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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिन्दुजालं ७६४ बीजगुप्तिः माता बिन्दुजालं (नपुं०) बूंद समुच्चय। ०द्वारक, सूराखा। बिन्दुजालकं (नपुं०) जलबिंदु समूह। ०कंदरा, कोटर। बिन्दुतंत्रः (पुं०) पांसा, शतरंज की बिसात। बिलंगम (पुं०) सर्प, सांप, अहि। बिन्दुदेवः (पुं०) शिव, शंकर। बिलकारिन् (पुं०) चूहा, मूषक। बिन्दुपत्रः (पुं०) भोजपत्र। बिलयोनि (वि०) बिल जंतुओं की पर्याय। बिन्दुफलं (नपुं०) मोती। बिलवासः (पुं०) गंधमार्जार। बिन्दुभावः (पुं०) जलकण। (जयो० १८/४२) बिलवासिन् (पुं०) सर्प, सांप। बिन्दुरेखकः (पुं०) अनुस्वार। बिलेशयः (पुं०) [बिले-शेते-शी+अच] मूषक, चूहा। बिन्दुरेखा (स्त्री०) बिन्दुपंक्ति। बिल में रहने वाला जन्तु। विभित्सा (स्त्री०) [भिद्+सन्+अ+टाप्] भेदने की इच्छा। बिल्लः (पुं०) [बिल्+ला+क] गर्त, कंदरा, खाई, गड्ढा। बिभित्सु (वि०) भेदने की इच्छा वाला। ०थांवला, आलवाल। बिभीषणः (पुं०) रावण का भाई। बिल्वः (पुं०) [बिल+वन्] बेलतरु। ०बेल का वृक्षा बिभ्रक्षुः (स्त्री०) अग्नि, आग। बिल्वं (नपुं०) बेलफल। बिभ्राण (वि०) प्रशंसनीय। (जयो०वृ० १/३०) बिल्वपत्रं (नपुं०) बेलपत्र। बिभ्यद्वन्दनं (नपुं०) बिभ्यत नाम का दोष, गुरु से भयभीत बिल्ववनं (नपुं०) बेल उपवन। होकर जो वन्दना की जाती है। बिस् (सक०) हिलना-डुलना, भड़काना, फेंकना, डाल देना। बिम्बः (पुं०) प्रतिमा, छाया, परछाई, प्रतिबिम्ब। बिसं (नपुं०) [बिस्क ] कमलतन्तु, कमलनाल, कमलदण्ड। ०शीश, दर्पण। (जयो० ५/९६) ०कलश। बिसकण्ठिका (स्त्री०) छोटा सारस। चन्द्रमण्डल। 'बिम्बशब्दस्य पुंनपुंसकत्वादिह पुल्लिंगो ग्राह्यः' | बिसकण्ठिन् (पुं०) छोटा सारस। (वीरो० ४/२२) बिसपुष्पं (नपुं०) कमल का फूल। प्रतिच्छाय, रूप फल (जयो० ११/९९) बिसलं (नपुं०) [बिस+ला+क] कली, नया अंकुर। बिम्बफल। (जयो० ३/५२) बिसिनी (स्त्री०) कमलिनी, कुमदिनी। बिम्बकं (नपुं०) [बिम्ब-कन्] सूर्यमण्डल, चन्द्रमण्डल। ०कमलमाल, कमल समूह। बिम्बफल। बिसिल (वि०) [बिस्+इलच्] बिस से सम्बंधित, कमलदण्ड प्रतिबिम्ब, प्रतिच्छाय। (जयो० २/३२) से सम्बद्ध। बिम्बध्वजः (पुं०) ध्वजछाया। बिस्तः (पुं०) [बिस्+क्त] सोने का प्रमाण। ८० रत्ती। बिम्बफलं (नपुं०) बिम्बवृक्ष का फल। (जयो०वृ० ३/५२) | बिलगः (पुं०) विक्रमादेव के रचनाकार। बिलहा कवि, संस्कृत बिम्बमुदा (स्त्री०) पद्मासन की मुद्रा, प्रतिमाव्रत मुद्रा। का एक कवि। बिम्बार्चनं (नपुं०) प्रतिमा पूजन। (वीरो० २२/२२) बीजं (नपुं०) धान्यकण, अनाज का दाना। बिम्बिका (स्त्री०) [बिम्ब+कन्+ इत्वम्] सूर्यमण्डल, मृदन्तरा बीजवदीष्यतेऽदः (सम्य० १०७) चन्द्रमण्डल। ०वीर्य, शुक्र। बिंब पादप, बिम्बिकाफल। (जयो०७० ३/५२) ०कहानी का मूल कारण, कथावस्तु का अंश। बिम्बित (वि०) [बिम्ब+इतच्] प्रतिबिम्बित। (सुद० १३५) बीजः (पुं०) नींबू का पेड़। बिल् (सक०) खण्ड खण्ड करना, फाड़ना, विभाजित करना, बीजग्रहणं (नपुं०) सुरत चेष्टा। बीजमिति शुक्रपर्यायवाची बांटना। शब्दः। (जयो० १६/३१) बिलं (नपुं०) [बिल्+क] छिद्र, विवर, खूड। बीजगणितं (नपुं०) वैज्ञानिक पद्धति का गणित। रिक्तस्थान, गर्त। बीजगुप्तिः (स्त्री०) बीजकोश, फली, सेम, छीमी। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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