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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तोल: ४५४ त्रपिष्ट से उत्पन्न। 'तोरणानि तेभ्य उत्थितैराविर्भूतैः' (जयो०वृ० (सुद० ४/८) बालोऽत्र नाहं भवतीं त्यजामि तत्याज-(समु० १०/११) ३/१४) छोड़ दिया (जयो० ३/१३, ११/६१) त्यक्त्वा । तोल: (पुं०) [तुल्+घञ्] तोल, भार, तुला पर तोला गया। (सं०३०) 'गुरुपादयोर्मदयोगं त्यक्त्वा ' (सुद० ३६) तोलं (नपुं०) तोलं, भार, तुला पर तोला गया। त्याज्यता (वि०) परित्यक्तता। (भक्ति० ४१) तोषः (पुं०) [तुष्+घञ्] संतोष, प्रसन्नता, खुशी। त्यागः (पुं०) [त्यज्+घञ्] परित्याग, छोड़ना, तिलाञ्जलि देना तोषकारिणी (वि०) संतोष प्रदायक। (जयो०१२/२०) (सुद० १२६) तोषण (नपु०) [तुष्+ ल्युट] संतोष, प्रसन्नता, खुशी तृप्ति। ० विरागता (जयो० २७/७) त्यागोऽपि मनसा श्रेयान्न तोषततिः (स्त्री०) संतोषभाव। (समु०१/२४) प्रसन्नता की शरीरेण केवलम्' (वीरो० १३/३७) राजि। ० दान-त्यागो दानं, तच्छक्तिो यथाविधि प्रयुज्यमानं त्यागः। तोषयन् (वि०) [तोष+ल-ड] मूसल। ० धर्मविशेष-(जयो० २८/३९) तोषवान् (वि०) संतोषी। (सुद० १०३) ० परिग्रहनिवृत्तिस्त्यागः। तौक्षिकः (पुं०) तुला राशि। ० परित्यजन। तौतिकः (पुं०) सीप का मोती। ० आहारादि दान। तौर्य (नपुं०) [त! अण्] विगुल शब्द, तूर्यरव, तुरही की ० संयतस्य योग्यज्ञानादिदानम्। आवाज। विशिष्ट संप्रदान। तौर्यत्रिकं (नपुं०) नृत्य, गान, ध्वनि, स्वरसंगति, स्वरलहरी। ० भावदोष परित्याग। तौल (नपुं०) [तुला+अण] तराजू।। ० वैयावृत्यकरण, सेवा करना। तौलिकः (पुं०) [तुलि+ठक्] चित्रकार। ० संविभागकरण। त्यक्त (भू०क०कृ०) [त्यज्+क्त] विहीन, रहित, छोड़ गया, त्यागधर्मः (पुं०) त्याग धर्म, बाह्य और आभ्यन्तर क्रियाओं का परित्यक्त, टाला गया, विमुख। 'ततः क्तप्रत्ययवान् भवामि' परित्याग। दशधर्मों में आठवां धर्म। (जयो०वृ० १/१०३) 'क्त प्रत्ययस्य धातूनामुक्तत्त्वात्' त्यागभावः (पुं०) निवृत्ति भाव, निग्रहभाव। (जयो०वृ० १/१०३) त्यागादिग (वि०) त्याग रहित। (सम्य०७०) त्यक्तकषाय (वि०) कषाय रहित। त्यागिता (वि०) निस्वार्थता-दानशीलता (जयो० २/७४) त्यक्त-कोप (वि०) कोप मुक्त, क्रोध रहित। 'त्यागिताऽनुभाविता कृतज्ञता' त्यक्त-खेद (वि०) क्षोभ रहित। त्यागिन् (वि०) छोड़ने वाला, परित्यजनशील, दाता, प्रदाता, त्यक्त-क्षोभ (वि०) राग-द्वेष से रहित। भोगों से विमुख होना, स्वेच्छप्रवृत्ति का परित्यजन करने त्यक्तगेह (वि०) घर से पराङ्मुख, घर को छोड़ने वाला। वाला। त्यक्तचेतन (वि०) चैतन्य से रहित। त्रप (अक०) शर्माना, लज्जा करना। त्यक्तजीवित (वि०) प्राण मुक्त। त्रपमाणक (वि०) लज्जित (जयो० ३/११) त्यक्तज्ञान (वि०) ज्ञान परिहीन। त्रपा (स्त्री०) [त्रप्+अङ्टाप्] १. शर्म, लज्जा, लाज। (जयो० त्यक्त-तप (वि०) तप से विमुक्त। ६/४८) २. कामुक स्त्री, ३. प्रसिद्धि ख्याति। त्यक्त-दान (वि०) दान रहित। त्रपालु (वि०) लज्जजालु (जयो० १/२५) त्यक्त-दोष (वि०) दोष परिहीन। त्रपापगा (वि०) लज्जासरि (जयो० १७/७९) त्यक्तधर्म (वि०) धर्म विमुख। त्रपाभर (वि०) लज्जायुक्त (मुनि० २८) त्यक्तप्राण (वि०) प्राणशून्य। त्रपाला (वि०) लज्जाकारक (जयो० १६/५१) त्यज् (सक०) छोड़ना, त्यागना, उत्सर्ग करना, सेवा मुक्त त्रपाहीनः (वि०) निर्लज्ज, लज्जा रहित। करना, टालना, उपेक्षा करना, अवहेलना करना। त्यजाति त्रपारण्डा (स्त्री०) वेश्या। (दयो० १२३) (सम्य० ५१) 'लाति त्यजति चाङ्ककम्' | त्रपिष्ठ (वि०) अत्यन्त संतोष को प्राप्त, प्रसन्न चित्त। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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