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दानवारि
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दारसारः
दानवारि (नपुं०) दान देने योग्य जल।
दापयामि दिखलाता हूं, दिलवाता हूं। दानवारि (वि०) दानवों को शत्रु।
दापितवान् (वि०) दिलवाई गई। (वीरो० ७/६) दानवीरः (पुं०) दान में प्रवीण, परमदानी। (सुद० २/३९) दायक (वि०) देने वाला। दत्तं दायकः। दानवेयः (पुं०) दानव, राक्षस, पिशाच।
दायितं (वि०) [दा+णिच् क्त] प्रदत्त किया गया, दिलाया दानशालिता (वि०) दान देने में तल्लीनता। निरीक्ष्य माताऽस्य गया, लगाया गया, २. अधिन्यस्त, प्रदत्त।
च दानशालितां निषेधयामास दुरीहिताञ्चिता। (समु० ४/७) दामः (पुं०) माला। (जयो० ) हार। दानशीलत्व (वि०) दान शीलता। (जयो० १/१२)
दामक्षेपणं (नपुं०) माल्यार्पण। (जयो० ३/६) दानार्थ (वि०) दान के निमित्त। (जयो० १/४२) संकल्प
दामनीतिः (स्त्री०) एक नीति विशेष। (जयो० २/१) ___ कारिजलयुक्त दान।
दामन (नपुं०) [दो+मनिन्] १. धागा, डोरी, रस्सी, फीता। २. दामार्चनं (नपुं०) दान पूजा। (समु० ४/२९)
___हार, पुष्प, गुच्छा, माला गुलदस्ता। (जयो० ४/३१) दानानुकूलः (पुं०) दान के योग्य। (दयो०६१)
दामिनी (स्त्री०) [दामन+अण्+ङीप्] मालावती। १. महाकच्छ दानाभियुक्त (वि०) दान से प्रेरित।
के राजा की रानी। विद्युत, बिजली। (समु० २/१२) दानार्ह (वि०) दान के योग्य।
दाम्पत्य (पुं०) [दम्पती+यक्] विवाह, परिणय, पतिपत्नी का
सम्बंध। दानिन् (वि०) दान देने वाले। 'किमिदानीं न दानिन् रसं यामि'
दाम्भिक (वि०) [दम्भ+ठक्] १. पाखण्डी, ठगी करने वाला, _(सुद० ७३)
अभिमानी, घमण्डी। २. धोखेबाज, अभिमानी। ३. आडम्बर दानु (पुं०) दानव, दैत्य। (जयो० १/३७)
प्रिय, ढोंगी। दानुश्रितधाम (नपुं०) दानव के आश्रित स्थान/घर। 'दानुभिदैत्यैः
दायः (पुं०) [दा+घञ्] १. दान, उपहार, भेंट, समर्पण, श्रितं धाम तत्तामिति' (जयो०वृ० १/३७)
बांटना, वितरण करना। २. हानि, विनाश, क्षय, घात। ३. दान्त (भू०क०कृ०) [दम्+क्त] जयी, (भक्ति० २२) १.
स्थान, गृह, घर। विजयी, शान्त, संयमित, इन्द्रियजयी, वशीभूत, आधीन,
दायिका (स्त्री०) स्वीकृति, दत्ति, प्रदत्ति, प्रतिग्रहण। नियन्त्रित, दमित, निग्रहीत, वश में किया हुआ। २.
दायक-दोषः (पुं०) १. प्रदत्ति दोष। २. आहारादि प्रदान करने पालतू, ३. त्यक्त। ४. उदार।
में दोष। दान्तः (पुं०) १. पालतू बैल, २. दानी, ३. दमनक तरु। ४.
दायकशुद्धः (पुं०) दाता की उदारता से दिया गया दान। दान्त नामक आर्यिका, जिनशासन में दीक्षित एक
दारः (दृ+घञ्) १. दरार, रिक्ति, छिद्र, २. जुता हुआ खेत। साधनाशील आर्यिका। (समु० ४/१६) अथैव
३. स्त्री (सुद० १२३) दान्तहिरण्यसम्मती शुभार्यिकाभ्यां प्रतिबोधितासती।
दारक (वि०) १. फाड़ना, जोतना, फैलाना, टुकड़े करना। (समु० ४/१६)
विदारक। (जयो० २५/२७) २. स्वामी का उत्कर्ष बढ़ाने दानभर (वि०) माल्यमण्डप। (जयो० १४/४४)
वाला। दान्तमतिः (स्त्री०) दान्तमति नामक आर्यिका। सदार्यिका दारकः (पुं०) पुत्र, सुत, लड़का, शिशु, बालक, बेटा, बिटआ, दान्तमतिः प्रतीयते गतार्यिकात्वं च ततोऽम्बिका चते।
वत्स। करोति. नारी जनरत्रसार्थकं विना व्रतैजीवनमस्त्या-पार्थकम्।। | दारकी (स्त्री०) पत्री। (समु० ४/३२)
दारणं (नपुं०) [दृ-णिच् ल्युट्] चीरना, फाड़ना, खण्ड करना, दान्तिः (स्त्री०) [दम्+क्तिन्] आत्म संयम, इन्द्रिय संयम, टुकड़े करना। मन संयम, आत्मानुशासन, आत्म-नियन्त्रण।
दारदः (पुं०) [दरद्+अण्] १. पारा, २. समुद्र। दान्तिक (वि०) [दन्त ठञ्] दांत से बना हुआ, दांत से दारवरः (पुं०) स्त्रीजन। यादृङ् नरे जगति दारवरेऽपि तादृक्
निर्मित। ० दमन करने वाला, इन्द्रिय संयम करने वाला। भूयात् क्रमः किमिति नेति महात्मनां दृक्। दापना (स्त्री०) दिलाना, शय्यादि प्रदान करना।
दारसारः (पुं०) दाररत्न, स्त्रीरत्न। (वीरो० २२/१०) (जयो० दार्फवाहन: (पुं०) दार्फवाहन नामक राजा। (वीरो० १५/२८) २७/६६)
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