SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुममूलदेशः ५०२ दुममूलदेशः (पुं०) वृक्ष के नीचे। मुनि हिन्मतॊ द्रुममूलदेश | दोहः (पुं०) षड्यन्त्र रचना, द्वेष करना, आघात, आक्रमण स्थितं वनान्ताद्दिवसात्ये सः। (सुद० ४/२३) __की चेष्टा, क्षति, उपद्रव, ईर्ष्या। दुमव्याधिः (स्त्री०) ताड़ वृक्षा दोहकर (वि०) आघात कारक, द्वेष युक्त, ईर्ष्याजनक। दुमश्रेष्ठः (पुं०) ताड़ वृक्ष। दौरात्म्यमात्मसात् कुर्वन्नाह द्रोहकरं वयः। (जयो० ७/१) दुमारिः (पुं०) हस्ति, हाथी, कारि। द्रौपति (स्त्री०) द्रुपद पुत्री, पांचालनृपति की पुत्री, पाण्डव दुमामयः (पुं०) लार, गोंद। प्रिया। (सुद०८८) दुमावली (स्त्री०) वृक्षपंक्ति। क्वापि बाधा समायाता द्रुमालीवेष्यते | द्रौपदेयः (पुं०) [द्रोपदी+ढक्] द्रौपदी का पुत्र। सहिमा। (सुद० १०९) द्वन्द्वः (पुं०) [द्वौ द्वौ सहर्तभव्यक्तौद्विशब्दस्य द्वित्वम्] घड़ियाल दुमाश्रयः (पुं०) छिपकली। घंटा निनाद सूचका दुमिणी (स्त्री०) [द्रुम इनि+ङीप्] वृक्ष समूह। द्वन्द्वं (नपुं०) १. युगल, जोड़ा, समूह। २. प्रतिस्पर्धा (दयो० दुमेश्वरः (पुं०) ताड़ वृक्ष, चन्द्रमा। __५/२९) ३. कलह, झगड़ा, लड़ाई, युद्ध, टण्टा, विवाद, दमोत्पलः (पुं०) कनेर वृक्ष, कर्णिकार तरु। परस्पर भिड़ना। ४. किला, गढ़। ५. रहस्य। दुवयः (पुं०) [द्रु+वय] माप, मान, प्रमाण विशेष। द्वन्द्वचर (वि०) युगल रूप में विचरण करने वाले। दुहु (अक०) विद्रोह करना, द्वेष करना, ईर्ष्या करना। (जयो० द्वन्द्वचारिन् (वि०) समूहात्मक रूप से गतिशील। २५/३०) के स्मो वयं निष्कपट-द्रुहाणाम् कर्त्तव्यताया द्वन्द्वभावः (पुं०) वैपरीत्य भाव। विषये ब्रुवाणा। (समु० १/२०) द्वन्द्वभिन्नं (नपुं०) एक-दूसरे का वियोग, स्त्री और पुरुष का दुह (वि०) [दुह+क्विप्] द्रोह, द्वेष करने वाला, चोट पहुंचाने वियोग। वाला। द्वन्द्वमतिः (स्त्री०) दोलायमान धी, चंचल बुद्धि। (जयो० दुहः (पुं०) [हूँ संसारगतिः हन्ति-द्रु+ह्न+अच्] शिव। ६/२) इत्येवमभिनिवेशा द्वन्द्वमतिस्तेषु परिशेषात्। (जयो० ६/२) दुहिलं (नपुं०) द्रोह स्वभाव, द्रोहात्मक वचन। कलुषं वा | द्वन्द्वयुद्धं (नपुं०) मल्ल युद्ध। द्रुहिलम्-वृकपदं (जैन०ल० ५६४) द्वन्द्वशः (अव्य०) [द्वन्द्व-शस्] दो दो करके युगल रूप से। दूः (पुं०) [द्रु+क्विप्] स्वर्ण, सोना। द्वन्द्वसमासः (पुं०) दो पदों में परस्पर सम्बन्ध। दूषणः (पुं०) हथौड़ा। ० तयोरितरेतरयोगलक्षणो द्वन्द्व। दूणः (पुं०) बिच्छू, वृश्चिक। ० उभयप्रधानो द्वन्द्वः। (जैन ल० ५६५) दोण: (पुं०) [गुण+अच्] १. बादल, २. माप विशेष। चतुराढकं | द्वन्द्वसमासः (पुं०) दो या अधिक संज्ञाओं का योग-इतरेतर द्रोणः (त०वा० ३/३८) चतुर्भिराढकैद्रोणः द्वन्द्व, समाहार द्वन्द्व और एक शेष द्वन्द्व। द्रोणकाकः (पुं०) पर्वतीय काका। द्वय (वि०) [द्वि-अयट्] दुगुना, दोहरा दो प्रकार का। (सम्य० ३१) द्रोणक्षीरा (स्त्री०) चार आढक प्रमाण। दूध देने वाली। द्वयं (नपुं०) १. दो, युगल, युग्म, संयुक्त, जोड़ा, द्वैधता। २. दोणदुग्धा (स्त्री०) द्रोण प्रमाण वाली गाय। मिथ्यात्व, झूठा। दोणपथं (नपुं०) जल-थलमार्ग, जल स्थलमार्ग से युक्त भाग। | द्वयकोशमुन्नत: (पुं०) दो कोश प्रमाण से उन्नत। (वीरो० १३/१) द्रोणमुखं (नपुं०) १. द्रोणपथ, जल एवं स्थल मार्ग से संयुक्त द्वयर्थभावः (पुं०) मायाचार, छल-कपट भाव। (जयो० ७/५०) भाग। २. मुख्यनगर। द्वयणुकः (पुं०) अत्यंत सूक्ष्म। (जयो० ५/५१) द्रोणाचार्यः (पुं०) धनुर्विद्या प्रवीण आचार्य। 'स्वयमेव द्वयशनं (नपुं०) दो बार भोजन। (सुद० १३१) द्रोणाचार्यप्रतिमामारोप्य स्वसहायेन धम्वियतापि प्राप्ता किल।' द्वयस (वि०) इतने से इतना। (जयो०वृ०२०/६०) द्वयात्मक (वि०) दो रूप युक्त। द्रोणायनः (पु.) अश्वत्थामा। द्वयी (स्त्री०) युगल, युग्म। द्रोणि:द्रोणी (स्त्री०) [द्रु+नि-द्रोणि ङीष्] १. कुप्पी, जलाधार, द्वाः (स्त्री०) द्वार, दरवाजा, उपाय। (वीरो०५/३१) शुद्धरेश्च काठ की खोर। २. एक माप विशेष। किं द्वाः जिनवाक्यप्रयोगः। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy