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दमनः
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दरवारिधारा
दमनः (पुं०) १. सुभट, वीरयोद्धा। २. पुष्प सहित।
पुष्पे वीरेऽपि दमन: 'सर्वत्र विश्वलोचनः' (जयो०७० २१/३८) दमनैर्नमपुष्पैस्तथा वीरैः समन्वितं समुद्धरत्।
(जयो०वृ० २१/३८) दमनी (स्त्री०) एक औषधी विशेष। सर्वदमन औषधि। दमयन्ती (स्त्री०) [दमयति नाशयति अमङ्गलादिकम्-दम्+णिच्+
शतृ ङीष्] विदर्भ के राजा भीम की पुत्री। दमयित (वि०) [दम्+णिच्+तृच] दमन करने वाला, शमन
करने वाला, निग्रह करने वाला, संयमित। दमित (वि०) [दम्+क्त] शान्त, विजित, जीत युक्त, वशीभूत। दम्पतिः (स्त्री०) [जाया च पतिश्श्च] पति और पत्नी।
(सुद० ११६) दम्पत्योरुभयोर्व्यतीतिमुद्गाद्। (सुद० ११६) दम्भः (पुं०) प्रतारण, (जयो०१/२९) बहाना, ब्याज (वीरो०
२/२) 'दुन्दुभि-निनाद-दम्भाज्जहास हासस्वरं त्वरजः' (जयो० ६/१२७) 'दम्भाद् व्याजात् सत्वरं जहास' २. धोखा, छल, पाखण्ड, जालसाजी, अहंकार, घमण्ड।
'दम्भनं दम्भो वेष-वचनाद्यनुमेयः' दम्भनं (नपुं०) [दम्भ ल्युट्] छल, कपट, धोखा, धूर्तता,
ठगना अहंकार, अभिमान। दम्भवन्त (वि०) छलकरी। (जयो० १४८२) दम्भातीत (वि०) छलरहित। (जयो० २३/९०) दम्भिन् (पुं०) [दम्भ+णिनि] पाखण्डी, छल-कपटी, धूर्त। दम्भोलिः (पुं०) [दम्भ+असुन-दम्भस् तस्मिन् प्रेरणे अलति
पर्याप्नोति] इन्द्र वज्र, एक आयुध।। दम्य (वि०) [दृम्+यत्] धारण करने योग्य, साधने योग्य। दम्यः (पुं०) तत्कालिक उत्पन्न बछड़ा। दय (अक०) १. करुणा होना, सहानुभूति होना, दया आना,
सहृदय होना, सरस होना। २. अच्छा होना, रुचिकर होना। दय (सक०) स्वीकार करना, ग्रहण करना, वितरण करना,
बांटना, देना। दया (स्त्री०) प्राणियों पर अनुकम्पा, करुणा, सहानुभूति, दुःख
का अनुभव करना, सुकुमारता। 'अहो किमु नास्ति दया
तव शस्य' (सुद० ९४) दयाङ्करं (नपुं०) करणा परिणाम, दयाभाव। (जयो०वृ० २२/४७) दयाकूटः (पुं०) योग्यमति, श्रेष्ठबुद्धि। दयाकूर्चः (पु०) योग्यबुद्धि। दयादत्ति (स्त्री०) अभयदान। दयाधनः (वि.) करुणाभाव वाला। (सद० ११४) 'प्रसाध्य
पूजां स्तवनं दयाधन:'(सुद० ११४)
दयाधारिन् (वि०) अभ्युदितानुकम्प, दयाधारक। (जयो००
२०/८४) दयाधीन (वि०) सदय, अनुकम्पा युक्त, करुणा धारक, दया
से परिपूर्ण। (जयो० १२/१०२) दयापर (वि०) अहिंसा धर्म में रत। (जयो० २४/१४) दयाभावः (पुं०) करुणाभाव, अनुकम्पा की भावना। दयाव्रतं (नपुं०) अहिंसाव्रत। दयाशील (वि०) दयालु। दयित (भू०क०कृ०) [दय्+क्त] प्रिय, यथेष्ट, इच्छित, चाहा
गया, वाञ्छित। दयितः (पुं०) पति, स्वामी। 'अहह पार्श्वमिते दयिते द्रुतम्'
(जयो० २/१५६) 'हृद्गतमस्या दयितं न तु प्रयातुं शशाक
सहसाऽक्षि। (जयो० ५/११८) दयिता (स्त्री०) प्रिया। दयोदय (वि०) दयालु। (सुद० १२४) दयोदयं (नपुं०) दयोदय नामक चम्पू, भूरामल कवि द्वारा
रचित अपर नाम आचार्य ज्ञानसागर प्रणीत चम्पूकाव्य। दर (वि०) [दृ+अप्] फाड़ने वाला, १. चीरने वाला, २.
समूह। (जयो०वृ० ५/८९) दरः (पुं०) १. गुफा, दर्रा, कन्दरा, छिद्र। २. भय, डर, त्रास,
३. पत्र (जयो० ११/९५) ४. द्वार-दरवाजा (जयो० ११/९५) दरं (अव्य०) थोड़ा, अल्प, कम, हीन। (जयो० ६/३४) ईषत्
किंचित्। दरणं (नपुं०) [दृल्युट्] तोड़ना, टुकड़े करना, खण्ड-खण्ड
करना। दरणिः (पुं०/स्त्री०) [दु+अनि, दरणि+ङीष्] १. भंवर, आवर्त,
चक्कर धारा, हिलोर। दरद् (स्त्री०) [दृ+अदि] १. हृदय, २. त्रास, भय। (जयो०
१/९४) (जयो० २०/२६) ३. पर्वत, ४. चट्टान, किनारा,
टीला, ढेर। दरदाः (पुं०) एक क्षेत्र। दरिः (स्त्री०) १. गुफा, कन्दरा, घाटी, दरीगृह। (जयो०
२२/१२) गुहा- (वीरो० १२/२०) २. भय (जयो०१/२९) दरदूरग (वि०) भयवर्जित, भय रहित। (जयो० १९/८७) दरमतिः (स्त्री०) भय युक्त बुद्धि। (जयो० ९/४४) दरवलिताङ्ग (वि०) ईषत् वक्रताङ्ग, कुछ वक्र अंग वाला।
(जयो० ६/३४) दरवारिधारा (स्त्री०) १. जरा सी जल धारा, छोटा जल प्रवाह।
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