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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूतविद्या ७९२ भूमिचर भूतविद्या (स्त्री०) प्राणी विद्या। भूतानां निग्रहार्थ विद्या। भूपसन्निधाव (वि०) राजा के समीपवर्ती। (दयो० १०८) भूतवृक्षः (पुं०) बिभीतक वृक्ष, बहेड़े का वृक्ष। भूपालः (पुं०) नृप, राजा। (वीरो० ३/१२) भूतसंसारः (पुं०) भूत व्याधि। भूपालबालः (पुं०) राजपुत्र, राजकुमार। (जयो० १/११२) भूतस्थान (नपुं०) प्राणी स्थल। भूपालनं (नपुं०) प्रभुता, आधिपत्य। भूतात्मक (वि०) पंचभूत तत्त्वमय। (सुद० १००) भूपुत्रं (पुं०) मंगलग्रह। भूतिः (स्त्री०) [भू+क्तिन्] उत्पत्ति, जन्म। भूपुत्री (स्त्री०) पृथ्वी पुत्री सरिता। होना, अस्तित्व। भूप्रकम्पः (पुं०) भूचाल, भूकम्प। कल्याण, आनंद, समृद्धि। भूप्रदानं (नपुं०) भूदान। राख, भस्म। (सुद० ११२) भूप्रभृति (स्त्री०) पृथ्वी आदि। (जयोवृ० १/९५) सौभाग्य, गौरव, महिमा। भूविम्ब (पुं०) भूगोल, भूमण्डल। सम्पत्ति। भूतिर्मातङ्ग शृङ्गारे भस्मसम्पत्तिजन्मसु इति । भूभङ्गः (पुं०) प्रभु, राजा। विश्वलोचन। (जयो० १४) भूभागः (पुं०) क्षेत्र, स्थान, खेत, स्थल। (सुद० १२८) भूत्रयपति (पुं०) त्रिभुवनपति चक्रवर्ती। (जयो० ५/६३) (जयो० ७/११) भूवयाधिपः (पुं०) चक्रवर्ती। (वीरो० ४/६१) भूभुज् (पुं०) नृप, राजा। (समु० ४/१२, ४/२) भूत्रयातिशयिनी (वि०) तीनों लोकों में अतिशयवती। (जयो० | भूभृत (पुं०) पर्वत, पहाड़। (सम्य० १) कुलाचल। ५/३३) (दयो० ६/३५) भूतिकर्मन् (नपुं०) शुभ कर्म विशेष। उत्सव। भूमण्डलं (नपुं०) ०भूमि, भूभाग, ०धरणी, धरती, ०धरा। मंत्रित भस्म कर्म, व्याधि पीड़ित के लिए मंत्र, मिट्टी, धराव लय। (जयो० १३/५४) (मुनि० ) धागा आदि से करना। भूमण्डलाशेषः (पुं०) भू भाग का शेष रहना। (समु०६/३७) भूतिकुशीलः (पुं०) वशीकरण कर्म, रक्षणकर्म। मन्त्रितभस्म, भूमण्डलमण्डनं (नपुं०) पृथ्वी का आभूषण। (जयो० १/३२) धूलि, सरसों पुष्प, फूल आदि से रक्षण करना। भूमन् (पुं०) भारी, प्रचुर, प्रबल, यथेष्ट। भूतिगर्भः (पुं०) विभूति समूह। भूमन् (नपुं०) भूमि, पृथ्वी। भूतिनिधानं (नपुं०) घनिष्ठा नक्षत्र! ०प्रदेश, भूखण्ड। भूतिलकं (नपुं०) भूशोभा। (जयो० ७/११) भूमा (स्त्री०) इकट्ठा, एकत्रित। भूतिसंस्तरः (पुं०) भूमिगत शय्या, भूशयन। ____०पृथ्वी की लक्ष्मी, भूशोभा। (जयो० १/५७) भूत्वा (सं०कृ०) होकर। (सुद० ४/१०) भूमिः (स्त्री०) [भवन्त्यस्मिन् भूतानि-भू+मि] ०धरणी, धरती, भूपः (पुं०) नृप, राजा, प्रभु। (जयो० ३/६०) (सुद० १३४) धरा, पृथ्वी, भू भाग। (सुद० २/३९) भूखण्ड, प्रदेश, स्थान, स्थल। भूमिमेकान्ततो ब्रह्मपदैकभूदेवः (पुं०) १. राजा, २. ब्राह्मण। (वीरो० १४/६) भूमिः' (वीरो०१२/४६) भूपतिः (पुं०) नृप, राजा, अधिपति। (जयो०वृ० १/२५) जगती। (जयो०वृ० १३/२४) भूपतिजाया (स्त्री०) रानी। (वीरो० ६/३८) महिषी। भूमिका (स्त्री०) [भूमि+कै+क+टाप्] पृथ्वी, जमीन, मिट्टी, भूपदः (पुं०) वृक्षा स्थान, स्थल। अभिनय, विचार प्रस्तुति। भूपद्म (नपुं०) पाटल पुष्प, गुलाब। (जयो० १/८३) भूमिकाण्डं (नपुं०) भूभाग, भूखण्ड (दयो० २५) भूपभूषा (स्त्री०) भूप अलंकरण। (जयो० ४/११) भूमिगुहा (स्त्री०) भू गुफा। ०खोह, ०कोटर। भूपवित्तु (पुं०) राजा, नृप। (जयो० ४/११) राजहंस। भूमिगृह (नपुं०) भूगर्भगृह। (जयो०३० ३/८३) ०ततघर, तहखाना। भूपवरः (पुं०) भूप, नृप, राजा। भूमिचर (वि०) भूचर। भूवि चरन्तीति भूचरास्तान्, राजतुजो भूपरिधिः (स्त्री०) पृथ्वी का घेरा। भूपतिः (जयो० ६/१३) अतिगर्भः नपुं०) पा (जयो० ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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