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तैजसतेवनं
४५३
तोरणोत्थिः
तीर्थकः
तिला पदार्थ, तिन
तैजसतेवनं (वि०) उज्ज्वल, स्वच्छ, कान्तिमय, प्रकाशमान, | तोमरः (पुं०) [तुम्पति हिनस्ति-तुम्प+अट्र] लोहे की छड़।
चमकदार, ओजस्वी, बलिष्ट, गुण युक्त, पद्मरागमणि लोह-दण्ड। सदृशा
तोयं (नपुं०) उदक, जल, पानी। (भक्ति० ४) (जयो० २/१५२) 'तेयप्पहगुणजुत्तमिदि तेजइयं' (ष०ख० १४/३२७) तोयकर्मन् (नपं०) देह प्रमार्जन, शरीर प्रमार्जन, जलतर्पण।
शंख-धवल-प्रभालक्षणं तैजसम् (त०वा० २/४९) तोयकृच्छः (पुं०) जल से जीवन चलाना। तैजसशरीरं (नपुं०) अग्नि प्रभा सदृश शरीर, जिस कर्म के तोयक्रीडा (स्त्री०) जलक्रीड़ा, जलविहार।
उदय से तैजस वर्गणा के स्कन्ध नि:सरण। अग्नि सरणरूप तोयगर्भः (पुं०) नारिकेल, नारियल। और प्रशस्त-अप्रशस्त परिणत हों।
तोयचरः (पुं०) एक जन्तु, जल में विचरण करने वाला प्राणी। तैतिक्ष (वि०) सहिष्णु, सहन शील।
तोयडिम्बः (पुं०) ओला, बर्फ कण। तैतिरः (पुं०) तीतर।
तोयडिम्भः (पुं०) बर्फ कण, हिमकण, ओला। तैतिलः (पुं०) गैंडा।
तोयक्षः (पुं०) मेघ, बादल। तैत्तिरीयोपनिषदः (पुं०) एक उपनिषद का नाम।
तोयधरः (पुं०) मेघ, बादल। तैमिरः (पुं०) अक्षि रोग।
तोयधिः (पुं०) समुद्र, उदधि। तैर्थिकः (वि०) तीर्थवासी, पावन, पवित्र।
तोयनिधिः (पुं०) समुद्र, उदधि। तैर्थिकः (पुं०) एक सन्यासी।
तोयनीवी (स्त्री०) भू, धरा, पृथ्वी। तैलं (नपुं०) [तिलस्य तत्सदृशस्य वा विकारः अण] तेल, | तोयपानं (नपुं०) जल पीना।
चिक्कण पनयुक्त पदार्थ, तिल से निकाला गया, मूंगफली, तोयप्रसादनं (नपुं०) कतकफल, निर्मली, फिटकरी।
सरसों, सोयाबिन, विनौला आदि का तैल। (सम्य० १०८) तोयमलं (नपुं०) समुद्रफेन। तैलफुले: (पुं०) तेल का फोहा।
तोयमुच् (पुं०) समुद्र। तैलङ्गः (पुं०) तेलगुप्रान्त, तमिल भाषा का प्रदेश।
तोययन्त्रं (नपुं०) जलघड़ी। तैलिकाः (पुं०) [तैल+ठन्] तेली, तेल पेरते वाला। (जयो० तोयराजन्ः (पुं०) समुद्रा २५/५५)
तोयराजिः (पुं०) जल पंक्ति । १. समुद्र। तैलिन् (पुं०) तेली।
तोयराशिः (पुं०) समुद्र। तैलिनी (स्त्री०) [तैलिन्+ङीप] दीपक की वत्ती।
तोयवेला (स्त्री०) समुद्र का किनारा, समुद्रतट। तैलीनं (नपुं०) [तिलानां भवनं क्षेत्रम्] तिलक्षेत्र, तिल को तोयव्यतिकरः (पुं०) नदी का मिलन स्थान, संगम स्थल, खेत।
जल का एक स्थान से दूसरे स्थान पर मिलना। तैषः (पं०) [तिष्य+अण+डीप] तिष्येण नक्षत्रेण युक्ता पौर्णमासी तोयशुक्तिका (स्त्री०) सीपी। पौषमाह।
तोयसर्पिका (पुं०) मेंढक। तोकं (नपुं०) शिशु, बालक, बच्चा।
तोयसूचकः (पुं०) मेंढक। तोककः (पुं०) चातक पक्षी।
तोरण: (पुं०) द्वारमुख, प्रवेशद्वार। तोटकः (पुं०) तोटक छन्द। चार सगण और सोलह मात्रा पर | तोरणं (नपुं०) बहिर। (समु० २/२०) 'मणिपूर्णसुतोरणोत्थितैः' विराम। ॥।। SIS II5=१२ वर्ण।
(जयो० १०/११) १. तोरण नामक वृक्ष 'उपात्तः तोडनं (नपुं०) [तुड्ल्यु ट्] खण्ड-खण्ड करना, टुकड़े करना, स्वीकृतस्तोरणे नाम वृक्षः' (जयो० २४/५०) फाड़ना, विनाश करना, विदीर्ण करना।
तोरणप्रांतः (पुं०) मुख्यद्वार का भाग। तोत्रं (नपुं०) [तुद्+ष्टुन्] अंकुश, अरई, चाबुक।
तोरणश्री (स्त्री०) मुख्यद्वार की शोभा। (जयो० २२/४४) तोदः (पुं०) [तुद्+घञ्] दुःख, पीड़ा, वेदना, संताप। तोरणोत्तम (वि०) उत्तम द्वार युक्त। 'दशधाशत-तोरणोत्तमम् तोदनं (नपुं०) [तुद्+ल्युट्] १. कष्ट, पीड़ा, वेदना, अंकुश, (समु० २/२०) २. मुख।
तोरणोत्थिः (वि०) तोरणों से युक्त (जयो० १०/११) तोरणों
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