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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मिथ्यानेकान्तः ८४३ मिहिरः - दोष ३/२०) तत्त्वार्थश्रद्धान से विपरीत दृष्टि। मिश्रगुणस्थानं (नपुं०) सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति युक्त गुणस्थान। आप्तागमविषयश्रद्धारहित दृष्टि। मिश्रचारित्रं (नपुं०) क्षायोपशमिक चारित्र। मिथ्यानेकान्तः (पुं०) तत्-अतत् स्वभाव से रहित वचन।। मिश्रजात (वि०) मिश्रित रूप से उत्पन्न किया गया, उद्गम मिथ्यार्थ (वि०) अश्रद्धानार्थ, तत्त्वार्थ से विपरीत भाव वाले। मिथ्यावचनं (नपुं०) असत्यार्थ कथन। मिश्रणं (नपुं०) मिलाना, घोलना। मिथ्यावदः (पुं०) झूठ प्रयोग। मिश्रभावः (पुं०) साङ्कर्य भाव। (जयो० ३/८०) उपशम और मिथ्याशल्यः (पुं०) सम्यक्त्व से भिन्न रुचि से विपरीत शल्य। क्षय का भाव। उभयात्मको मिश्रः क्षीणाक्षीणमदशक्तिकोद्रवत मिथ्याश्रुतं (नपुं०) अज्ञानता सूचक श्रुत। (त०वा० २/१) मिथ्योपदेशः (पुं०) प्रमाद युक्त उपदेश। मिश्रवचनं (नपुं०) बाधित-अबाधित वचन, सत्य-मृषा वचन। मिद् (अक०) चिकना, स्निग्ध होना। मिश्रित (भू०क०कृ०) मिला हुआ, संयुक्त। (मुनि० ११) पिघलना। ०बढ़ाया हुआ। oमोटा होना। मिश्री (स्त्री०) शर्करा, मिश्री ति लोक भाषायाम्। (जयो०३० स्नेह करना। मिद्धं (नपुं०) तन्द्रा, आलस्य, सुस्ती। मिष् (अक०) आंख खोलना, झपकना। उदासीनता। ०देखना। ०जड़ना। फुल्लित होना, उदय होना। ०मन्दता। मिषः (पुं०) प्रतिस्पर्धा, प्रतिद्वंद्विता। मिन्द् (अक०) चिकना, स्निग्ध होना। मिषं (नपुं०) बहाना, धोखा, छद्मवेष, ब्याज (जयो० १४/४७) मिन्व् (अक०) पूजा करना, सम्मान करना। छल। (जयो० ३/१००) मिल् (अक०) मिलना, सम्मिलित होना। ०झूठ, असत्य, अलीक, मिथ्या। साथ होना। मिष्ट (वि०) मधुर, स्वादिष्ट। (वीरो० ४/६२) इकट्ठे होना। मिश्री (सुद० १११) द्राक्षा, गुड, खाण्ड। द्राक्षा गुङच ०सटना। खाण्डमथो सिताऽपि माधुर्यमायाति तदेकलापी। ०मुकाबला करना। (वीरो०१९/९) सघन होना। ०स्वादिष्ट, स्वाद युक्त। घटित होना। मिष्टता (वि०) मीठापन। मिलनं (नपुं०) मिलना, सम्पर्क, मुकाबला करना, भेंट। । मिष्टं (नपुं०) मिष्ठान्न, मिठाई। मिलित (भू०क०कृ०) एकत्र हुआ, भेंट किया गया, आपस में | मिष्टभाषणं (नपुं०) मधुर वचन, मृदुकथन, माधुर्यपूर्णभाषण। मिला हुआ। (जयो० २/९२) मिश्रित, सम्मिलित। मिष्ठान्नं (नपुं०) मिठाई। (जयो०वृ० १२/१२४) ०सन्धियुक्त, जोड़ा गया। मिहू (सक०) गीला करना, तर करना, छिड़कना। मिलिन्दः (पुं०) भ्रमर, भौंरा। (समु० १/४) षट्पद। (जयो० ___०वीर्यपात करना। १८/२९) अलि। ०बौद्धधर्म का अनुयायी राजा। मिहिका (स्त्री०) पाला, हिम। मिलिन्दकः (पुं०) एक सर्प विशेष। मिहिरः (पुं०) सूर्य। मि (सक०) मिलाना, जोड़ना, घोलना, बढ़ाना। ०बादल। मिश्र (वि०) मिला हुआ, घोला हुआ, संयुक्त, मिश्रित, युक्त। ०चन्द्र। मिश्रकः (पुं०) संवाहक। ०पवन। मिश्रकाल: (पुं०) डांस-मच्छर युक्त काल। ०वृद्ध व्यक्ति। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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