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भक्षक
भः (पुं०) पवर्ग का चतुर्थ वर्ण, (जयो० १/३७) भकार।
(जयो०वृ० १/२९) इसका उच्चारण स्थान ओष्ठ्य है। भः (पुं०) [भा+ड]०शक्र ग्रह। ०भ्रम, भ्रान्ति।
प्रकाश-भं प्रकाशस्द्वान सन्। (जयो०वृ० १/१५)
०आभास, चमत्कार। (जयो०वृ० ३/८८) भं (नपुं०) ०तारा, ग्रह, नक्षत्र। (जयो० ७/७९) भानां नक्षत्राणां
वनस्य स्थानाय प्रदेशे भवनप्रदेश। (जयो०वृ० १५/७३) भक्त (भू०क०कृ०) [भज्+क्त] ०पूजित, अर्चित।
सेवित। विभाजित, विभक्त, निर्दिष्ट। ०अनुरक्त, संलग्न।
० श्रद्धावान्, विश्वास युक्त, श्रद्धालु। भक्तः (पुं०) उपासक, पूजक, आराधक। भक्तं (नपुं०) ०भाग, हिस्सा। ___ भोजन, आहार। भक्तकथा (स्त्री०) रसनेन्द्रिय की लोलुपता सम्बंधी कथा।
भोजन से सम्बंधी कथा। भक्तपरिज्ञा (स्त्री०) तीन या चार प्रकार के आहार का
परित्याग, समाधि के समय विविध प्रकार के आहार का
त्याग। भक्तपानविवेकः (पुं०) भोजन-पान का परित्याग। भक्त-पान-संयोगः (पुं०) भोजन पान का संयोग। भक्तप्रतिज्ञा (स्त्री०) भोजन परित्याग। भक्तप्रत्याख्यानं (नपुं०) समाधि मरण के समय रसादिसहित
आहार का परित्याग। भक्तमण्डः (पुं०) भात का मांड। चावल के पकाने पर
निकलने का मांड। भक्तरोचनं (वि०) भूख को उत्तेजित करने वाला। भक्तवत्सल (वि०) कृपालु, दयावान्। भक्तशाला (स्त्री०) भोजनालय। भोजनशाला। आहार स्थान। भक्तामरः (पुं०) भक्तदेव। भक्तामरसमयः (पुं०) भक्तामर स्तोत्र-भक्तानां भक्ति।
परायणानां च तेषाममराणां देवानां समयेन समूहेन। (जयो०
१५/८५) भलामरस्तोत्रं (नपुं०) आचार्य मानतुंग की प्रसिद्ध रचना,
प्रथम तीर्थकर सम्बंधी स्तोत्र आदिनाथ स्तोत्र। (जयो०
१९/८५) भक्तिः (स्त्री०) [भज्+क्तिन्] ०उपासना, आराधना।
०पूजा, अर्चना, ध्यान। (सुद० ४/३४) ०सम्मान, समादर, श्रद्धा। ०अंश, हिस्सा, भाग। ०अनुरक्ति, अनुरंजन।
आत्मगुण तल्लीनता। ०भावविशुद्धि-'अहंदाचार्येषु बहुश्रुतेषु प्रवचने च भावविशुद्धियुक्तोऽनुरागो भक्तिः । (त०वा० ६/२४) ०पात्रगुणानुराग। विनय वैयावृत्य रूप प्रतिपत्ति। चिद् गुणलब्धि-'नाममि तांश्चिद् गुणलब्धये तु। (भक्ति० १)
भक्ति का अर्थ अलंकरण, श्रृंगार सजावट भी है। भक्तिगत (वि०) सेवा को प्राप्त हुआ। भक्तिगुणं (नपुं०) श्रद्धागुण। भक्तिचैत्यं (नपुं०) भक्तिपूर्वक चैत्यस्थापन। ०चैत्यगृह,
आराधना कक्षा भक्तिभावः (पुं०) श्रद्धाभाव। आराधना गुण। भक्तिभेदः (पुं०) भक्ति के प्रकार। सिद्धभक्ति, अरहंतभक्ति,
श्रुतभक्ति, पञ्चाचार भक्ति, श्रुतभक्ति, योगिभक्ति, तीर्थंकरभक्ति, शान्तिभक्ति, समाधिभक्ति, चैत्यभक्ति,
प्रतिक्रमणभक्ति, कायोत्सर्ग भक्ति आदि। भक्तिमत् (वि०) [भक्ति+मतुप्] उपासक, आराधक, श्रद्धालु।
गुणानुरागी, आत्मगुणपरायणी। भक्तिमान् (वि.) भक्ति करने वाला। (वीरो० १५/७) भक्तिमार्गः (पुं०) आराधना की पद्धति, उपासना की रीति। भक्तियोगः (पुं०) आत्म समर्पण की भावना, शारीरिक आदि
स्थिरता के लिए उपासना। भक्तिल (वि०) [भक्ति+ला+क] श्रद्धाशील, विश्वासपात्र। भक्षु (सक०) भोजना करना, खाना, निगलना।
- उपयोग करना। भक्षः (पुं०) [भक्ष्+घञ्] भोजन, आहार। भक्षक (वि०) [भक्ष्+ण्वुल] आहार करने वाला, भोजन
करने वाला। ० भोजक, आहारक।
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