________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भूमिचल:
७९३
भूराव्याप्त
Y
भूमिचलः (पुं०) भूचाल, भूकम्प। भूमिचलनं (नपुं०) भूचाल, भूकम्प। भूचर ०भूपति। (जयो०६/१२) भूमिजः (पुं०) मंगलगृह। भूमिजीविन् (वि०) वेश्य। भूमितलं (नपुं०) भूतल, भूभाग। भूमिदानं (नपुं०) भूदान। (वीरो० १५/४८) भूमिधयिनी (वि०) भूदान देने वाला। (वीरो० १५/३९) भूमिदेवः (पुं०) ब्राह्मण, विप्रा भूमिधरः (पुं०) पर्वत, पहाड़। भूमिप (पुं०) राजा, नृपति। (जयो० ५/१०) (जयो० ३/९३) ___ (समु० २/२९) भूमिपति (पुं०) नृपति। महीपति। भूमिपालः (पुं०) पृथवीपति, राजा, नृप। भूमिभुज् (पुं०) भूपति, राजा। भूमिभृत् (पुं०) नृप, राजा। (जयो० ११/१३) भूमिरुहः (पुं०) वृक्षा (समु० ३/३७) भूमिरक्षकः (पुं०) भूपाल, नृप। भूमिवर्धनः (पुं०) मृतशरीर, शव। भूमिशयनं (नपुं०) भूमि पर सोना। भूमिसंस्तरः (पुं०) भूमिगत बिछौना। भूमी (स्त्री०) [भूमि ङीष्] पृथ्वी, भू। भूयं (नपुं०) होने की स्थिति, होती हुई। (सुद० ८९) भूयशस् (अव्य०) अधिकर, बहुधा।
सामान्यतः, साधारण रूप से। भूयस् (वि०) [बहु+ईसुन] अधिकतर, अपेक्षाकृत अधिक
विस्तृत। ०बहुत बड़ा, अतिशय। (जयो. १०/६१) *अत्यधिक
(सुद० ८९) (मुनि० १४) भूयस् (अव्य०) अधिक, अत्यधिक, अधिकतर।
पुनः। (जयो० १७/१३०) ०बारंबार। (वीरो० १/३७) भूयिष्ठ (वि०) [अतिशयेन बहु+इष्ठन्] ०अत्यधिक, प्रचुर, पर्याप्त।
बहुलता, अत्यन्त। ०व्याप्त, व्यापक। (जयो० ३/२५)
०प्रायः, अधिकतर। भूयिष्ठं (अव्य०) अधिकांशतः, अत्यन्त, अत्यधिक, बहुत।
अधिक से अधिक।
भूयो भूयो (अव्य०) मुहुरेव (जयो० १०/२३) (जयो० ११/९८) भूर (अव्य०) तीन व्याहृतयों में से एक। भूरञ्जनं (नपुं०) जनता मनोरंजन। (जयो० १/३७) भूरञ्जनो
यस्य गुणश्च देव। भूरञ्जनो जनतायाः प्रसत्तिराः।
(जयो०वृ० १/३७) भूरन्ध्रव्यापिनी (वि०) संसार में व्याप्त। (वीरो० १३/३७) भूरा (स्त्री०) चमक, छवि, कान्ति। (सुद० ९७) सुंदर, सुभग (सुद० ९४) भूरास्तामिह जातुचिदहो सुन्दल न विलम्बस्य।
मनोज्ञ, रमणीय (सुद० ७४) भूरागस्य न वा रोषस्य
(सुद०७४) भूरा (पुं०) भूरामल नामक कवि। (सुद० ७१, सुद० ५/३) भूराकुलं (नपुं०) भूरामल महाकवि का वंश। (सुद० १००)
'भूराकुलतायाः सम्भूयात्कोऽपि नेति सम्वदतु' भूराख्यात (वि०) उत्तम फल से युक्त। (सुद० ८२) (सुद०
१००) ०भूरा नाम से प्रसिद्ध। भूरागः (पुं०) पृथ्वी का अनुराग। (सुद० ८९)
भूरामल कवि। (सुद०८८) भूराजनः (पुं०) सुंदर लोग। भूराज्ञ अरि पण्डिते (सुद०८९) भूराज्ञः किमभूदेकस्य, यद्वा
सा प्रवरस्य नरस्य। (सुद०८९) भूरानन्दः (पुं०) भूरामल नामक कवि, अद्वितीय आनंद को
प्रदान करने वाला कवि, परमानन्द स्वरूप भूरानन्दस्येय
मतोऽन्याकाऽस्ति जगति खलु शिवताति। (सुद० १२३) भूरा-पादित (वि०) भूरा नामक कवि द्वारा प्रतिपादित। (सुद० ९८)
भूः आपादित-सत्कारपूर्वक। (सुद० ९६) भूराप्त (वि०) भूरा को प्राप्त, महाकवि भूरामल को प्राप्त-भू
आप्त-सर्वज्ञ गत। (सुद० ८३) भूराभरणः (पुं०) भूरामल नामक महाकवि, जयोदय वीरोदय
आदि महाकाव्यों के रचनाकार कवि।
भूः आभरण-भू का अलंकरण। (जयो० १७/१२७) भूरामरः/भूरामलः (पुं०) भूरामल नामक महाकवि। लब्ध्वा
ज्ञानविभूषात्मकतया भूरामलः संभवेत्। (मुनि० ३३) (जयो०
२३/७१, जयो० २८/०८) भूरामा (स्ती०) पृथ्वी की शोभा। ०भू आभा।
भूरामल: पृथिवी रूपी रामा/स्त्री। (जयो० २३/६५)
भूः पृथिवी रामा-स्त्री। (जयो० २३/६५) भूराव्याप्त (वि०) सुंदरता की व्यापकता।
For Private and Personal Use Only