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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दर्शनक्रिया ४६७ दल ० तत्त्वराचका दर्शनयोग्यः (पुं०) दृश्य योग्य, देखने योग्य। 'दृश्यो दर्शनयोग्यः' ० सम्यग्दर्शन (सम्य० पृ०६)। (जयो०वृ० १५/२६) ० उपयोग रूप-जं सामण्णग्गहणं दसमेयं। दर्शनयोग्यः (पुं०) शंकादिदोष रहित तत्त्वार्थश्रद्धान, परमार्थ ० अनाकार दर्शनम्। श्रद्धान सप्त तत्त्व सम्बंधी विनय। ० सामान्यावबोध। दर्शनरुचिः (स्त्री०) १. तत्त्व श्रद्धान, २. अवलोकन के प्रति ० आत्मविषयक उपयोग। लगाव (जयो०७० ३/४१) श्रद्धानरुचि, श्रुतज्ञान रुचि। ० स्वरूप ग्रहण-सामान्य और विशेषण का ग्रहण। 'पदार्थश्रद्धाने नि:शङ्कितत्त्वादिलक्षणोपेतता दर्शनविनयः' ० अवलोकनवृत्तिर्वा दर्शनम् (जयो० १/१६६) (त०वा० ६/२४) ० स्वरूपसंवेदनं दर्शनम्। दर्शनशुद्धः (पुं०) सम्यक्त्व के अष्ठ गुण से युक्त। ० वस्तुमात्रग्राहकं दर्शनम्। दर्शनसमाधिः (स्त्री०) धर्मध्यानादि युक्त समाधि। ० सामान्यग्राहि दर्शनम्। दर्शनाचारः (पुं०) सम्यक्त्व परिपालन। • सामान्यस्यावलोकनं दर्शनम्। दर्शनावरणं (नपुं०) तत्त्वार्थ श्रद्धान की प्रतीति न होने देना। ० आत्मविषयक उपयोग। दर्शन गुण के आवरक कर्म। दर्शनावरणस्य अर्थानालोचनम् ० दर्शनोपयोग विशेष। (स०वा० ८/३) 'दंसणस्स आवरणं कम्मं दसणावरणीयं' दर्शनक्रिया (स्त्री०) देखने की अभिलाषा, अवलोकनाभिप्राय, (धव० १३/२०८) ___ स्वरूपावलोकन। दर्शनार्यः (पुं०) सम्यग्दर्शन से सम्पन्न आर्य। दर्शनगत (वि०) दर्शन को प्राप्त हुआ। दर्शनिक (वि०) परमेष्ठि-पथानुगामी श्रावक। दर्शनगामी (वि०) श्रद्धागामी। दर्शनीय (वि०) सुन्दर, सुहावना, मनोहर, रमणीय, इष्ट, दर्शन-ज्योतिः (स्त्री०) दृष्टि की कान्ति। योग्य, अभीष्ट, देखने योग्य, अवलोकन करने योग्य, दर्शनपण्डितः (पुं०) क्षायिक, क्षायोपशमिक, या औपशमिक मंगल को अभिव्यक्त करने वाला दर्शनीय है। (जयो०७० में परिणत पण्डित। ३/८४) दर्शनपण्डितमरणं (नपुं०) सम्यक्त्वपूर्वक मरण। दर्शनीय-कल्पः (पुं०) देखने योग्य पदार्थ। (दयो० ६६) दर्शनपुलाकः (पुं०) मिथ्यादृष्टियों का प्रशंसक साधु। यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः कृतज्ञ एवं श्रुतिमान् दर्शनप्रतिमा (स्त्री०) ग्यारहवीं प्रतिमा में प्रथम, जिसमें शंकादि प्रवीणः। स एव वक्ता। स च दर्शनीयः स्वर्णे गुणस्तत्र शल्यों से रहित निर्मल सम्यग्दर्शन का भाव हो। मितोऽनणीयः।। (दयो० ८२) दर्शनकाल: (पुं०) तत्त्वार्थ श्रद्धान से रहित। 'मिथ्यादृष्टयः दर्शनोपयोगः (पुं०) आत्म विषयक उपयोग। सर्वथा तत्त्वश्रद्धानरहिताः दर्शनबालाः'। (भ०आ०टी० २५) दर्शयति-वर्तमान काल लट्लकार दिखलाता है। (जयो० ४/५५) दर्शनबालमरणं (नपुं०) अतत्त्वश्रद्धान पूर्वक विरुद्ध आहार या 'तटभागं दर्शयति प्रकटयति'। विषादि द्वारा घात करना। दर्शयित (वि०) [दृश्+णिच्+तृच्] ०द्वारपाल, पहरेदार, दर्शनबोधिः (स्त्री०) सम्यग्दर्शन का बोध, सम्यक्त्वपूर्वक दौवारिक, ०ढ्यौद्रीवान, संतरी, कौचवान, ०मार्ग दर्शक। दर्शित (वि०) [दृश्-णिच्+क्त] प्रदर्शित, प्ररूपित, देखा दर्शनमोहः (पुं०) शुद्धात्मादि तत्त्वों के विपरीत अभिनिवेश, | ___ गया, अवलोकित, व्याख्यात, सिद्ध, प्रसिद्ध, भाषित। (सम्य० ५९) तत्त्वार्थश्रद्धान रूप दर्शन को मोहित करना। दर्शिनी (स्त्री०) साक्षिणी, तरतमभावेन सौन्दर्यसाक्षणी शोभाम्, 'दर्शनं मोहयति मोहनमात्रं वा दर्शनमोहः' (ल०श्लो० शोभा शालिनी। (जयो०वृ०८/१२०) ८३) दल (अक०) फटना, टूटना, ध्वंस होना, प्रसार होना, खिलना, ० दर्शनमोहस्य, प्रकृतिः तत्त्वार्थश्रद्धानम्। (त०वा०६/३) विकसित होना। • शुद्धात्मादितत्त्वेषु विपरीताभिनिवेशजनकमोहो दर्शनमोहो दल (सक०) फाड़ना, काटना, बांटना, दल करना, चूर्ण मिथ्यात्वम्' (वृ० द्रव्यं सं० टी० ४८) करना, पीसना। दलयन्त (जयो० १३/११) लाभ। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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