूकभावः द्वितीय-तपः (पुं०) उत्कृष्ट तप। (जयो०१० १/५४)
द्वितीय दानं (नपुं०) अनुपम दान। द्विजराड् विरोधी (वि०) १. चन्द्रमा का विरोधी, २. विप्र द्वितीय-वर्गः (पुं०) १. अर्थ पुरुषार्थ। (जयो० १/६६)
विरोधी। सत्संगमापकरणो द्विजराविरोधी। (जयो० १८/७५) 'द्वितीयश्चासौ वर्गः पुरुषार्थोऽर्थस्तेन। (जयो० १/६६) २. द्विजवर्गः (पुं०) विप्रवर्ग, ब्राह्मण समूह। (सुद० ९७)
चवर्ग-व्यञ्जन समूह का द्वितीय वर्ग-द्वितीय वर्गेण चवर्गण, द्विजाति: (पुं०) १. ब्राह्मण, २. पक्षी, द्विजातयः पक्षिणो अर्थात् जकारेण सह अन्तःस्थेषु लसन्। (जयो०वृ० १/६६) नीडानि श्रयन्ति। (जयोवृ० १५/१२)
द्वितीयसर्गः (पुं०) दूसरा सर्ग, द्वितीय अध्याय। द्विजाधिराट् (पुं०) १. विप्र, ब्राह्मण। (जयो० १५/६७) द्वितीया (स्त्री०) १. द्वितीया विभक्ति, कर्मकारक। २. द्वितीया द्विजातीय (वि० दो जन्म वाले।
तिथि दूज। (जयो०वृ० ५/१०६) द्विजाली (स्त्री०) पक्षिसमूह, खग पंक्ति। 'द्विजानां पक्षिणामाली द्वितीयाख्य-कषायः (पुं०) द्वितीय अप्रत्याख्यानावरण कषाय। पंक्तिः ' (जयो० १८/६९)
(सम्य० ९९)
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