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दाकर्णः
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दानवः
दाकर्णः (पुं०) ध्यान देना, अच्छी तरह सुनना। दाचक्षुः (नपुं०) ताली बजाना। दादर्शनं (नपुं०) अपने आपको प्रदर्शित करना। दाक्षायणी (स्त्री०) [दक्ष्+फिञ्+ङीष्] एक नक्षत्र विशेष। दाक्षाप्यः (पुं०) [दक्ष् अप्य अण्] गिद्ध पक्षी। दाक्षिण (वि०) [दक्षिणा+अण्] उपहारक, प्रदत्तक। दाक्षिणं (नपुं०) दक्षिणाओं का संचय। दाक्षिणात्य (वि०) [दक्षिणा+त्यक] दक्षिण दिशा से सम्बन्ध
रखने वाला। दाक्षिणिक (वि०) दक्षिणा सम्बंधी। दाक्षिण्यं (नपुं०) [दक्षिण+ष्यञ्] निपुणता, चतुरता, नम्रता।
गम्भीरता, धीरता। 'गाम्भीर्यधैर्यमचिवो मात्सर्य विघाकृत्
परमः' १. दक्षिण से सम्बन्ध रखने वाला। दाक्षी (स्त्री०) [दक्ष इञ्+ङीष्] दक्ष की पुत्री। दाक्षेयः (पुं०) [दाक्षी ठक्] एक नाम विशेष। दाक्ष्यं (नपुं०) [दक्ष+ष्यञ्] कुशलता, चतुराई, उपयुक्तता। दाघः (पुं०) [दह्+घञ्] जलन। दाडकः (पुं०) दांत, हस्ति दन्त। दाड्यः (पुं०) प्रजा। (वीरो० १८४६) दाडिमः (पुं०) अनार का वृक्ष, करकफल। (जयो० १४/१८) दाडिम्बः (पुं०) अनार का वृक्षा दाडिम-फलं (नपुं०) करकफल। (जयो० १८/१०१) दाडिमबीजं (नपुं०) अनार के बीज। (जयो० ११/६०) दाढा (स्त्री०) [दा+क्विप्-दा+ढौक्+दु+टाप्] १. बड़ा दांत,
दाढ़, २. समुच्चय। ३. कामना इच्छा, वाञ्छा, चाह। दाढिका (स्त्री०) [दाढ+कन्+टाप्] दाढ़ी। दाण्डाजिनिक (वि०) [दण्डाजिन ठञ् मृगछाल। दाण्डिक (वि०) दण्ड देने वाला। दात (वि०) [दर+क्त] काटा हुआ, बांटा हुआ, विभक्त
किया, धोया हुआ। दातिः (स्त्री०) [दा-क्तिन्] देना, काटना, नष्ट करना। दातुं -देने के लिए। (सुद० ९८) दातृ (वि०) [दा+तृच्] देने वाला, दाता, प्रदाता। (मुनि० १०)
(जयो०वृ० १/३) दात्यूहः (पुं०) [दाति ऊह्+अण्] जलकुक्कुट, चातक पक्षी। दानं (नपुं०) [दा+ष्ट्रन्] दराती, हंसिया, दांती, चाकू। दादः (पुं०) [दद्+घञ्] दान, उपहार। दान् (सक०) काटना, टुकड़े करना, विदीर्ण करना, ध्वंस
करना, नष्ट करना, क्षय करना।
दानं (नपुं०) [दा+ल्युट्] १. देना, त्याग (जयो० १/४२)
स्वीकार करना, ग्रहण करना, प्रदान करना, समर्पण
करना, सौंपना। (सुद० ३/६) ० उपहार, भेंट, प्राभृता ० उदारता, दानशीलता ।(जयो० २/७२) ० अतिसर्ग-अनुग्रहार्थं स्वस्यातिसगों दानम्। (त०सू० ७/३३) • परानुग्रह बुद्धि-अतिसर्जन। ० स्व-पर-उपकारार्थ अनुग्रह ० स्ववित्त परित्याग। ० कार्यवश/स्वार्थवश वस्तु/पदार्थ/धन प्रदत्ति। ० प्रयच्छन (जयो० २/१०६) मदधारा संशृखल: स्वस्य पदानुवृत्यादानं ददौ कुञ्जराज एकः।
(जयो०१३/११०) यथा पद्धति दानं मदं, ददौ-विससर्ज। ० नवधाभक्तिो दान। (हित० ५०) ० वृत्तिपरित्याग (हि० ४९)
अहो दानमहो दाताऽहो पात्रस्य परिस्थितिः।
अहो विधानमप्येताद्विश्व-कल्याणहेतवे।। (दयो० ११७) दानकर्ता (वि०) दत्तिकृत्, दान देने वाला। दानधरः (पुं०) मदधर, हस्ति, दन्ति (जयो० २३/४४) (जयो०
८/१७) दानधर्मः (पुं०) दान करने का धर्म। (समु० ४/६) दानधारी (वि०) दान लेने वाला। दानपतिः (पुं०) उदार पुरुष। दानपत्रं (नपुं०) दान लेख, अनुदान, उपहार का उल्लेख,
गुल्लक, दानपेटी। दानपात्रं (नपुं०) दान देने योग्य। नवधाभक्तितो दानं तपस्विभ्यः
प्रदीयते। सौहार्दमात्रतोऽन्येभ्यो देशकालानुसारतः।। (हित० सं० ५०) ठकाय दत्तं ह्यतिलोभतो गतं सकात्समायाति विवृद्धय तद्धितमे स्थले समुप्तं शतशः फलत्यरं तथैव पात्राय समर्पित वरम्।। (दयो० ११८) यतिः स्यादुत्तमं पात्रं वानप्रस्थस्तु मध्यमम्। जघन्यमन्य एताभ्यामपात्रं
त्वतिगार्हितम्।। (दयो० ११८) दानपुरस्सरः (पुं०) प्रदत्त कर ग्रहण, दान का मान। (जयो०
१२/१३७) दानभिन्न (वि०) रिश्वत देकर फोड़ा गया। दानमयप्रवृत्तिः (स्त्री०) दान युक्त भाव। (सुद० २२) दानमोदः (पुं०) दान में आनंद। दानवः (पुं०) [दनो अपत्यम् इन्+अण्] राक्षस, पिशाच।
(जयो० ४/८)
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