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दर्शनक्रिया
४६७
दल
० तत्त्वराचका
दर्शनयोग्यः (पुं०) दृश्य योग्य, देखने योग्य। 'दृश्यो दर्शनयोग्यः' ० सम्यग्दर्शन (सम्य० पृ०६)।
(जयो०वृ० १५/२६) ० उपयोग रूप-जं सामण्णग्गहणं दसमेयं।
दर्शनयोग्यः (पुं०) शंकादिदोष रहित तत्त्वार्थश्रद्धान, परमार्थ ० अनाकार दर्शनम्।
श्रद्धान सप्त तत्त्व सम्बंधी विनय। ० सामान्यावबोध।
दर्शनरुचिः (स्त्री०) १. तत्त्व श्रद्धान, २. अवलोकन के प्रति ० आत्मविषयक उपयोग।
लगाव (जयो०७० ३/४१) श्रद्धानरुचि, श्रुतज्ञान रुचि। ० स्वरूप ग्रहण-सामान्य और विशेषण का ग्रहण।
'पदार्थश्रद्धाने नि:शङ्कितत्त्वादिलक्षणोपेतता दर्शनविनयः' ० अवलोकनवृत्तिर्वा दर्शनम् (जयो० १/१६६)
(त०वा० ६/२४) ० स्वरूपसंवेदनं दर्शनम्।
दर्शनशुद्धः (पुं०) सम्यक्त्व के अष्ठ गुण से युक्त। ० वस्तुमात्रग्राहकं दर्शनम्।
दर्शनसमाधिः (स्त्री०) धर्मध्यानादि युक्त समाधि। ० सामान्यग्राहि दर्शनम्।
दर्शनाचारः (पुं०) सम्यक्त्व परिपालन। • सामान्यस्यावलोकनं दर्शनम्।
दर्शनावरणं (नपुं०) तत्त्वार्थ श्रद्धान की प्रतीति न होने देना। ० आत्मविषयक उपयोग।
दर्शन गुण के आवरक कर्म। दर्शनावरणस्य अर्थानालोचनम् ० दर्शनोपयोग विशेष।
(स०वा० ८/३) 'दंसणस्स आवरणं कम्मं दसणावरणीयं' दर्शनक्रिया (स्त्री०) देखने की अभिलाषा, अवलोकनाभिप्राय, (धव० १३/२०८) ___ स्वरूपावलोकन।
दर्शनार्यः (पुं०) सम्यग्दर्शन से सम्पन्न आर्य। दर्शनगत (वि०) दर्शन को प्राप्त हुआ।
दर्शनिक (वि०) परमेष्ठि-पथानुगामी श्रावक। दर्शनगामी (वि०) श्रद्धागामी।
दर्शनीय (वि०) सुन्दर, सुहावना, मनोहर, रमणीय, इष्ट, दर्शन-ज्योतिः (स्त्री०) दृष्टि की कान्ति।
योग्य, अभीष्ट, देखने योग्य, अवलोकन करने योग्य, दर्शनपण्डितः (पुं०) क्षायिक, क्षायोपशमिक, या औपशमिक मंगल को अभिव्यक्त करने वाला दर्शनीय है। (जयो०७० में परिणत पण्डित।
३/८४) दर्शनपण्डितमरणं (नपुं०) सम्यक्त्वपूर्वक मरण।
दर्शनीय-कल्पः (पुं०) देखने योग्य पदार्थ। (दयो० ६६) दर्शनपुलाकः (पुं०) मिथ्यादृष्टियों का प्रशंसक साधु।
यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः कृतज्ञ एवं श्रुतिमान् दर्शनप्रतिमा (स्त्री०) ग्यारहवीं प्रतिमा में प्रथम, जिसमें शंकादि प्रवीणः। स एव वक्ता। स च दर्शनीयः स्वर्णे गुणस्तत्र शल्यों से रहित निर्मल सम्यग्दर्शन का भाव हो।
मितोऽनणीयः।। (दयो० ८२) दर्शनकाल: (पुं०) तत्त्वार्थ श्रद्धान से रहित। 'मिथ्यादृष्टयः दर्शनोपयोगः (पुं०) आत्म विषयक उपयोग।
सर्वथा तत्त्वश्रद्धानरहिताः दर्शनबालाः'। (भ०आ०टी० २५) दर्शयति-वर्तमान काल लट्लकार दिखलाता है। (जयो० ४/५५) दर्शनबालमरणं (नपुं०) अतत्त्वश्रद्धान पूर्वक विरुद्ध आहार या 'तटभागं दर्शयति प्रकटयति'। विषादि द्वारा घात करना।
दर्शयित (वि०) [दृश्+णिच्+तृच्] ०द्वारपाल, पहरेदार, दर्शनबोधिः (स्त्री०) सम्यग्दर्शन का बोध, सम्यक्त्वपूर्वक दौवारिक, ०ढ्यौद्रीवान, संतरी, कौचवान, ०मार्ग दर्शक।
दर्शित (वि०) [दृश्-णिच्+क्त] प्रदर्शित, प्ररूपित, देखा दर्शनमोहः (पुं०) शुद्धात्मादि तत्त्वों के विपरीत अभिनिवेश, | ___ गया, अवलोकित, व्याख्यात, सिद्ध, प्रसिद्ध, भाषित।
(सम्य० ५९) तत्त्वार्थश्रद्धान रूप दर्शन को मोहित करना। दर्शिनी (स्त्री०) साक्षिणी, तरतमभावेन सौन्दर्यसाक्षणी शोभाम्, 'दर्शनं मोहयति मोहनमात्रं वा दर्शनमोहः' (ल०श्लो० शोभा शालिनी। (जयो०वृ०८/१२०) ८३)
दल (अक०) फटना, टूटना, ध्वंस होना, प्रसार होना, खिलना, ० दर्शनमोहस्य, प्रकृतिः तत्त्वार्थश्रद्धानम्। (त०वा०६/३) विकसित होना। • शुद्धात्मादितत्त्वेषु विपरीताभिनिवेशजनकमोहो दर्शनमोहो दल (सक०) फाड़ना, काटना, बांटना, दल करना, चूर्ण मिथ्यात्वम्' (वृ० द्रव्यं सं० टी० ४८)
करना, पीसना। दलयन्त (जयो० १३/११)
लाभ।
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