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दिग्विजयप्रयाणः
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दिव्
दिग्विजयप्रयाण: (पुं०) दिशाओं में विजय के लिए प्रस्थान, दिनपतिः (पुं०) रवि, सूर्य। (जयो० १४/९५) प्रयाण वेला। (जयो० ६/५३)
दिनबन्धु (पुं०) सूर्य, रवि। दिग्विजय समयः (पुं०) दिशाओं में विजय का समय। दिनमणि (पुं०) सूर्य, रवि, दिनकर। दिग्विरति (स्त्री०) दिशाओं की मर्यादा, दिग्व्रत। दिग्वलयं दिनमनापि (वि०) यावद्दिन, जीवन पर्यन्त तक।
परिगणितं कृत्वातोऽहं बहिर्न यास्यामि। (रत्नकाण्ड ४/६८) दिनमयूखः (पुं०) सूर्य, रवि, दिनकर। दिण्डि (पुं०) एक वाद्य यन्त्र।
दिनमुखं (नपुं०) प्रभात वेला, प्रात:काल। दिण्डिरः (पुं०) देखें ऊपर।
दिनमुत्ततार (वि०) दिवस व्यतीत करने वाली। (जयो०२४/११८) दित (वि०) [दो+क्त] विदीर्ण, खण्डित, कटा हुआ, छिन्न-भिन्न दिनमूर्धन् (पुं०) उदयाचल पर्वत। किया गया, विभक्ति।
दिनमोदकः (पुं०) सूर्य, रवि। दितिः (स्त्री०) [दो+क्तिन्] काटना, टुकड़े-टुकड़े करना, दिनरत्नः (पुं०) सूर्य, रवि। विभक्त करना।
दिनयौवनं (नपुं०) मध्याह्न, दोपहर का समय। दितिजः (पुं०) राक्षस, पिशाच।
दिनश्री (स्त्री०) सूर्य की शोभा। (जयो० १५/१६) दित्यः (पुं०) [दिति+यत्] राक्षस।
दिनवच्छ्री (स्त्री०) दिन की शोभा, सूर्यप्रभा, खिली हुई धूप। दित्सा (स्त्री०) [दातुमिच्छा-दा+तन-अ+टाप्] देने की इच्छा, (सुद० ३/१६) प्रदान करने का भाव।
दिनागमः (पुं०) प्रात:काल। दिदृक्षा (स्त्री०) [दृष्टुमिच्छा-दृश्+सन्+अ+टाप्] देखने की | दिनाण्डं (नपुं०) अन्धकार, अन्धेरा। इच्छा, अवलोकन का भाव।
दिनात्मजः (पुं०) १. शनि, २. सुग्रीव। दिधिषुः (स्त्री०) [दिधं धैर्यं स्यति] पुनर्विवाहित स्त्री का दिनात्ययः (पुं०) सायंकाल, संध्या समय। 'दिनात्यये प्रावृषि पति।
वारि वर्षति' (जयो० २४/२७) दिधीर्वा (स्त्री०) [धृ+सन्+अ+टाप्] जीवित रखने की इच्छा, | दिनादिः (पुं०) प्रात:काल। सहारा देने का भाव।
दिनान्तः (पुं०) सूर्यास्त का समय, सन्ध्याकाल, सायंकाल। दिनं (नपुं०) दिवस, दिन, चौबीस घण्टे का समय। 'प्रातः
(दयो० ३९) समये यादृशं शुभाशुभं कर्म विधीयते तादृशमेव दिनं व्यत्येतीति दिनान्तसमयः (पुं०) सूर्यास्त का समय, सन्ध्या काल, सायंकाल,
(जयो० २/२३) 'दिनानि अत्येति तटस्थ एव' (सुद० १११) अस्ताचल का काला (जयो० १५/४) दिनकरः (पुं०) सूर्य, रवि, सूरज। (जयो०वृ० १०/११६) दिनाधीश: (पुं०) सूर्य, रवि, दिन का पति-सूर्य। दिनकर्तृ (पुं०) सूर्य, रवि।।
दिनावसानं (नपुं०) अस्ताचल का समय, सूर्यास्त का समय। दिनकेशरः (पुं०) अंधकार, अंधेरा।
दिनिका (स्त्री०) [ दिन+ठन्+टाप्] दिन की मजदूरी। दिनकौमुदी (स्त्री०) प्रकाश, सूर्य प्रभा।
दिनेशः (पुं०) सूर्य, रवि। (जयो० ४/६१) दिनखण्डः (पुं०) दिवस भाग।
दिनेश्वरः (पुं०) दिनकर, सूर्य. भानु। दिनचर्या (स्त्री०) प्रतिदिन की क्रिया, प्रतिदिन का कार्यक्रम। | दिनोदयसद्भावः (पुं०) दिवसप्रवेश, दिन का प्रारम्भ, दिनज्योतिस् (नपुं०) धूप, सूर्यप्रभा।
प्रात:काल। (जयो० १८/४२) दिनत्रय (वि०) तीन दिन। (सुद० १२३)
दिरिपकः (पुं०) कन्दुक, गेंद। दिनदुःखितः (पुं०) चक्रवाक पक्षी।
दिलीपः (पुं०) सूर्यवंशी नृप। दिननाथः (पुं०) सूर्य, रवि।
दिव (अक०) १. चमकना, प्रकाशमान होना, उज्ज्वल होना,। दिननाथकान्तः (पुं०) सूर्य, रवि, दिनमणि, सूर्यकान्तमणि। २. फेंकना, ३. खेलना, ४. दांव लगाना।
मन्दाग्निरुग्युगभवद्दिननाथकान्त, दिननाथकान्ता नाम दिव (सक०) १. बेचना, २. प्रशंसा करना, कमाना, सताना, सूर्यकान्ता नाम मणि। (जयो० १८/१८)
कष्ट देना। दिनपः (पुं०) रवि, सूर्य। (वीरो०१० ४/३०)
दिव (स्त्री०) [दीव्यन्त्यत्र दिव+वा आधारे डि] १. स्वर्ग।
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