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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्रह्मवादः ७६९ १०/१४) वस्त्रेण वेष्टितः कस्माद् ब्रह्मचारी च सन्नहम्। दम्भो यन्न भवेत्किं भो! ब्रह्मवर्त्मनि बाधकः। (वीरो० १०/१४) ब्रह्मवादः (पुं०) ब्रह्म का कथन, वेदांत कथन। (दयो० ४) ब्रह्मवादिन् (पुं०) वेदव्याख्याता, वेदांती। (जयोवृ० २६/९३) ब्रह्मविद (वि०) ब्रह्मज्ञ। स ब्राह्मणो ब्रह्मविदाश्रमोऽतः (वीरो० १४/४१) ब्रह्मविद्या (स्त्री०) ब्रह्मज्ञान, आत्मसंयम की शिक्षा। (दयो०९) ब्रह्मवृक्षः (पुं०) ढाक वृक्षा ब्रह्मवेदिन् (वि०) ज्ञानतत्त्वज्ञ, आत्मतत्त्वज्ञा ब्रह्मव्रतं (नपुं०) ब्रह्मचर्यव्रत। (मुनि० ३) ब्रह्मसूत्रं (नपुं०) वेदांतदर्शन का सूत्र। ब्रह्माणी (स्त्री०) (ब्रह्म+अण्+ङीप्] ब्रह्मा की पत्नी। दुर्गा। ब्रह्माण्डकः (पुं०) ब्रह्माण्ड, विश्व। (वीरो० १२/१८) ब्रह्निन् (वि०) [ब्रह्मन् इनि] ब्रह्मा से सम्बंधित। ब्रह्नि (पुं०) विष्णु। ब्रह्मिष्ठ (वि०) [ब्रह्मन्+इष्ठन्] ब्रह्म ज्ञाता, आत्मज्ञ, ब्रह्मविद। तत्त्वज्ञ, विचारज्ञ। ब्रह्मी (स्त्री०) [ब्रह्मन्+अण्+डीप्] ब्राह्मी जड़ी बूटी, एक पौधा। ब्रह्मेशयः (पुं०) कार्तिकेय। विष्णु। ब्राह्म (वि.) [ब्रह्मन्+अण]०वैदिक, वेदज्ञाता। आत्मज्ञ, ब्रह्मज्ञानी। ब्रह्मा, विधाता। विशुद्ध, पवित्र, दिव्य। ब्राह्यं (नपुं०) वेदाध्ययन। ब्राह्मण (वि०) [ब्रह्म वेदं शुद्ध चैतन्यं वा वेत्यधीते वा-अण] ब्रह्मज्ञान के योग्य, वेदाध्ययनशील। ब्राह्मण के योग्य। बाह्मणः (पुं०) विप्र। (जयो० १८/१५) ब्राह्मण वर्ण। (जयो० १/११८) ब्राह्मणादिषु ज्ञातिषु वा (जयो०वृ० १/४८) तपोधनश्चाक्षजयी विशोकः न कामकोपच्छल-विस्मयौकः। शान्तेस्तथा संयमनस्य नेता स ब्राह्मणद स्यादिह शुद्धचेताः।। (वीरो०१४/३६) कृपान्वितं मानसमत्र यस्य ब्राह्मणः सम्भवतान्नृशस्य।। (वीरो० १४/३५) ०वीरोदय महाकाव्य के चौदहवें सर्ग में ब्राह्मण, ब्राह्मणत्व आदि पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया। (वीरो० ३४-४४) ब्राह्मणता (वि.) ब्रह्म की विशेषता, ब्राह्मणता सत्य, अहिंसा, अस्तेय, स्त्रीपरित्याग और नि:संगता से आती है। त्वं ब्राह्मणोऽसि स्वयमेव विद्धि, क्व ब्राह्मणत्वस्य भवेत्प्रिसिद्धिः। सत्यावधास्तेय विरामभाव नि:सङ्गताभि, समुदेतु सा वः।। (वीरो० १४/३५) मुखेऽहि ब्राह्मणत्वं तद्विद्यते ब्राह्मणो यदि। तदा विप्रैर्न तत्पादौ, वन्दनीयौ प्रतिष्ठितम्।। (हित०सं०१८) ब्राह्मणपुत्रः (पुं०) विप्रजात। (जयो.वृ० १८/१५) ब्राह्मण-सम्पद (स्त्री०) ब्रह्म की सम्पदा। (वीरो० १४/४०) ब्राह्मणी (स्त्री०) [ब्राह्मण+ङीप्] विप स्त्री। (वीरो० १९) ब्राह्मण स्त्री। ब्राह्मण्य (वि०) [ब्राह्मण+ष्यञ्] ब्राह्मण के योग्य। ब्राह्ममूहूर्तः (पुं०) सूर्योदयात् पूर्वमुत्थान, प्रभातकाल से पूर्व की बेला। (जयो० १९/१) ब्राह्मविवाहः (पुं०) अलंकृत कन्या का प्रदान करना। ब्राह्मी (स्त्री०) [ब्राह्म ङीप्] ०ज्ञानमूर्ति-ब्राह्मी बालिका, ऋषभ की पुत्री, जो सम्पूर्ण ज्ञान की अधिष्ठात्री थी, जिसने लिपि विज्ञान का विकास किया। (वीरो० ८/३९) ब्राह्मी नामक आर्या आर्यिका जैन आर्यिका। 'ब्राह्मीदेशिमेषितं सुमतिभिस्तप्त्वा समुग्रं सती। (जयो० २८/६९) ०वाणी, भारती, सरस्वती, दिव्या। कथा, कहानी। रोहिणी नक्षत्र। ब्राह्मी नामक जड़ी, जिसके सेवन से बुद्धि बढ़ती है। ब्राह्मीलिपिः (स्त्री०) ऋषभ की पुत्री द्वारा जो अक्षरादि रूप लेखन किया गया। ब्रिटिशशासनं (नपुं०) ब्रिटेन का शासन, अंग्रेजी शासन। (जयोवृ० १५/४१) बुड् (अक०) डूबना, निमग्न होना। बुडन्ति-बुडित्वा (जयो० २३/३०) (जयो० १५/२०) ब्रुव (वि०) बहाने बनाने वाला। बू (अकः) कहना, बोलना। (सुद०४/४२) (सम्य० १२४, सुद० ३/४५) ब्रू (सक०) संकेत करना, पुकारना, सिद्ध करना। (सुद० १०२) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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