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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूकः ७९१ भूतविज्ञानं स्थान, स्थल, क्षेत्र, भूखण्ड। (जयो० ४/२५) आधार रेखा। भूकः (पुं०) [भू+कक्] रन्ध्र, गर्त, विवर। ०झरना। ०काल। भूकलः (पुं०) [भुवि कलयति-कल+अच्] अडियल घोड़ा। भूकदम्बः (पुं०) कदम्ब वृक्ष। भूकम्पः (पुं०) भूचाल, पृथ्वी का चलायमान होना। भूकम्पनं (नपुं०) भूचाल। (वीरो०१/३७) भूकर्णः (पुं०) भूभाग का व्यास। भूकाकः (पुं०) पनमुर्गी, बगुला। भुकशः (पुं०) बटवृक्षा भूकेशा (स्त्री०) पिशाचिनी, राक्षसी। भूक्षित् (पुं०) सूकर, सुअर। भूगर्भः (पुं०) भूतल। (सुद० १२७) गर्भालय। (वीरो०१२/१४) भूगृहं (नपुं०) तहखाना, तलघर। भूगेहं (नपुं०) तलघर। भूगोलः (पुं०) भूमण्डल, भूभाग। भूचक्रं (नपुं०) भूमध्य रेखा। भूचर (वि०) पृथ्वी पर विचरण करने वाला। (जयो०वृ० ६/१३) भूर्जप्राय (वि०) भूर्जपत्रतुल्य। (जयो० १६/८२) भूछाया (स्त्री०) परछाई। अंधकार। भूजंतु (पुं०) हस्ति, हाथी। भूजम्बूः (पुं०) गेहूं, गोधूम। भूतलं (नपुं०) धरातल, भूभाग। भूतार्थवेदी (वि०) यथार्थवेत्ता। (वीरो० ) भूतृणं (नपुं०) सुगन्धित तृण, नागरमोथा, खशादि। भूदारः (पुं०) सूकर। भूधनः (पुं०) नृप, राजा। भूधरः (पुं०) एक जैन हिन्दी कवि भूधरदास, उनकी कृत बारहभावना जन जन में प्रचलित है। भूत (भू०क०कृ०) [भू+क्त] उत्पन्न, निर्मित। वर्तमान, विद्यमान। ०वस्तुतः होने वाला। यथार्थ घटित। ठीक, उचित, सम्यक्। अनीत, गया हुआ। भूतः (पुं०) पुत्र, शिशु, उत्पन्न बालक। ०व्यन्तरदेव। भूतं (नपुं०) प्राणी, सत्त्व। जन्तु, जीवधारी कालत्रयभवनात् भूताः। (जैन०ल० ८६७) प्रेत, भूत, पिशाच। (सुद० ४/४१) ० भूत तत्त्व-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। पंचभूत-तत्त्व (सुद० ११९) भूतकालः (पुं०) बीता हुआ समय अतीत काल। भूतक्रान्ति (स्त्री०) भूत व्याधि। ०प्रेत बाधा। भूत-गणः (पुं०) उत्पन्न प्राणी समूह। भूत समूह, पिशाच समुदाय। भूतगृहीतं (नपुं०) भूतनिवास। (जयो० २५/७१) भूतग्रस्त (वि०) भूत व्याधि से पीड़ित। भूतग्रामः (पुं०) समस्त, जीव। भूतघ्नः (पुं०) उष्ट्र, ऊंट। भूतचेष्टा (वि०) पंचभूत की क्रिया। (दयो० ४१) भूतजयः (पुं०) तत्त्व विजय। प्रेत विजय।। भूतदया (स्त्री०) प्राणी अनुकम्पा, प्राणियों पर करुणा। भूतदयाश्रयः (पुं०) प्राणिमात्र पर करुणा का आधार। (जयो० २८/१९) भूतधरः (पुं०) पृथ्वी। भूतधारिणी (स्त्री०) पृथ्वी, भू। भूतनाथः (पुं०) शिव। भूतनिषाद (नपुं०) भूतस्थान, प्रेतगृहीत। (जयो० २६/१७) भूतपूर्व (वि०) पहले से विद्यमान। भूतपूर्व (अव्य०) पहले। भूतपिशाच दोषी (स्त्री०) भूत-पिशाच की व्याधि। (समु० ३/२९) भूतप्रकृतिः (स्त्री०) प्राणियों का आधार भूत तत्त्व। भूतबलि (पुं०) जैनाचार्य भूतबलि, जो प्राकृत भाषा के प्रारम्भिक कवि, सूत्रकार एवं सिद्धान्तवेत्ता माने जाते हैं। भूतब्रह्मन् (पुं०) भूतत्त्व ज्ञान। भूतमात्रहितं (नपुं०) प्राणिमात्र का कल्याण। (सुद० १३६) भूतयोनिः (स्त्री०) प्राणियों की उत्पत्ति का मूल स्रोत। भूतलं (नपुं०) धरातल। (सुद०५/१) पृथ्वी भाग। (सुद० ८५) भूतलक (पुं०) धरातल, भूभाग, भूमण्डल। भूतवर्गः (पुं०) भूत-प्रेत समूह। भूतवासः (पुं०) बहेड़े का वृक्षा भूतविक्रिया (स्त्री०) अपस्मार, मिरगी। भूतविज्ञानं (नपुं०) प्राणी विज्ञान। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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