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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६१ दग्धोदरार्थ दं (नपुं०) पत्नी। द, द, दकार। द: शुद्धौ वः कुम्भे वरुहो विश्व। (जयो०१/१५) दंश् (सक०) डसना, खाना, ग्रसना, निगलना, काटना, डंक मारना। दंशः (पुं०) [दंश्+घञ्] काटना, डासना, ग्रसना, मारना। भक्षण करना (जयो० १५/३२) दोषेऽपि खण्डने दशो इति विश्वः १. दांत, २. तीखापन, ३. त्रुटि, दोष, कमी। ४. कवच, ५. जोड़, अंग। दंशनं (नपुं०) [दंश्+ल्युट्] काटना, डंक मारना। दंशमशकः (पुं०) डांश मच्छर। (दयो० ६५) दंशस्पृङ (वि०) मर्म स्पर्शकर (जयो० १६/१७) दंशित् (वि०) [दंश्+क्त] डसा हुआ, काटा हुआ। दंशिन् (पुं०) काटना, डसना। दंशी (स्त्री०) [दंश ङीष्] डांस मच्छर। दंष्ट्रा (स्त्री०) [दंश+ष्ट्रन्+टाप] दांत, दाड, विषैला दांत, हाथी का बड़ा दांत। (दयो० ८१) दंष्ट्राल (वि०) [दष्ट्रा+ल] बड़े-बड़े दांतों वाला। दंष्ट्रिन् (पुं०) [दंष्ट्रा इनि] १. जंगली शूकर। २. सर्प, ३. लकड़वग्घा। दक्ष (वि०) [दक्ष+अच्] चङ्ग, चतुर, सक्षम, योग्य। 'चङ्गो दक्षेऽथ शोभने इति विश्वलोचने। (जयो० २७/५७) ० विचार-(जयो० २७/५७) 'मनुष्यो व्यवहारदक्षः। (जयो० २७/५०) 'दक्षः सुचतुरो मनुष्यः' । ० समर्थ-'दक्षः समस्तु परिचिन्तनमात्रतः'। (सुद० १३४) • दक्षिणदिशा-सुनमि-सुविनमिप्रभृतीन् दक्षेतरखेचरात्मज्ञांस्तु सती'। (जयो० ६/१६) उचित, समुचित, उपयुक्त, उद्यत, तैयार। दक्षः (पुं०) प्रजापति नाम, एक राजा। दक्षकन्या (स्त्री०) चतुर कन्या, योग्यकन्या । 'रजस्वला: सम्प्रति दक्षकन्या'। (जयो०८/१०) दक्षजा (स्त्री०) दुर्गा का विशेषण। दक्षतनया (स्त्री०) दुर्गा का विशेषण। दक्षपदं (नपुं०) राजा दक्ष का स्थान। (जयो० २८/४७) ___ 'दक्षस्य नाम नृपतेः पदं स्थान माश्रित:'। (जयो० २८/४७) दक्षत्व (वि०) आवश्यक क्रियाओं को ठीक से करने वाला-दक्षत्वं __ आशुकारित्वम्। दक्षा (स्त्री०) प्रवीणा, योग्य। (जयो० १२/९२) दक्षाप्यः (पुं०) [दक्ष्+आप्य] १. गिद्ध. २. गरुण्ड। दक्षिण (वि०) [दक्ष-इनन्] निपुण, (समु० १/३०) चतुर, प्रवीण, योग्य, चङ्ग, विचारवान्, सक्षम, समर्थ, निष्पक्ष, शिष्ट, आज्ञानुकारी। उदारमना, दानशील। (जयो० १२/९५) 'मम सम्प्रति किं न दक्षिणोऽसि' (जयो० १२/९४) ० दक्षिण भाग, दक्षिण दिशा (जयो० १२/९२) ० गौरव (जयो० ६/३) ० दाहिना, दायां। दक्षिणत्व (वि०) सरलता। दक्षिणत्व सरलता। दक्षिणदिक्पालः (पुं०) दण्डधर यम। (जयो० २२/६६) दक्षिणो दिग्धवो दिक्पालो यम इवासि। (जयो० दक्षिणदिग्धवः (पुं०) यम। (जयो० २२/९४) दक्षिणदिग्भागः (पुं०) १. दक्षिण दिशा भाग। २. वामभाग, वायां हिस्सा। (जयो०७० १९/२३) अवाची (वीरो० २/२९) दक्षिणा (अव्य०) दाईं ओर, दक्षिण दिशा की ओर। दक्षिणा (स्त्री०) १. भेंट, उपहार, दान, पारश्रमिक, शुल्क। २. रीति-क्षणात्कनकमेव सतामपि दक्षिणा। (दयो० ४९) दक्षिणाग्निः (स्त्री०) दक्षिण की ओर स्थापित अग्नि। दक्षिणान (वि०) दक्षिण की ओर अग्रसर। दक्षिणाचलः (पुं०) मलयगिरि। दक्षिणाभिमुख (वि०) दक्षिण की ओर उन्मुख। दक्षिणार्ह (वि०) उपहार प्राप्त करने योग्य अधिकारी। दक्षिणायनं (नपुं०) भूमध्य रेखा, सूर्य की गति उत्तरायण से दक्षिणायन। (वीरो० २१/३१) दक्षिणावर्त (वि०) दक्षिण की ओर मुड़ा हुआ। दक्षिणाशा (स्त्री०) दक्षिण दिशा। दक्षिणीकृत (वि.) दक्षिण की ओर किया गया। (जयो० १२/८५) दक्षिणेतर (वि०) वाम, बाया हिस्सा। दक्षिणाहि (अव्य०) [दक्षिण+आहि] दूर दक्षिण की ओर। दक्षिणेन (अव्य०) [दक्षिण+एनप्] दाईं ओर। दग्ध (भू०क०कृ०) [दह्+क्त) जला हुआ, भस्मीभूत, विदग्ध, संतप्त, क्लान्त, अभिशप्त, दुर्वृत्त। (जयो० ११/६७) ईदृशे युवगणेऽथ विदग्धे का क्षती रतिपतावपि दाधे। (जयो०५/२५) 'दग्धे-भस्मीभूते' (जाये०वृ० ५/२५) दग्ध्वात्मान् (वि०) जलाया हुआ। स्वयं च नरकं प्राप, दग्ध्वात्मानपीत्यसौ' (समु० २/३२) । दग्धिका (स्त्री०) [दग्ध+कन+टाप्] मुर्मुरे, जले हुए। दग्धोदरार्थ (वि०) संहारार्थ, मारने के लिए उद्यत। समस्ति शौकरपि यस्य पूर्तिीधोदरार्थ कथनस्तु जूर्तिः। (दयो०पृ० ३८) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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