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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बुद्धिऋद्धिः ७६६ बुभुक्षु पदार्थ के ग्रहण करने की शक्ति, ऊहित का निश्चय होना। जानने की शक्ति, अर्थग्रहण शक्ति। बुद्धिऋद्धिः (स्त्री०) बुद्धि नाम ऋद्धि, णमो भयवदो महति महावीर-वड्ढमाणबुद्धिरिसीणं (जयोवृ० १९/८४) बुद्धिकर (वि०) ज्ञानधारक। (वीरो० १४/१३) बुद्धिकौशलः (नपुं०) निषेक, ज्ञान की कुशलता। (जयो० १२/९६) बुद्धिगम्यं (वि०) प्रतिभा योग्य। बुद्धिपूर्वक (वि०) चेतनापूर्वक। (सम्य० १२१) बुद्धिपूर्वकं (अव्य०) स्वेच्छा से जानबूझकर। बुद्धिभृत् (वि०) ज्ञान से परिपूर्ण। (मुनि० ३०) बुद्धिभ्रमः (पुं०) मन की एकाग्रता का नाश एकाग्रता का प्रभाव। बुद्धिमत् (वि०) प्रज्ञावंत, धीवंत, ज्ञानवान्, विचारशील, विवेकी। (सुद० १/११) (जयो०वृ० १/४२) बुद्धिमती (स्त्री०) धीमति, ज्ञानवती, विचक्षणा। (जयो०१० ९/७९) बुद्धिमान् (वि०) धीवर। (जयो०वृ० १/४०) औत्पत्तिकी आदि बुद्धि से युक्त। अन्तरङ्ग-बहिरङ्गशुद्धिमान् धर्म्यकर्मणि रतोऽस्तु बुद्धिमान्। श्रीर्यतोऽस्तु नियमेन संवशा मूलमस्ति विनयो हि धर्मसात्।। (जयो० २/७३) बुद्धिमदग्रेसर (वि०) विज्ञवर, विद्वान, प्रज्ञाशील। (जयो० ३/२३) बुद्धियोगः (पुं०) ज्ञानयोग, ब्रह्मयोग। बुद्धिलक्षणं (नपुं०) बुद्धिमान पुरुष। (समु० १/३६) बुद्धिविधा (स्त्री०) ज्ञानविधा, मति परम्परा। (वीरो०१४/३९) बुद्धिविधानिधानं (नपुं०) ज्ञानविधा का केंद्र। स ब्राह्मणो बुद्धिविधानिधानः। (वीरो० १४/३९) बुद्धिविशारद (वि०) बुद्धिमान, ज्ञानशील। (वीरो० १८/५४) अतिचतुर- व्यासर्षिणाथो भविता पुनस्ताः प्रयत्नतः सङ्कलिताः समस्ताः। यथोचितं पल्लविताश्च तेन सङ्कल्पने बुद्धिविशारदेन।। (वीरो० १८/५४) बुद्धिवैभवं (नपुं०) ज्ञाननिधि। ब्रह्मचर्य। बुद्धिवैशद्य (वि०) अनुमान आदि की अपेक्षा से पदार्थों का प्रतिभास। बुद्धिसिद्ध (वि०) ०बुद्धि सम्पन्न, ज्ञान निपुण, जिसकी बुद्धि विपुल पदों का अनुसरण करने वाली हो, संशय विपर्यय और अनध्यवसाय से रहित हो, अतिशयता से युक्त हो, और जो औत्पत्तिकी, पारिणमिकी, वैनयिकी और कर्मजा के भेद से सम्पन्न हो। बुद्धिहीन (वि०) प्रतिभाशून्य, मूर्ख, मूढ। बुध् (सक०) जानना, समझना, ज्ञान करना। प्रत्यक्ष करना, देखना, अवलोकन करना। जागना, सचेत होना। ०संकेत करना, सीखना। ज्ञात करना, परिचित करना। बुध (वि०) [बुध्+क] चतुर, विज्ञ, विद्वान्, विशारद। (सुद० ३/१७) रत्नत्रय का अनुसरण करने वाला, तत्त्वमार्गानुसारी। (जयो० ५/९१) बुधजनः (पुं०) बुध ग्रह। बुद्धिमान व्यक्ति। (सुद०) ०कवि। बुधतातः (पुं०) चंद्रमा, शशि। बुधदिनं (नपुं०) बुधवार। बुधरत्नं (नपुं०) मरकतमणि, पन्ना। बुधवारः (पुं०) बुधवार। बुधवासरः देखो ऊपर। बुधानः (पुं०) [बुध्+आनच्] ०बुद्धिमान पुरुष, ज्ञानीजन। ०धर्मोपदेष्टा, तत्त्वमार्गोपदेष्टा। ०अध्यात्म ज्ञानदायक। बुधित (वि०) [बुध्+क्त] जाना हुआ, समझा हुआ। बुधिल (वि.) [बुध+किलच्] विज्ञ, प्रज्ञाशील, ज्ञानी, मेधावी, ___विद्वान्। बुधनः (पुं०) तरुमूल, पेड़ की जड़। निम्न भाग। बुन्द् (सक०) भाँपना, अवलोकन करना, ज्ञान करना। बुन्थ् (सक०) प्रत्यक्ष करना, अवलोकन करना, देखना, समझना। बुभुक्षा (स्त्री०) भूखा। [भुज+सन्+अ+टाप्] भूख (दयो०१८) __ तृष्णा, इच्छा, क्षुधा। बुभुक्षित (वि०) [बुभुक्षा+इतच्] क्षुधित, भूखा, भूख से युक्त। (सम्य० ३३) (जयो० ६/१२१) बुभुक्षु (वि०) [भुज्+सन्+3] उपयोग की इच्छुक। (जयो० २०/३४) ___०भोक्तुमिच्छु (जयो० १२/११७) भूखा, क्षुधित, भूख से पीड़ित। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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