SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 363
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भवार्णवसेतु ७७८ भव्यात्मन् भवार्णवसेतु (पुं०) संसार पार हेतु पुल। (जयो० २/१०१) । भविक (वि०) दाता, उपयोगी। भविकं (नपुं०) कल्याण, सुख, आनंद। भवितव्य (वि०) [भू+तव्यत्] घटित होने वाला, घटित होना चाहिए। ०होनहार। भवितव्यता (स्त्री०) [भवितव्य तल्+टाप्] ०अनिवार्यता, होनी। भाग्य, प्रारब्ध। भवितु (भू+तृच्) भावी, होने वाला। भोक्तुं गता (जयो० १४/३, जयो० ११/२३) भवित्री देखो ऊपर। भविन् (भू+इनि) भविष्यत् (जयो० १०/११९) ०छद्मस्थ जीव भविनां छद्मस्थानां स्थानां वरो विधिः। (जयो० २।८४) भविनः (पुं०) कवि। भविल: (पुं०) प्रेमी, लम्पट, कामी। भविष्णु (वि.) [भू+इष्णुच्] होने वाला। भविष्य (वि.) [भू+लुट्+स्य+शत] भावी, भविष्य सम्बंधी, आगे आने वाला। भविष्यं (नपुं०) भावीकाल, उत्तरकाल। भविष्यकालः (पुं०) आगामी काल, अनागत काल। (जयो०१० १२/७३) भविष्यज्ञानं (नपुं) आगामी काल सम्बंधी ज्ञान। भविष्यत् (वि०) [भू+लुट्+स्य+शत] आगामी काल सम्बंधी। भविष्यत्कालः (पुं०) आगामी काल, आगे बताने वाला समय। भविष्यतीति भविष्यत्। (धक १३/२८६) भवोच्छेदक (वि०) जन्म-मरण नाशक। (जयो० २३/७५) भवोदधिः (पुं०) संसार समुद्र। (भक्ति० २) भव्य (वि०) [भू+यत्] ०श्रेष्ठ, उन्नत, उत्तम, उचित, आनन्दप्रद। उपयुक्त, अच्छा, बदिया। मनोरंजक। (सुद० १/५) विद्यमान। पवित्र (समु० १/४) मनोहर, रमणीय, सुंदर। (जयो० १०८५) ०अनुपम, यथेष्ट, समीचीन। ०अति मनोहर। (जयो० ३/७७) उत्कृष्ट। दिव्य। (जयो०७० २/४०) सौम्य, शांत, मृदु। भव्यः (पुं०) भव्य जीव, निकट भविष्य में मुक्ति को प्राप्त होने वाला जीव। (वीरो० १४/२९) सम्यग्दर्शनादि भाव से जो मुक्त होंगे-'सम्यग्दर्शनादिभिर्व्यक्तिर्यस्य भविष्यतीति भव्यः' (स०सि० ८/६) महिमा यस्य भो भव्या ललामामादूरगः। (सुद० १३६) भव्यं (नपुं०) अनागत, भविष्यत्काल। ०परिणाम, फल समृद्धि। भव्यकर (वि०) उत्तम कारण करने वाला। भव्यकार्य (वि०) यथेष्ट कार्य, उचित काम। भव्यकौमुदी (स्त्री०) सुंदरता युक्त चांदनी। भव्यगात्रं (नपुं०) सुंदर शरीर। भव्यगेहं (नपुं०) उत्तम प्रासाद, उन्नत गृह। भव्यचातकः (पुं०) श्रेष्ठ पपीहा। (समु० ५/२७) भव्यचेतस् (वि०) भक्त, गुणग्राही व्यक्ति। (जयो० २/२९) ०भव्यजन, सज्जन। भव्यजनः (पुं०) सज्जन। (भक्ति०१) भव्यजीव। भव्यजन्मन् (नपुं०) अच्छी पर्याय। ०उत्तम योनि। भव्यजातिः (स्त्री०) उत्तम जाति, श्रेष्ठ जाति। उत्तम कुल में उत्पत्ति। भव्यतम (वि०) उत्तम से उत्तम। (सुद० २/३१) भव्यतापस् (वि०) उत्कृष्ट तपस्वी। भव्यदिवाकरः (पुं०) अरुणोदय, सूर्योदय, प्रभातकाल का सूर्य। भव्यद्रव्यं (नपुं०) उत्तम वस्तु। भव्य पयोरुहः (पुं०) सज्जन रूपी कमल। भव्यानि मनोहराणि च तानि पयोरुहाणि (जयोवृ० १/९६) भव्यभावः (पुं०) पवित्रम, पवित्र परिणाम। (जयो०वृ० २/६७) उचित भाव। ०सम्यक् भाव। भव्यभ्रमरः (पुं०) आनंदप्रद भ्रमर। (समु० १/४) भव्यमिलिन्दः (पुं०) हर्ष से परिपूर्ण भौरे। भव्यभ्रमर (समु०१/४) भव्यरतं (नपुं०) अनुपम रत्न। भव्यरथः (पुं०) सुंदर वाहन, अच्छा रथ। भव्यव्रतं (नपुं०) दिव्य व्रत, परमार्थ साधक व्रत। (सुद०२/३१) भव्यशरीरं (नपुं०) दिव्यतनु। (जयो०वृ० २/४०) भव्यो योग्यः, मंगलपदार्थ ज्ञास्यति यो न तावद्विजानाति स भव्य इति तस्य शरीरं भव्यशरीरम्। (जैन०ल० ८३९) भव्यसिद्ध (वि०) भविष्य में मुक्त होने वाला सिद्ध/मुक्त। भव्यस्पर्शः (पुं०) इच्छित स्पर्श। ०अनुपम स्पर्श। भव्यात्मन् (पुं०) भव्यजीव। (सुद० ४/३९, मुनि० १) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy