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भागकल्पना
७८०
भाजक:
राशिचक्र का तीसवां अंश।
भाग्यचकं (नपुं०) भाग्यक्रम, प्रारब्ध का परावर्तन। ०लब्धि, कक्ष, अन्तराल।
भाग्यज्योति (स्त्री०) आनन्द ज्योति। स्थान, क्षेत्र। (सम्य० १३९)
भाग्यदायी (वि०) सौभाग्य शाली। भागकल्पना (स्त्री०) अंश विभाजन।
भाग्यदिवाकरः (पुं०) दैव सूर्य। (जयो०१० २६/४३) भागकारिणी (वि०) सौभाग्य शालिनी।
भाग्यपथं (नपुं०) आनंद मार्ग। कल्याणपथ। भागजाति (स्त्री०) भिन्न राशियों को घटाकर हर समान करना। भाग्यपूर्णः (पुं०) सौभाग्य युक्त। 'तारुण्यपूर्णामिह भाग्यपूर्णाः' भागधेयं (नपुं०) खण्ड, अंश, हिस्सा।
(वीरो०९/३१) ०भाग्य, प्रारब्ध।
भाग्यप्रतीतिः (स्त्री०) समृद्धि का आभास, अच्छाई का ज्ञान। भागभाज् (वि०) हिस्सेदार, भागीदार।
(जयो० ८८५) भागभुज् (वि०) नृप, अधिपति।
भाग्यबलः (पुं०) दैव योग। (दयो० १००) स्वामी, नायक।
भाग्ययोगः (पुं०) दैव योग, कल्याण का समागम। भागवत (वि०) पवित्र, पुष्करशील, शुद्ध।
भाग्यबल्ली (स्त्री०) भाग्य लता। (जयो० ४/४३) भागवती (स्त्री०) सौभाग्यशलिनी। (जयो० ६/७४)
भाग्यवितस्ति (स्त्री०) भाग्य विस्तार, प्रारब्ध की व्यापकता। भागशस् (अव्य०) [भाग+शस्] अंशानुसार, खण्ड रूप में। (जयो० ४/४७) भागहरः (पुं०) उत्तराधिकारी।
भाग्यविधि (स्त्री०) दैवविधान। (वीरो० ५/४) ०भाग देना।
भाग्यविप्लवः (पुं०) दुर्भाग्य, सौभाग्य हीन। भागिक (वि.) [भाग+ठन्] खण्ड से सम्बन्धित, अंश बनाने भाग्यानुकूलः (पुं०) सौभाग्यशील, भाग्यानुसार। (समु० १/३२) वाला, भिन्न संबंधी।
निज प्रयत्नेन तदेक नाम भाग्यानुकूलं द्रविणं श्रयामः। सौ में से एक भाग एक प्रतिशत।
(समु० १/३२) भागिन् (वि०) खण्ड से युक्त, अंशदान वाला, हिस्सेदार। भाग्योदयः (पुं०) शुभयोगवश। (जयो०वृ० २३/३०) (वीरो० १७/४१)
प्रारब्ध की प्रतीति। (दयो० ११५) सम्बंधित, ग्रस्त।
पुण्यपरिणाम (जयो० १/१०६) भाग्योदयाच्चकास्तीति ०भाग्यवान, सौभाग्य शाली, भाग्यशालिन्। (जयो०१२/२७) स पार्णो मे महामणिः। (जयो० १/१०६) भागिनेयः (पुं०) [भगिनी+ढक] भानजा, बहिन का पुत्र। ०भाग्यवश (सुद० ९८) भागिनेयी (स्त्री०) भानजी।
भाङ्ग (वि०) [भङ्गा+अण] पटसन से निर्मित, सन का बना भागीरथी (स्त्री०) [भागीरथ+अण+ङीप्] गंगा नदी। (जयो०१० हुआ। ९/६७)
भाङ्गकः (पुं०) जीर्ण शीर्ण वस्त्र, चिथड़ा। भाग्यं (नपुं०) [भज्+ण्यत्] ०पुण्योदय-'स्वागतमिह भवतां भाङ्गगीनं (नपुं०) [भङ्गगाया भवनं क्षेत्रं-खञ्] सन का खेत।
खलु भाग्यान्निः स्वागत-गणना अपि चाज्ञा। (जयो० भाज् (सक०) बांटना, वितरित करना। १२/१४३)
भाज् (वि०) [भाज्+क्विप्] हिस्सेदार, सहभागी, सहयोगी। प्रारब्ध, दैवयोग। (सम्य० ४३) 'भाग्येन तेनास्तु उपयोग करने वाला। समागमोऽपि' (सुद० २/२२)
० अधिकार करने वाला, प्राप्त करने वाला। ०सौभाग्य, विशेष कृपा। (सुद० ९८)
भावुक, सचेतन, अनुरक्त। समृद्धि, सम्पन्नता। (सुद० १२४)
आवासी, निवासी। आनन्द, कल्याण।
आश्रय लेने वाला, खोजने वाला। भाग्यक्रमः (पुं०) दैव गति, भाग्यचक्र।
पूजा करने वाला, स्तुति वाला। भाग्यवत (वि०) सौभाग्य को प्राप्त हुआ।
कर्तव्यशीला भाग्यगतिः (स्त्री०) प्रारब्ध की अवस्था, प्रारब्ध का परावर्तन। | भाजकः (पुं०) [भाज्+ण्वुल] बांटने वाला, विभाजक।
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