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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दौर्धात्र्यं ४९७ द्योतक दौर्धात्र्यं (नपुं०) [दुर्धात्+अण] आपसी मन मुटाव, अन्तर्कलह, धुकः (धु+कन्) उल्लू। ___ भाईयों का आपस में मन-मुटाव। धुचरः (पुं०) १. ग्रह, २. पक्षी। दौर्मनस्यं (नपुं०) [दुर्मनस्+ष्यञ्] १. तुच्छमन, निम्नमन, २. धुजयः (पुं०) स्वर्ग प्राप्त करना। अधम स्वभाव, ३. मानसिक क्लेश, कष्ट, दु:ख, विषाद, द्युत् (अक०) चमकना, प्रकाशित होना, जगमगाना। पीड़ा, ४. निराशा, उदासीनता। द्युत् (सक०) स्पष्ट करना, समझाना, व्याख्या करना। दौर्मन्त्र्यं (नपुं०) [दुर्मन+ष्यञ्] निम्न मन्त्रणा, तुच्छ उपदेश। द्युतिः (स्त्री०) [द्युत्+इन्] १. कान्ति, प्रकाश दीप्ति, प्रभा, निम्नस्तर की विचार भावना। आभा। (सुद० ३/१६) २. महिमा, कीर्ति, यश, गौरव। दौर्वचत्यं (नपुं०) [दुर्वचस्+घ्यञ्] दुर्वचन, कुकथन, निम्नवाणी, द्युतित (वि०) प्रकाशित। नीच-उपदेश, अप्रिय भाषण, कर्णकटु अपलाप। द्युतिदानं (नपुं०) प्रदीप्तिसम्पादन। दौर्हत्दं (नपुं०) [दुर्हद+अण्] हृदय की बुरी भावना, हृदयगत द्युतिदानहेतुः (नपुं०) प्रदीप्तिसम्पादन के निमित्त, कान्तिदान वैमनष्यता, मन की तुच्छ अवस्था। हेतु। (जयो० १७/६६) दौर्हदयं (नपुं०) शत्रुता, मन-मुटाव, कलुषता। धुमणि (स्त्री०) सूर्यकान्तमणि। (जयो० १८/३९, १६/६८) दौलिक (वि०) हिंदोलित, चलायमान। (४/२ वीरो० २१) द्युतिमत् (वि०) मनोहर कान्ति युक्त। अयि काविलराजोऽयं दौल्मिः (पुं०) इन्द। शस्यद्युतिमत्त्वमस्य पश्य वपुः। (जयो० ६/४२) दौवारिकः (पुं०) [द्वार+ठक्] द्वारपाल, पहरेदार। (दयो० १०६) द्युम्नं (नपुं०) [द्यु+म्ना-क] १. कान्ति, आभा, प्रभा, प्रकाश। दौश्चर्यं (नपुं०) [दुश्चर+ष्यञ्] दुराचरण, दुष्टता, दुष्कृत्य। २. कीर्ति, यश, सामर्थ्य, बल शक्ति, ३. सम्पत्ति, वैभव, दौष्कूल (वि०) नीच कुल्लोपन्न, अघमकुल में उत्पन्न। ४. प्रोत्साहन। दौष्ठव (वि०) [दु:+स्था+कु-दुष्ठु तस्य भावः-अण्] दुष्टता, धुपति (पुं०) भानु, सूर्य, दिनकर। (जयो० १५/७) दिनकर। बुराई, शत्रुता। धुरत्नं (नपुं०) [दधाति पौप्ये समये धुरत्नम्] सूर्य, (वीरो० दौष्यंति (पुं०) दुष्यंत पुत्र। दौस्थ्यं (नपुं०) १. वैरभाव, असहिष्णुता। २. आरम्भ परिग्रह ६/१६) (जयो० २/११३) 'महीभृतामेव शिरस्सु सौस्थ्यं सदा दधानो धुरामा (स्त्री०) आकाश की स्वच्छ स्वभाविणी स्त्री। 'नष्टेऽपि विषमेषु दौस्थ्यम्।। (जयो० १/३०) 'दौस्थ्यं दुस्थितिमत्त्व __पत्यौ तरणै धुरामा सुधांशुमारादभिसर्तुकामा' (जयो०१५/२७) महिष्णुतां विषमेषु कामस्तस्य दौस्थ्यं वैरभावं दधानः। धुवन् (पुं०) सूर्य। (जयोवृ० १/३०) ० मन की कुटिलता (वीरो० १६/१५) धुसदा (पुं०) देव, अमर। पीड़ा (सम्य ९०) द्यतः (पं०) जुआ खेलना, जआ। (जयो० २/१२५) अक्ष दौस्थितिः (स्त्री०) चुगलखोर। (समु० ८/२८) पासादिनिक्षिप्त। दाव लगाना। वित्ताञ्जय-पराजयम्। क्रियायां दौस्थित्यं (नपु०) दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति। दौस्थित्येन हि हेतुना विद्यते यत्र, सर्वं द्यूत मिति स्मृतम्। (लटी० २/१११) जगति ना संभाति भार्याजितः। (मुनि० २३) द्यूतकर (वि०) जुआरी। (दयो० २०) दौहित (पुं०) दोहिता, पुत्री का पुत्र। (हित० सं० १०) द्यूतकार (वि०) जुआं खेलने वाला। द्यूतकारमिव रिक्तपाणिम्' दौहित्रं (नपुं०) तिल। द्यूतक्रीड़ा (स्त्री०) जुआं खेलना। दौहित्रायणः (पुं०) [दौहित्र+फक] दोहते का पुत्र। द्यूतवृत्ति (स्त्री०) जुआरी, जुआंघर रखना। दौहित्री (स्त्री०) [दौहित्र ङीप्] दोहती, पुत्री का पुत्र। द्यूतसभा (स्त्री०) जुंआघर, द्यूतस्थान, द्यूतशास्त्र। दौहृदिनी (स्त्री०) [दोहद्+इनि+ङीप्] गर्भधारण करने वाली | } (अक०) घृणा करना, तिरस्कार जन्य व्यवहार करना, स्त्री, गर्भवती स्त्री। निन्दा करना। धु (अक०) अग्रसर होना, सामना करना, आक्रमण करना, द्यो (स्त्री०) स्वर्ग, आकाश, अन्तरिक्ष। घात लगाना। द्योतः (पुं०) [द्युत्+घञ्] १. प्रभा, कान्ति, आभा, ज्योति, धु (नपुं०) [दिव्+उन्] १. दिवस दिन, २. आकाश, ३. स्वर्ग, प्रदीप्ति, प्रकाश, २. धूप, गर्मी। ४. प्रकाश। द्योतक (वि०) चमकने वाला, कान्तिवान्, प्रकाशमय। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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