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बोधप्रदा
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ब्रह्मवर्ती
बोधप्रदा (स्त्री०) बोधिनी, ज्ञानदायिनी। (जयो०१० २/५४) | ब्रह्मघातिनी (वि०) संयमघातिनी। बोधयुत (वि०) ज्ञान से पूर्ण, समझ सहित। (भक्ति १) ब्रह्मघोषः (पुं०) 'दिव्यज्ञानोद घोष। बोधमूर्तिन् (स्त्री०) ज्ञानप्रतिमा। वन्देऽन्तिमांगायितबोधमूर्तीनुपात्त- ब्रह्मचर्य (नपुं०) सतीत्व, विरति। सम्यक्त्वगुणोरुपूर्तीन्। (सम्य० ५८)
०इन्द्रियनिग्रह, इन्द्रिय जगज्जेतु। (वीरो० ३७) बोधिः (स्त्री०) [बुध+इन्]०धर्म प्राप्ति, ज्ञान प्राप्ति, संबोधि। कामजयी। उचित शिक्षण, उत्तम जानकारी।
०कौमार्य रक्षा। ०सीख, अध्ययन 'बोधिश्च जिनशासनावबोध-लक्षणा' मैथुनादिविरति। (जैन०ल० ८२५)
०ब्रह्म/आत्मा में रमण करने वाला व्यक्ति। आत्मा ब्रह्म बोधिदुर्लभभावना (स्त्री०) निरंतर चिंतन करना, सम्यग्ज्ञान विविक्तबोधनिलयो यत्तत्र चर्यं परं स्वाङ्गासंगविवर्जितैकरूप उत्पत्ति की भावना।
मनसस्तद् ब्रह्मचर्य। (जैन०ल० ८२६) ०बोधिलाभ, बोधि प्राप्ति।
उत्तमब्रह्मचर्य धर्म (जयो०वृ० २८/३९) बोधिलाभः (पुं०) धर्म प्राप्ति, ज्ञान प्राप्ति, विवेक जागृति, ०ब्रह्मचर्य महाव्रत-सम्यक् प्रकार से काम चेष्टादि को चेतना प्राप्ति।
जीतना। बोधिसत्त्वः (पुं०) दिव्यभाषा बोध, सम्पूर्ण प्राणियों के लिए स्त्रीरूपं न विलोकयेन्न च तया संलापमेवाचरेत् प्रबोध।
प्राचीनां न रतिं स्मरेन्न च तनो संस्कारमत्रोद्धरेत्। बोल: (पुं०) बुलाना, पूत्कार करना, ध्वनि निकालना।
नात्रं पौष्टिकमाहरेदपि मुनिर्ब्रह्मव्रतप्राप्तये कामं बौद्धः (पुं०) बौद्धधर्म, बौद्ध धर्मानुयायी।
नाम तमेष विश्वजयिनं संप्राप्तयुक्त्या जपेत्।। (मुनि० ३) बौद्ध (वि०) [बुद्धि+अण्] बुद्ध विषयक, बुद्धि से सम्बंधित। ब्रह्मचर्याणुव्रत-परस्त्री विषयक अनुराग का त्याग। बौद्धाचार्यः (पुं०) सुगत मत के आचार्य। (जयो०वृ० १८/५९) ब्रह्मचर्य आश्रमः (पुं०) वर्णी। (जयो० २/११७) ब्रघ्नः (पुं०) सूर्य, दिनकर।
ब्रह्मचारी (वि०) ब्रह्म/आत्मसंय पालन करने वाला। दिन।
उपान्त्योऽपि जिनो बाल-ब्रह्मचारी जगन्मतः। ०मदार स्वरूप।
पाण्डवानां तथा भीष्म पितामह इति श्रुतः।। सीसा।
(वीरो०८/४०) ब्रह्मन् (नपुं०) ब्रह्मा, हिरण्यगर्भ। (जयो०७० ३/७३) ब्रह्मचर्यधर्मः (पुं०) दशधर्मों में अंतिम धर्म। विधि। (जयो०वृ० १/३५) (वीरो० १८/१५)
ब्रह्मचर्यप्रतिमा (स्त्री०) व्रती का कामंजस्य भोगों से विरति। अपूर्वप्रतिभा-ब्रह्मा कोऽपि अपूर्वप्रतिभोऽसि (जयो० ब्रह्मपथं (नपुं०) ज्ञान व्यापार, आत्मसंयम का मार्ग१६/८६)
ज्ञानेनचानन्दमुपाश्रयन्तश्चरन्ति ये ब्रह्मपथं स जन्तः। ब्रह्म (नपुं०) ज्ञान, ज्ञानब्रह्म, दयाब्रह्म। ब्रह्मकामविनिग्रहः' (वीरो० १/६) परमात्मा-परमब्रह्म।
ब्रह्मपदैकभूमिः (स्त्री०) ब्रह्म का अद्वितीय स्थान। मन वचन और शरीर परित्याग भाव।
(वीरो० १२/४६) अहिंसादि गुण।
ब्रह्मभावः (पुं०) ब्रह्मचर्य भाव। (जयो० १६/२१) ब्रह्मकर्मन् (नपुं०) ज्ञानक्रिया।
ब्रह्मभूयं (नपुं०) ब्रह्म की एकरूपता, परम तत्त्व की तल्लीनता। ब्रह्मकल्पः (पुं०) ज्ञानावधि।
ब्रह्ममीमांसा (स्त्री०) वेदांत दर्शन की विचारधारा का वर्णन। ब्रह्मकाण्डं (नपुं०) ज्ञानांश।
आत्मज्ञान का विवेचन। ब्रह्मगुणं (नपुं०) ब्रह्मचर्य गुण। 'राज्ञीक्षमा ब्रह्मगुणैकनावे' ब्रह्ममार्गः (पुं०) उत्तम ज्ञान मार्ग। (दयो० २२) (सुद० १०३)
ब्रह्मराक्षसनिवारणं (नपुं०) ब्रह्मचर्य के व्यवधान का नाश। ब्रह्मग्रन्थिः (स्त्री०) ब्रह्मगांठ, ज्ञान गांठ, बोधजन्य जोड़। __ (जयो० १९/७५) ब्रह्मग्रहः (पुं०) ब्रह्म राक्षस।
ब्रह्मवत्हँ (नपुं०) ब्रह्ममार्ग, आत्ममार्ग, ज्ञानपथ। (वीरो०
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