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बाहवि
७६३
बिन्दुचित्रकः
बाहवि (वि०) भुजा से भुजा।
बाहुवंशः (पुं०) भुजदण्ड। (जयो० १७/६३) बाहीकाः (स्त्री०) पंजाब के निवासी।
बाहुव्यायामः (पुं०) कसरत, दण्ड पेलना, मांस पेशियों के बाहु (स्त्री०) भुजा, हस्त दण्ड।
पुष्ट हेतु व्यायाम करना। ०कलाई
बाहुशालिन् (पुं०) भीम, योद्धा, वीर। ०पशु का अगला पैर।
बाहुशिखरं (नपुं०) कंधा। द्वार की चौखट का बाजू।
बाह्य (वि०) [बहिर्भव] बाहर का, बाहरी, बहिर्देश। (जयो० आर्द्र नक्षत्र।
१/२०) बाहुकः (पुं०) बंदर।
विदेशी, अपरिचित, अपने को छोड़कर। जो अन्य है, बाहुकुण्ठ (वि०) लुंजा, विकृत हाथ वाला।
वह बाह्य है। बाहुकुब्ज देखो ऊपर।
०बहिष्कृत। बाहुकुन्थः (पुं०) ०बाजू, डैना पक्षी।
बाह्यशुद्धिः (स्त्री०) शारीरिक शुद्धि। (हित० ४२) बाहुगुण्यं (नपुं०) [बहुगुण+ष्यञ्] श्रेष्ठ गुणों का आधार। बाह्यशुद्धिर्यथा लोकं, माननीया मुमुक्षुभिः। बाहचतुष्टय (वि०) धर्म, अर्थादि पुरुषार्थ। (जयो० १७/३१) न्यूनता न व्रते चेत्स्यान्न च तत्त्वात्परिच्युतिः।। (हित० बाहुजः (पुं०) क्षत्रिय। (जयो० ५/२७) राजमानं इव राजनि ४२) ___चैतैबाहुजैः (जयो० ५/२७) (वीरो० १४/४८)
बाह्य-सल्लेखना (स्त्री०) शरीर विषयक सल्लेखना, शरीर बाहुजसमाजसतः (पुं०) क्षत्रिय जनशिरोमणि। (जयो० १८/५७) को कृश करने की क्रिया। बाहुज्या (स्त्री०) चाप के सिरों को मिलाने वाली रेखा, एक | बाह्याडम्बरः (पुं०) बाहरी वस्तुओं का समूह। (वीरो० २२/२१) गणतीय रेखा पद्धति।
(सुद० १२७) बाहुत्रः (पुं०) भुजरक्षक, भुज कवच।
बाह्याधारः (पुं०) बाहिरी आश्रय, बाहर का सहारा। बाहुत्रं (नपुं०) देखो ऊपर।
बाह्यश्रयः (पुं०) बाहर का आश्रय। बाह्याधार। बाहुदण्डः (पुं०) लम्बी भुजा, दीर्घ बाहु।
बिट् (सक०) शपथ लेना, सौगन्ध्य उठाना। बाहुदन्तकः (नपुं०) नैतिक गुणी।
बिटकः (पुं०) फोड़ा, फुसी। बाहुपाशः (पुं०) भुजपाश, मल्लयुद्ध का एक दांव-पेंच। बिटकं (नपुं०) देखो ऊपर। बाहुबन्धः (पुं०) केयूर। (वीरो० ५/१५)
बिडं (नपुं०) नमक विशेष। बाहुबलं (नपुं०) भुजबल, भुजाओं की शक्ति।
बिडालः (पुं०) [विड्+आलन्] बिल्ली, बिलाव। बाहुबलिः (पुं०) ऋषभदेव का पुत्र, भरत का छोटा भाई। | आंख का डला।
(जयो०० ७/६७) (जयो० ९/५१) (मुनि० १५) बिडालकः (पुं०) [बिडाल+लन्] बिलाव, बिल्ली। बाहुबलि (वि०) बाहुओं से बलिष्ठ, अत्यधिक शक्तिमान्। बिडालकं (नपुं०) पीली मल्हम। बाहुभूषणं (नपुं०) बाजूबंद, अंगद, भुजा में धारण करने बिडौजस् (पुं०) इन्द्र, शक्र। वाला आभूषण।
बिन्द् (सक०) खण्ड-खण्ड करना, विभक्त करना, बांटना। बाहुभूषा (स्त्री०) बाजूबंद, अंगद।
बिन्दुः (स्त्री०) [बिन्द्+उ] बूद, बिंदी। बाहुमूलं (नपुं०) कांख।
०लेश (जयो०वृ० ३/१३) कण (जयो०७० ३/१३) बाहुयुद्धं (नपुं०) मल्ल युद्ध, हस्त-दांव-पेंच वाला युद्ध।
अनुस्वार। मुखमात्मनामगतस्य मुकारस्य खमभावमेव बाहुयोधः (पुं०) मुष्टि योद्वा, मुक्केबाज, चूंसेबाज।
सखीकृत्य आत्मसात् कृत्वात्र तत्स्थाने बिन्दुमनुस्वारमाप्नोतु। बाहुयोधिन् देखो ऊपर।
(जयो०वृ० ३/५७) बाहुलः (पुं०) अग्नि।
विसर्ग। बिन्दुद्वयात्मको विसौं निर्दिष्टौ' (जयो०७०३/४३) बाहुलता (स्त्री०) भुजदण्ड।
०शून्य। बाहुवीर्यं (नपुं०) भुजबल।
बिन्दुचित्रकः (पुं०) चित्तीदार हिरण।
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