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दशरथः
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योजन माना गया। तपस्या-माहात्म्यात् दशयोजन-पर्यन्त
सुगन्धदायी पुरीष: समभूदिति' (दयो० ३१) दशरथः (पुं०) अयोध्याधिपति राजा। सूर्यवंशीय भूपालो
रथोऽभूद्दशपूर्वकः। (वीरो० १५/२३) दशरथ। दशरश्मिशतः (पुं०) दिनकर, सूर्य। दशरात्रं (नपुं०) दस रातों का समय। दशरिपुः (पुं०) राम। दशरूपभृत् (पुं०) विष्णु। दशवक्त्रः (पुं०) दशमुख। दशवदनः (पुं०) दशमुख। दशवाजिन् (पुं०) चन्द्र, शशि। दशवाषिक (वि०) दस वर्ष तक रहने वाला। दशविध (वि०) दस प्रकार का। दशवैकालिकं (नपुं०) एक आचार-विवेचक आगम, दस
अध्ययनों में साधक के आचार-विचार एवं व्यवहारादि क्रियाओं का ग्रन्थ/ दसवेयालियं आयार-गोयरविहिं वण्णेइ' (धव० १/९७) विशिष्टाः काला विकालास्तेषु भवानि वैकालिकानि वर्ण्यन्तेऽस्मिन्निति दशवैकालिकम्, तत्साधूनामाचार-गोचर-विधिं पिण्डशुद्धि-लक्षणं च वर्णयति'
(गोम्मट्टसार जीवकाण्ड) दशशतं (नपुं०) १. एक हजार, २. एक सौ दश। दशशती (स्त्री०) एक हजार संख्या। दशसहस्रं (नपुं०) दस हजार। दशरस्थ (वि०) शताब्दी के अंतिम दश वर्ष। दशहरा (स्त्री०) गंगा। दशा (स्त्री०) [दंश्+टाप्] १. अवस्था, जीवन, आयु, काल।
स्थिति। लतेव सम्पल्लवभावभुक्ता दशेव दीपस्य विकासयुक्ता (वीरो० १/१९) 'अनुभूता शतशोमयाऽहो दशा परिभ्रमणस्य' (सुद० ९४) ० परिणति-परिणाम सम्यग्ज्ञान-चरित्रलक्षणवृषं प्राप्तस्य चैष दशा' (मुनि० १६) ० वर्तिका, वत्ती (जयो० ६/१३) नि:स्नेहजीवनतयापि तु दीपकस्य संशोच्यतामुपगतास्ति दशा प्रशस्य। (जयो०१८/४१) ० गोट, झालर, मगजी। ० मनस्थिति, मनोदशा। ० कर्मपरिणति
० ग्रहस्थिति। दशाकर्षः (पुं०) वस्त्र का छोर, दीपक की बत्ती। दशार्णः (पुं०) दशार्ण देश। (वीरो० १५/२०)
दशार्णा (पुं०) एक देश। दशानि ऋणानि दुर्गभूमयो वा यत्र। दशानुवर्तिन् (वि०) अवस्था के अनुसार, प्रवर्तित (वीरो०
१२/२७) दशाधिकारी (वि०) दस रूपता को प्राप्त, दस अवस्था जन्य।
(जयो० १/५६) दशान्तर (नपुं०) द्वेष। 'दशान्तरमपि द्वेषोऽपि' (जयो० २५/६९) दशास्यः (पुं०) दशानन्, रावण। (वीरो० १७/२९) दशार्णेशः (पुं०) दशार्ण देश का नरेश। (वीरो० १५/२०) दशिन् (वि०) [दशन्+इनि] दक्ष रखने वाला। दशेर (पुं०) धातक जन्तु, विषैला जन्तु। दशेरकः (पुं०) उष्ट्र शावक। दस्युः (पुं०) १. चोर, लुटेरा, उचक्का, २. बहिष्कृत, विद्रोही,
कर्तव्यच्युत। दम्र (वि०) [दस्यति पांसून, दस्+रक्] भीषण, भयानक,
दु:खदायक। दृह् (सक०) १. जलाना, समाप्त करना, भस्म करना। ___दहति-भस्मसात्करोति (जयो० ६/२९) नष्ट करना। २.
सताना, कष्ट देना, पीड़ा उत्पन्न करना,दहन्ति (सुद०) दहनः (नपुं०) १. अग्नि, आग। (जयो० ८/५२) २. कबूतर,
३. कुकर्मी। दहनं (नपुं०) [दह ल्युट्] जलाना, भस्म करना। दहनं
प्रतीतमूल्मुकादिभिः, ३. पवनवेग, वायु प्रवाह। दहनकेतनः (पुं०) धूम, धुंआ। दहनप्रियाः (स्त्री०) स्वाहा। दहनशील (वि०) जलाने वाला। दहनीय (वि०) जलाने में सक्षम। (दयो०६०) दहर (वि०) [दह+अर] रंचमात्र, थोड़ा भी, सूक्ष्म, थोड़ा सा,
किचित् भी। दहरः (पुं०) १. शिशु, बालक। २. लघु भ्राता, छोटा भाई। ३.
चूहा, मूषक। ४. हृदय। दा (सक०) देना, प्रदान करना, स्वीकार करना, ग्रहण करना।
अंगीकार करना। 'एषा परिचयं ददामीत्यर्थः' (जयो०७० ५/५३) अदायि-दत्त (जयो० ३/२२) दे- (सुद० ७३) दत्वा (सु० ७१) दांतु- (सुद० ७८, सुद० १२५) आददीन-(सुद० ४/४२) काचिद् भुजोऽ दादिह बाहुबन्धं योग्यानि वस्तूनि तदा प्रदाय। (वीरो० ५/१६) 'दत्वा निजीयं हृदयं तु तस्यै प्रगे ददौ दर्पणमादरेणं' (वीरो० ५/९) देयं (सुद० १२४, ददौ-९५)
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