________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दृढप्रहारिन्
४८७
.
दृष्ट
दृढ प्रहारः प्रतिपद्य मूर्छामिभस्य हस्ताम्बुकणा अतुच्छाः।
(जयो० ८/२६) दृढप्रहारिन् (वि०) शक्ति से प्रहार करने वाला। दृढभक्ति (वि०) श्रद्धालु, निष्ठावान्। दृढमतिः (स्त्री०) १. एक आर्यिका, जैन साधनाशील आर्यिका
साध्वी। २. स्थिरबुद्धि, अडिग, स्थिरप्रज्ञा। दृढमुष्टि (वि०) कृपण, कंजूस। दृढमूलः (पुं०) नारिकेल तरु। दृढलोमन् (पुं०) जंगली सुअर। दृढयोगचा (स्त्री०) योग की कठिन चर्या। (दयो० ३०) दृढवैरिन् (पुं०) निर्दय शत्रु, निर्दय व्यक्ति। दृढव्रत (वि०) धर्ममार्ग पर स्थिर। दृढसंकल्प (वि०) प्रण का पक्का। (दयो० १/१५) दृढसन्धि (वि०) कसकर जुड़ा हुआ, सघन, संहत, सटा हुआ। दृढसंयमाञ्चित (वि०) दृढसंयम का धारक। स्फुरन्मनः
पर्ययचारणर्द्धितः समन्वितः सन्दृढसंयमाञ्चित। (समु० ४/१८) दृढसौहृद (वि०) अटल मित्रता वाला। दृढांग (वि०) शक्तियुक्त शरीर वाला, बलशाली। दृढादेश (वि०) दृढता युक्त। (जयो० २३/८४) दृढाशय (वि०) दृढचित्त वाला, स्थिरचित्त। 'दृढ आशयो येषां
ते दृढचित्ताः' (जयो०१० २/११) दृतिः (पुं०) मशक, चर्म मछली, धौंकनी। दृप (सक०) प्रज्ज्वलित करना, जलाना, सुलगाना, प्रकाशित
करना। दप (सक०) अहंकार होना, ढीठ होना, घमण्ड करना,
आरम्भ होना। दृप्त (वि०) [दृप्+क्त] अहंकारी, घमण्डी, मदोन्मत्त, असभ्य,
मूढ, मंदबुद्धि युक्त। दृप्तिः (स्त्री०) १. विद्यमानता (वीरो० २०/११) २. अहंकार। दृप्र (वि०) [दृप्+रक्] अहंकारी, घमण्डी, शक्तिशाली। दृष्धिः (वि०) कोमलता। (सम्य० ४५) उत्साहविचारदृब्धिः। दृश् (सक०) १. देखना, दृष्टि रखना, अवलोकन करना, २.
समीक्षा करना, निरीक्षण करना, ३. सम्मान करना, ४. प्रतीक्षा करना, सीखना, जानना। 'ददर्श योगीश्वरमात्मसाधनम्' पश्यति, दृश्यते, दर्शयति (सुद० ३/५३) दशर्यते, अदर्शि (जयो० १/९०) 'दृष्टवा मुनीन्द्रं कमलश्रियो भूः' (सुद० २/२५)'अपश्यमस्यन्तमितो द्रुतम्' (सु०२/१७) 'दृष्टुं मुखं मञ्जु दृशो रयेण' (वीरो० ५/९)
दृश् (वि०) [दृश्+क्विप्] १. देखने वाला, अवलोकन करने
वाला, विवेचन करने वाला, जानने वाला, प्रतीत होने वाला। (सम्य० ७९) २. अवलोकन, ज्ञान, दृष्टिगोचर,
आंख, दृष्टि। (सुद० २/४८) दृश् (नपुं०) दर्शन, विश्वास, श्रद्धा। (सम्य० ७९) दृशद् (स्त्री०) प्रस्तर, पत्थर। दृशंत (वि०) अपाङ्गवीक्षण। (जयो० १७/१३) दृशमाक्षु (नपुं०) नयन, नेत्र, अक्षिा (सुद० ७०) दृशा (स्त्री०) [दृश्+टाप्] अक्षि, आंख, चक्षु दृष्टि। (सुद०
७०) नेत्र, नयन (जयो० १/८३, जयो० ५/३३) दृशानः (पुं०) [दृश्+आनच्] १. आध्यात्मिक गुरु। २. विप्र,
३. लोकपाल। दृशानं (नपुं०) प्रकाश, प्रभा, कान्ति, उजाला। दशाभिरामः (पुं०) मनोहर दृष्टि। 'दृक् दृष्टिश्च तयाऽभिरामो ___ मनोहरः' (जयो०वृ० १/८३) दृशिः (स्त्री०) दृष्टि, आंख, अक्षि। दृशि-निमिष (वि०) पलकपात। 'दृशि दृष्टौ निमिषः
पलकपातस्य' (जयो०१० २२/२९) दृश्य (संकृ०) दर्शनीय, देखने योग्य, देख करके, अवलोकनीय।
(सम्य० २४) 'इदं प्रत्यक्षदृश्यं रवितामियति' (जयो० १/२३) 'आनन्दृशः प्रसन्नदृष्टेरेकोऽनन्यरूपश्चासौ दृश्यो
दर्शनीयस्तम्' (जयो० १/७७) दृश्यतम (वि०) सर्वोत्कृष्ट दर्शनीय। दृश्यतमोऽयं बाले
कुसुमेषुरदृश्य इति किन्तु। (जयो० ६/८७) दृश्यवस्तु (नपुं०) देखने योग्य पदार्थ। (सुद० १०९) दृश्यविधिः (स्त्री०) देखने की विधि, अवलोकन पद्धति,
निरीक्षण की रीति। (भक्ति० २६) दृश्वन् (वि.) [दृश्+क्वनिप्] देखने वाला, परिचित, समझने
वाला। दृषद् (स्त्री०) [दृ+अदि, षुक्] १. चट्टान, पत्थर, शिला। २.
सर्वज्ञ। (वीरो० २०/११) दृषद्त् (वि०) [दृषद्+व्रत] चट्टान से बना हुआ, शिला से
निर्मित। दृष्ट (भूक०कृ०) [दृश्+क्त] देखा गया, अवलोकित,
पर्यवेक्षित, दर्शनीय, अवलोकनीय, दृष्टिगोचर किया गया, पर्ववेक्षणीय। (सम्य० ७१) ० समझा गया, सोचा गया, सराहा गया, व्यक्त किया गया, जाना गया।
|
For Private and Personal Use Only