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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बाणघातः बाणघातः (पुं०) बाण प्रहार । बाणततिः (स्त्री०) बाणावलि, तीरसमूह | बाणतूण (पुं०) तरकस । बाणधिः (स्त्री०) तरकस । बाणपन्थः (पुं०) बाण का परास । बाणपाणि (स्त्री०) बाणों से सुसज्जित हस्त । बाणपातः (पुं०) तीर प्रहार | बाणपातिः (स्त्री०) शर घात बाणमुक्तिः (स्त्री०) बाण छोड़ना, तीर फेंकना, तीर बरसाना । बाणमोचनं (नपुं०) तीर बरसाना । बाणयोजनं (नपुं०) तरकस । बाणवृष्टिः (स्त्री०) बाणों की बौछार, तीरवृष्टि । www.kobatirth.org " बाण - संहतिः (स्त्री०) बाण समूह । वाणसुता (स्त्री०) बाण की पुत्री। बाणिनी (स्त्री०) नर्तकी, नृत्यांगना, अभिनेत्री । बाणोदित (वि०) बाणों का निशाना (जयो० १४/३१) बादरः (पुं०) ०स्थूल पर्याय, जो छिन्न होकर स्वयं जुड़ने में समर्थ | ० मिटाना, ध्वस्त करना । ० हटाना, पीछे धकेलना। बाध: (पुं०) पीड़ा, कष्ट, दुःख ० यातना, संताप | व्हानि, क्षति, घाटा 'बादर शब्दः स्थूलपर्याय:' ( धव० १/२४९) बादरं (नपुं०) ०बोर, बेर। ० रेशम, ०जल, रुई । बादर (वि०) बेर से प्राप्त, बोर से सम्बद्ध। बादरिक (वि० ) [ बदर + ठञ् ] बेर एकत्रित करने वाला । बाध् (सक०) सताना, उत्पीड़न करना, कष्ट देना। ० रोकना, अवरोध करना, हस्तक्षेप करना, निष्फल करना । ० आक्रमण करना, धावा बोलना। ० भय, खतरा, डर। ० आपत्ति, विरोध | ० प्रत्याख्यान, निराकरण। ० स्थगन, रद्द करना । बाधक (वि० ) [ बाध् + ण्वुल् ] ०उत्पीडन, परेशान करने वाला। ० अवरोधक, ० अन्तराय करने वाला । ७६० ०उत्पीडक, उन्मूलन। o विघ्न उपस्थित करने वाला (भक्ति० ३१ ) बाधनं (नपुं०) उन्मूलन, उत्पीडन, परेशान करना, अशान्ति, बाधा, पीड़ा। बाधना ( स्त्री०) पीड़ा, कष्ट, दुःख, अशान्ति, चिन्ता, व्यवधान । ( भक्ति० ३४) बाधा (स्त्री०) सङ्कोच (जयो० ५/७ ) तत्तदङ्गिसमुपाङ्गि बाधा' ० पीड़ा, कष्ट, दुःख, अशान्ति । • विघ्न। (सुद०२/२३) ०उत्पीडन (सुद० १०९) ० अवरोध, विरोध (भक्ति० २२) बाधाकारक (वि०) व्यथाकार, दुःख उत्पन्न करने वाले । (जयो०वृ० २/६२) ० अहितार्थ (जयो० २७/२२) बाधागत (वि०) दुःख को प्राप्त हुआ। बाघाघात (वि०) सहनशील। बालारहित (वि०) व्यधान रहित ( भक्ति० ३४) बाधासहित (वि०) कष्ट युक्त । (जयो० २६ / ९६) बाधित (भू०क०कु० ) [ बाध्+क्त] उत्पीडित, संतप्त, कष्टजन्य । ० परेशान। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ० निराकृत, स्थगित | ० असंगत, विवादग्रस्त । बाध (नपुं० ) [ बधिर + ष्यज्] बहरापन। बान्धकिनेयः (पुं०) दोगला, चुगलखोर बार्ह बांधव (पुं० ) [ बन्धु+अण्] ०स्वजन, मित्रजन, कुटुम्बिजन । ० भाई, सम्बंधी, रिश्तेदार । बान्धवजन: (पुं०) कुटुम्बिजन । बान्धव्यं (नपुं० [वान्धवष्यञ्] बन्धुता बन्धभाव (जयो० ३/७०) रिश्तेदारी, सम्बंधीपना। वापी (स्त्री०) वापिका (सुद० १०१ ) बाभ्रवी (स्त्री० ) [ वभ्र + अण् + ङीप् ] ०दुर्गा | बाराधार: (पुं०) जल की धार (सुद० ७१) बारुणी (स्त्री०) पश्चिम दिशा । ० मदिरा (जयो० वृ० १८ / ३२, ३३) बार्बीर (पुं०) आम का गूदा नया अंगुर । बार्ह (वि० ) [ बर्ह+अण्] मोर की पूंछ से निर्मित | For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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