SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देहपूतः ४९४ दैवगतिः देहपूतः (पुं०) शारीरिक स्वच्छता। यतः। मङ्गलोत्तम-शरण्यतां श्रितो देहिनां तदितरोऽस्तुको देहबद्ध (वि०) मूर्त, शरीर की सन्नद्धता। हितः।। (जयो० २/२७) अधिकतुर्मिदं देही वृथा वाञ्छति देहबन्ध (नपुं०) १. शरीर बन्ध, काय की जकड़न, २. शरीर मोहतः। (वीरो० १०/४) प्रायः प्राग्भाव-भाविन्यौ प्रीतत्यप्रीत की हड्डि । च देहिनाम्। देहभाज् (पुं०) शरीर धारी, काययुक्त। देहिराशि (स्त्री०) जीवसमूह। (सुद० १२१) देहभुज् (पुं०) प्राण, जीव, आत्मा, चेतना। दै (सक०) पवित्र करना, शुद्ध करना। देहभृत् (पुं०) जीवधारी । दै (अक०) पवित्र होना, धवल होना। देहमात्रावशिष्ट (वि०) देहमात्र धारण करते हुए। 'देहमात्रावशिष्टो दैगम्बरी (वि०) दिगम्बरता, निर्ग्रन्थता। (सुद० ८१) दिगम्बरः' (दयो० २५) दैतेयः (पुं०) [दिति ढक्] दैत्य, दिति का पुत्र। देहयात्रा (स्त्री०) मृत्यु, मरण। दैतेयगुरु (पुं०) असुरों में पूज्य। देहरुक् (स्त्री०) शरीर कान्ति, देहप्रभा। (जयो० २४/५) दैतेयपुरोधस् (पुं०) दैत्यों के प्रमुख। देहला (स्त्री०) [देह+ला+क] मदिरा, शराब। दैत्यः (पुं०) देवता। देहलिः (स्त्री०) [देह+ला+कि] द्वाराग्रभाग, चौखट, दरवाजे दैत्या (स्त्री०) [दैत्य+टाप्] औषधि। १. मदिरा, सुरा। के नीचे की लकड़ी। (जयो० ) दैन (स्त्री०) [दिनं दिनं भव दिनंदिन+अण दिन+ठज] दैनिक। देहलिदीपः (पु०) देहली पर रखा दीपक। दैनंदिनी (स्त्री०) दैनिक, दिन सम्बंधी। देहलिन्यायः (पुं०) न्याय के अन्तर्गत। दैन्यं (नपुं०) १. दयनीय, निर्धन, गरीब। दरिद्रता, दुर्दशा, देहवायुः (स्त्री०) प्राणवायु। दीनता (जयो० १/११३) २. कष्ट, खेद, दु:ख शोक, देससम्बन्धिन् (वि०) शरीर से सम्बन्ध रखने वाली। देहात्मन्। दुर्बलता खिन्नता, उदासीनता। 'धीभ्रंशनं परवशत्वमुपैति (सुद० ४/५) विसृजेद् देहात्मनः दैन्यम्' बुद्धिहीन परवशता और दीनता को प्राप्त होता है। देहसारः (पुं०) मज्जा। (जयो० २/१२९) देहस्वभावः (पुं०) शारीरिक गुण। कायिक विशेषता। दैन्यभाक् (स्त्री०) दीनदशा, निर्धनावस्था। (दयो० १/१९) देहस्वरूपः (पुं०) शरीर लक्षण। देही देहस्वरूपं एवं देह दैव (वि०) [देव+अण] देवों से सम्बन्ध रखने वाला, देवीय, सम्बन्धिनं गणम्। मत्वा निजं परं सर्व-मन्यदित्येष मन्यते। । स्वर्गिक, दिव्य। (सम्य० १२०) (जयो० ११/८२) (सुद० ४/५) दैवं (नपुं०) भाग्य-प्रयतेत नरः किन्तु भविष्यति तदेव यत देहस्थित (पुं०) पिण्डस्थित, शरीर में स्थित। (भक्ति० २८) दैवेन वाञ्छयते भूमौ दैवाग्रे ना नपुंसकः।। (दयो० ७७) देहात्मन् (वि०) देहसम्बन्धी, बहिरात्मा। (सम्य० ४०) योग्यता कर्म पूर्वं वा।' योग्यता या पूर्व कर्म का नाम दैव देहात्मन् (पुं०) जीव जन्तु। (सुद० ४/६) देहात्मवादः (पुं०) भौतिक विचार, चार्वाक सिद्धान्त। • फल देने को उन्मुख होना। देहात्मविवेकः (पुं०) शरीर और आत्मा सम्बंधी विवेक। ० अध्यवसाय का कारण बनना। समस्ति देहात्मविवेकरूपः शुभोपयोगी गुणधर्म कूपः। किम् देवे विपरीते परुषाण्यपि पौरुषाणि स्युः। किलान्तरात्माऽयमनेन भाति परीतसंसार-समुद्र-तातिः।। (जयो० ६/६७) भाग्य, नियति, भविभव्यता, किस्मत, (समु०८/२२) योग, संयोग। देहावरणं (नपुं०) कवच, रक्षक, परिधान। दैवकर्मन् (नपुं०) दिव्यकर्म, देवताओं की पूजा आदि करना। देहावलोकनं (नपुं०) शरीर विज्ञान, शरीर दर्शन। दैवकोविदः (पुं०) ज्योतिषी, निमित्तज्ञानी, भविष्यवेत्ता। देहिन् (वि०) [देह+इनि] शरीरी, शरीरधारी। 'नो चेत्पुनरसन्तीष दैवकृत (वि०) भाग्यधीन। सन्ति यानि तु देहिनः' (वीरो० ८/३१) दैवज्ञः (पुं०) ज्योतिषी, निमित्तज्ञानी। (दयो० ७७) देहिन् (पुं०) जीवधारी प्राणी। (सुद० ४/१६) 'देही देहस्वरूपम्' | दैवचिन्तकः (पुं०) भविष्यवेत्ता, ज्योतिषी। (सुद० ४/७) सर्वतः प्रथममिष्टिरहतो देवतास्वपि च देवता | दैवगतिः (स्त्री०) भाग्य की परिणति। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy