SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दूषिण ૪૮૬ दृढप्रहारः दक्षिण (वि०) तिरस्कृत करने वाले। (जयो० १०/५७) दृगप्लावनं (नपुं०) नेत्रों का मंगल स्नान। (सुद० १०१) दूषित (वि०) [दूष्-णिच्+क्त] भ्रष्ट, पतित, गिरा हुआ, दृगुत्तमा (वि०) उत्तम दृष्टि वाली। (जयो० ५/९३) विकृत, निन्दित, अपवित्र, विकृत, अपहत, हतोत्साहित, | दृनिर्निमेषत्व (वि०) नेत्र की स्थिरता, पलक का एकाग्रीकरण कलंकित, बदनाम, अपमानित। पलकों का नहीं झपकना। इतीव वक्तुं जगते जिनस्य दृष्य (वि०) [दूष्+णिच् यत्] निन्दनीय, गर्हित, कलंक युक्त। दृनिर्निमेषत्वमगात्वसमस्य' (वीरो० १२/४२) केवल ज्ञान दूष्यं (नपुं०) १. वस्त्र, २. मवाद, राद, ३. विष, ४. कपास, प्राप्त करते ही भगवान् के नेत्र निर्निमेष हो गए। ५. तम्बू। दृङ्मोहः (पुं०) दर्शनमोहनीय कर्म। (सम्य० ५९) दूष्यकं (नपुं०) वस्त्रगृह, तम्बू, डेरा। महिलाभिरलाभिदूष्यक | दृङमोहनाश: (पुं०) दर्शनमोहनीय कर्म का नाश। (सम्य० प्रसमीक्षासहिताभिरध्यकम्। (जयो० १३/७१) ११०) दृष्या (स्त्री०) हाथी के कसने का तंग। दृकं (नपुं०) [दृकक्] १. छिद्र, २. दृष्टि। (भक्ति० १२) दृ (अक०) आदर करना, सम्मान करना, पूजा करना, | दुकक् (वि०) देखने वाला। (वीरो० २०/१०) प्रतिष्ठा करना, मन लगाना, आराधना करना, संलग्न दृढ (वि०) [दृह्+क्त] स्थिर, अचल, ठोस, कठोर, मजबूत रहना, ध्यान करना, स्तवन करना। कसा हुआ, संपुष्ट, स्थापित, अत्यधिक शक्तिशाली, दूह (अक०) पुष्ट करना, समर्थन करना, दृढ़ होना, विकसित टिकाऊ, गहन, बड़ा, मर्मभेदी। (जयो०८/२६) होना। दृढकाण्डः (पुं०) बांस। इंहित (भू०क०कृ०) [इंह+क्त] पुष्ट किया, समर्थन किया। दृढकर्मन् (वि०) अचल कार्य, स्थिर कार्य। दुक (नपुं०) चक्षु, नयन, नेत्र, अक्षिा 'दृक् तस्य चायात्स्मर- दृढग्रन्थिः (स्त्री०) बांस। दीपिकायाम्' (जयो० १०/११५) दृढग्राहिन् (वि०) शक्ति से पकड़ा हुआ, बलपूर्वक ग्रहीत। दक्पथं (नपुं०) नयनपथ। (जयो० ४/९) देखना, अवलोकन दृढचित्तं (नपुं०) कठोर हृदय। (जयो० २/११) करना। दृढचेता (वि०) दृढ चित्त वाला, संकल्पशीलमना। (समु० ३/५) दुग (नपुं०) चक्षु, नेत्र। (सुद० ) दृष्टि (जयो० १/७८) दृढत्व (वि०) शक्तिशाली, मर्मभेदी, अचलत्वा (वीरो० ३/२) दृग्ज्ञानवृत्तं (नपुं०) दर्शन, ज्ञान और आचरण (सम्य० १२४) औदार्य रूपमारोग्यं दृढत्वं पटुवाक्यता। (दयो० ७०) दरज्ञानसुखं (नपुं०) दर्शन और ज्ञान का सुख। (भक्ति० ३१) दृढदंशकः (पुं०) मगर मच्छ। दृग्देशित (वि०) दृष्टिपथ से युक्त। (जयो० २०/४१) दृष्टि दृढद्वार (वि०) वज्रद्वार, ठोस दरवाजा। द्वारा अच्छी तरह देखा गया। दृढधनः (पुं०) बुद्धि, मति, धी। दृग्भ्रमरी (वि०) नयनगोचर, नेत्र रूपी भ्रमरी। दृगेवभ्रमरी दृढधन्विन् (पुं०) श्रेठ धनुर्धारी। (जयो० १०७०) दृढधारा (स्त्री०) तेज प्रवाह। दुग्वर्त्म (वि०) दृशौर्नेत्रयोर्वर्त्म-मार्ग नयनगोचरः। (वीरो०६/२१) दृढधार्मिक (वि०) दृढव्रती। (वीरो० १५/४१) दृग्मोहः (पुं०) दर्शन मोह। (सम्य० १२३) दृढधार्मिकता (वि०) श्रेष्ठ धार्मिक भाव वाला। दृगन्तः (पुं०) कटाक्ष, तिरछी चितवन। 'दृगन्तो मम दृढनिश्चय (वि०) अडिग, अटल, पुष्ट, उचित। कटाक्षविक्षेपः' (जयो० १६/१५) (सुद० १०३) दृढनीरः (पुं०) नारिकेल वृक्षा दूगन्तसमर्थिनी (वि०) नेत्र पर्यन्त खींची गई। (जयो० १०/३६) दृढनीति (स्त्री०) उचित विचारधारा। दृगन्तवाणं (नपुं०) कटाक्षशर। (जयो० १७/१६) दृढंत (नपुं०) दृढ़ता युक्त, अत्यधिक शक्ति सम्पन्न। दगञ्चयर्ची (वि०) आंखों की चमक, आंखों में अनुराग। दृशा दृढपथं (नपुं०) गहन पथ। दर्शनमात्रेणानायासेन स्वत एवाञ्चन्निर्गच्छदर्चिर्यस्य, यद्वा दृढपादपः (पुं०) पुष्ट पौधा, उत्तम पादप, पुष्ट पौधा। दुशोरञ्चदर्चिर्यस्य स' (जयोवृ० १२/६९) दृढप्रतिज्ञ (वि०) निश्चल वृत्ति वाला, निश्चल प्रतिज्ञा वाला। दृगञ्चला (वि०) अत्यन्त चञ्चल अपांगों वाली। 'दृगञ्चला | (सुद० १२१) चञ्चलापाङ्गवती' (जयो०वृ० ६/४७) दृढप्रहारः (पुं०) मर्मभेदी प्रहार, कठोर प्रहार। (जयो ८/२६) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy