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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४४ मुक्त मी (सक०) विनाश करना, मार डालना। * अतिक्रमण करना, उल्लंघन करना। ०बदलना, परिवर्तित करना। घटना, कम करना। मीढ (भू०क०कृ०) मूत्रोत्सृष्टि, पेशाब किया गया। मीनः (पुं०) मछली, झष। (जयो० २१/६१) (वीरो० ४/४९) मीन राशि। मीनकेतनः (पुं०) कामदेव। मीनगन्धा (स्त्री०) सरस्वती। मीन गन्धिका (स्त्री०) जोहड़, पल्वल। मीनरङ्कः (पुं०) रामचिरैया, एक शिकारी पक्षी। मीनरः (पुं०) समुद्री दानव। मीम (सक०) जाना, पहुंचना। ०शब्द करना। मीमांसकः (पुं०) मीमांसकदर्शन पक्षवाला। एक विचारक कुमारिल भट्ट। (वीरो० १०/७७) अनुसन्धानकर्ता। ०परीक्षक। (१०/७७) मीमांसकमतः (पुं०) मीमांसक नामक विचारक। मीमांसा (स्त्री०) गहन चिंतन, गम्भीर विचार, परीक्षण, अनुसंध न। उत्तरमीमांसा और ब्रह्ममीमांसा। मीरः (पुं०) समुद्र। ०सीमा, हद। (सम्य० ४६) मीरोऽब्धि-शैल-नीरेषु इति विश्व (वीरो० १/५) समुल्वणे यस्य यशः शरीरे निमञ्जनत्रासवशेन मीरे। (जयो० १/३३) मील (सक०) ०मूंदना, ०ढंकना, ०बंद करना, उन्मीलित होना। मुाना, अन्तर्धान होना। मीलनं (नपुं०) झपकना, बंद होना, झपकी आना, अलसित होना। मीलनकेलि (स्त्री०) दृङ्मीलन क्रीड़ा। आंख बंद होने की क्रीड़ा। मीलनकेलौ लोचनोत्पले संदधार परिणामकोमले। (जयो० २२/६९) मीलित (भू०क०कृ०) झपकी हुई, बन्द हुई, अलसाई हुई। __०अधखुली, ओझल हुई। मीव् (अक०) जाना, पहुंचना, मोटा होना। मीवरः (पुं०) सेनानायक, सेनापति, सेनाध्यक्ष। मीवा (स्त्री०) [मी+वन्] केंचुआ, अंत्रकीट। ०वायु। मुः (पुं०) बन्धन। ०जकड़ना, संयुक्त। मोक्ष। ०मुक्त। मुकन्दकः (पुं०) प्याज। मुकारः (पुं०) मुकाररहितेनामुना मुखेन। (जयो० ११/७०) मुकुः (स्त्री०) [मुच्+कु] मुक्ति, मोक्ष। छूटना। मुकुटं (नपुं०) [मुक्+उटन्] मुकुट, मोर, ताज, किरीट (सुद० १/११) शिखा। ०शिखर, कूट। चोरी। पर्वत श्रृंखला। मुकुटमणि (स्त्री०) सिरमोर, शिखर। किरीट मणि। मुकुटस्थानं (नपुं०) अवतंसपद। (जयो०वृ० १/९७) मुकुन्दः (पुं०) [मुकुम्+दाति दा+क] ०कृष्ण, विष्णु। ०पारा। मूल्यवान पत्थर। मुकुन्दगुणः (पुं०) श्रीकृष्ण सदृशगुण। (जयो० १८/१२) मुकुरः (पुं०) [मुक्+उरच्] ०दर्पण, शीशा। (जयो० २/१५४) (वीरो० १५/९५) ०कली। कुम्हार के चाक का डंडा। (जयो० ३/७५) मौलसिरि तरु। मुकुलः (पुं०) [मुंच+उलक्] कुडमल (जयो० १७/१३) ०कली। शरीर। ०आत्मा। मुकुलं (नपुं०) कली। मुकुलपाणिपुटः (पुं०) कोरकहस्तपुट। (वीरो० ६/३४) मुकुलित (वि०) [मुकुल+इतच्] कली युक्त अर्ध प्रफुल्लित, (जयो० १/१००) कुड्मलित (जयो० १२/०१) आधा खिला हुआ। (दयो० ७५) मुकुलोपमा (स्त्री०) कली की उपमा। मुंच कुंचु लातीति। मुकुष्ठः (पुं०) [मुकु+स्था क] लोबिया, मोठ। मुक्त (भू०क०कृ०) मुक्ति, मोक्ष। तद्दर्शन ज्ञान-चारित्रभेद, प्रणीयते पूर्णतया मयेदं। मुक्तेः स्वरूपं परथा तदध्वायतोऽभ्य धीता खलु तीर्थकृद् वाक्। (सम्य० ५) दूर, छूटा हुआ-'राग-द्वेष-विभाव-मुक्त'1 (सम्य० ४१) छोड़ना, त्याग करना। (सुद०२/२०) मोक्ष (जयो०२/२२) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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