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दिवं
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दिव्यध्वनिः
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(सुद० ४/३४) २. आकाश, ३. दिन, ४. प्रकाश, कान्ति, मनोहर, रमणीय। ३. स्वर्गीया दैवी, आकाशीय, ४. उज्ज्वल, प्रभा, चमक।
कान्ति युक्त, ५. देव सम्बन्ध, स्वर्ग सम्बन्ध। (जयो० दिवं (नपुं०) [दिव+क] १. स्वर्ग, (जयो० ३/६८) २. १/३४) आकाश, ३. दिन, ४. अरण्य।
दिव्यः (पुं०) १. अलौकिक प्राणी, २. जौ, ३. यम। दिवसः (पुं०) [दीव्यतेऽत्र दिव्+असच्] दिन। (सु० ४/२३) | दिव्यं (नपुं०) १. दैवी प्रकृति, दिव्यता, आकाश। २. शपथ, त्रिंशन्मुहूर्ता दिनरात्रिरैका (सम्य० ३)
सत्योक्ति, ३. साक्षी। ४. लवंग। दिवसं (नपुं०) दिन।
दिव्यकला (स्त्री०) अलौकिक कला, उत्तम विद्या। दिवसकरः (पुं०) दिनकर, सूर्य, रवि।
दिव्यकारिन् (वि०) साक्षी लेने वाला, शपथ लेने वाल, दिवसनाथः (पुं०) दिनकर, सूर्य।
दिव्यकौमुदी (स्त्री०) श्रेष्ठ ज्योत्स्ना, पूर्ण चांदनी, पूर्णिमा की दिवसपतिः (पुं०) दिनोदय का सद्भाव। (जयो० १८/४२) कौमुदी। दिवसमुखं: (नपुं०) प्रात:काल।
दिव्य-कौमुदी (स्त्री०) स्वच्छ आकाश, खुला आकाश। दिवसविगमः (पुं०) सूर्यास्त, सान्ध्यकाल।
दिव्यगतिः (स्त्री०) उत्तम गति, देवगति। दिवसेशसर्गः (पुं०) सूर्य। (समु० ६/९)
दिव्य-गानं (नपुं०) उत्तम गान, उच्चगान, श्रेष्ठ गीत। दिवसेश्वरः (पुं०) सूर्य, रवि।
दिव्यगायन: (पुं०) गन्धर्व। दिवा (अव्य०) [दिव। का] दिन में, दिन के समय। (जयो० । दिव्य-गुणः (पुं०) १. देव सम्बन्धी गुण। दिव्यसम्बन्धिनो १५/४)
गुणस्य दयादानादेः प्रयोगः। (जयोवृ० १/९४) २. दिवाकरः (पुं०) सूर्य, रवि।
अश्रुतपूर्वगुण-दिव्यस्य अश्रुतपूर्वस्य गुणस्य गणनप्रयोगः दिवाकीर्तिः (स्त्री०) चाण्डाल।
(जयो०वृ० १/३४) दिवातनः (वि०) दिवस सम्बंधी।
दिव्यज्ञानं (नपुं०) परम ज्ञान, अच्छा ज्ञान, अलौकिक प्रतीति, दिवानिशं (अव्य०) दिन रात। दिवानिशां विश्वहिते प्रवृत्ता अपूर्व ज्ञान। (सुद० ११८)
दिव्यता (वि०) उत्कृष्टता, अलौकिकता। दिवान्धः (पुं०) उल्लू। (जयो०वृ० १८/३१)
दिव्यतमध्वनिः (स्त्री०) उत्तम से उत्तम ध्वनि। उदियत्य दिवान्धकी (स्त्री०) छछुन्दर।
जिनाधीशाश्चोऽसौ दिव्यतमो ध्वनि (वीरो० ४५/३) दिवाधिपः (पुं०) रवि, सूर्य (वीरो० १२/१)
दिव्यतनु (नपुं०) भव्य शरीर, सुंदर देह। (जयो० २/४०) दिवाप्रदीपः (पुं०) दिन का दीपक, अप्रसिद्ध पुरुष। दिव्यदेहसम्पन्न (वि०) वपुष्मती, दिव्यशरीर से युक्त। दिवाभीत: (स्त्री०) उल्लू।
(जयो० २/४१) दिवामणि (पुं०) सूर्य, सहस्ररश्मि। (जयो० १५/३१) दिव्य दर्शनं (नपुं०) अनुपम अवलोकन। दिवामध्यं (नपुं०) मध्याह्न।
दिव्यदानं (नपुं०) उत्तम दान, उचित दान, उत्कृष्ट चिन्तन। दिवारानं (अव्य०) दिन रात।
दिव्यदेहिन् (पुं०) सुरेन्द्र। (जयो० २/२४) दिवास्तुः (पुं०) सूर्य।
दिव्यदृक् (नपुं०) दिव्यदृष्टि। (सु० २/३५) दिवाशय (वि०) दिवस में शयन करने वाला।
दिव्यदृश्यं (वि०) उत्कृष्ट देखने की शक्ति। दिवास्वप्नः (पुं०) दिन में शयन, दिन में स्वप्न।
दिव्यधारा (स्त्री०) अविरल प्रवाह, स्वच्छधारा, निरन्तर गतिशील। दिवास्वापः (पुं०) दिन में स्वप्न।
दिव्यध्वनिः (स्त्री०) अनक्षरात्मक ध्वनि, वचन प्रकार। दिविः (स्त्री०) नीलकण्ठ, चाष पक्षी।
(भक्ति० ३३) सर्वभाषामयीधर्म ध्वनि। दिवौकस (पुं०) देव।
स्वर्गापवर्ग-गममार्ग विमार्गणेष्टः, दिवौकसामीशः (पुं०) इन्द्र। (जयो० २४/२१)
सद्धर्मतत्त्व-कथनैक- गुणैक-पटुस्त्रिलोक्याः । दिव्य (वि०) [दिव्यत्] १. अतिशय युक्त, अलौकिक, दिव्यध्वनिर्भवति ते विशदार्थ-सर्व
अपूर्व, अनुपम, प्रमुख, श्रेष्ठ, उन्नत। २. देदीप्यमान, भाषास्वभाव-परिणाम-गणप्रयोज्यः।।
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